तहसील क्षेत्र में मानक विहीन व गैर मान्यता प्राप्त विद्यालयों की भरमार
तहसील क्षेत्र में मानक विहीन व गैर मान्यता प्राप्त विद्यालयों की भरमार
सुभाष तिवारी लखनऊ
पट्टी प्रतापगढ़।पट्टी तहसील क्षेत्र में मानक विहीन व गैर मान्यता प्राप्त विद्यालयों की भरमार लगी है।कुछ विद्यालयों के पास सरकारी मान्यताएं तो प्राप्त हैं लेकिन उन विद्यालयों में मानकों को ताक पर रखकर संचालित किया जा रहा है पर क्षेत्र में लगभग सैकड़ो विद्यालय ऐसे हैं जो बगैर मान्यता के ही संचालित हो रहे हैं।शिक्षा विभाग के अधिकारियों की समुचित निगरानी न होने के चलते कुकुरमुत्तों की तरह भरमार है।इन विद्यालयों में शिक्षण व्यवस्था ऐसी है कि नौनिहालों का भविष्य अंधकार में प्रतीत होता दिखाई दे रहा है।इन विद्यालयों में कुशल व योग्य अध्यापकों द्वारा अध्यापन कार्य ना कराकर हाई स्कूल व इंटरमीडिएट पास लोगों से अध्यापन कार्य कराया जा रहा है।शिक्षण के लिए मौजूद कमरे छोटे हैं जिसके कारण उनमें वेंटिलेशन की भी समस्याएं बनी रहती हैं।उमस भरी गर्मी में बच्चों का हाल बेहाल हो जाता है। कहीं कहीं तो कमरों में छत की जगह सीमेंट या लोहे की चादरों से ही काम चलाया जा रहा है।इस प्रकार के विद्यालयों का मकड़जाल नगरीय क्षेत्र से लेकर ग्रामीण क्षेत्रों तक फैला हुआ है।
मान्यता प्राप्त विद्यालयों के क्या मानक हैं इन विद्यालय संचालकों को जैसे पता ही नही है।गौरतलब है कि विद्यालय गेट पर विद्यालय का नाम व कोड,अग्निशमन यंत्र,छात्र - छात्राओं के लिए अलग अलग शौचालय,180 वर्ग फीट के न्यूनतम शिक्षा कक्ष,चार दीवारी,क्रीड़ा,स्थल,प्रयोगशाला,वाचनालय आदि की मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध होनी चाहिए।ऐसे विद्यालय किसके सरंक्षण से फल फूल व पनप रहे है? यह एक बड़ा सवाल है।पूरे तहसील क्षेत्र में इस तरह से फल फूल रहे विद्यालयों पर सवालिया प्रश्नचिन्ह तो शिक्षा विभाग के ऊपर खड़ा हो जाता है।आखिरकार इन विद्यालयों को किसका संरक्षण प्राप्त है और क्यों शिक्षा विभाग इन विद्यालयों पर मेहरबान है! यह गौर करने की बात है।क्या जिम्मेदार अधिकारियों का ही संरक्षण प्राप्त तो नहीं।यदि ऐसा नहीं है तो शिक्षा विभाग में कार्यरत अधिकारी अपनी ड्यूटी करने में ही असमर्थ है और सरकारी वेतन का बिना कार्य किया मजा ले रहे हैं।ये अधिकारी सरकार की मंशा को ताक पर रखकर काम कर रहे हैं और सरकार की शिक्षा योजना को धता बता अपनी जेब भरने पर लगे हैं।
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