गुरु वही जो शिष्य को सत्य की राह दिखाए - साध्वी डॉ संयमलता
गुरु वही जो शिष्य को सत्य की राह दिखाए - साध्वी डॉ संयमलता
गुरुपूर्णिमा पर ऐतिहासिक महोत्सव सम्पन्न
उदयपुर। गुरु शंकाओं को दूर करते हैं इसलिए शंकर हैं, विकारों के विष का हरण करते हैं इसलिए विष्णु हैं, हमें महान बनाते हैं इसलिए महावीर हैं, हमारे मन को मोह लेते हैं इसलिए मोहन हैं, दुर्गति का नाश करते हैं इसलिए दूर्गा है और हमारे गुरूर को दूर करते हैं इसलिए गुरु है।
गुरु पूर्णिमा का रहस्य समझाते हुए साध्वी डॉ संयमलता ने सेक्टर चार के “सुधर्मा दरबार” में कहा कि गुरु तो सूरज की वह धूप हैं जो जिंदगी में उमंग और उत्साह की भोर लाती है। गुरु चंदा की चाँदनी हैं जो भीतर के अंधकार को दूर भगाती है। गुरु को शिष्य रूपी अनगढ़ पत्थर भी मिल जाए तो वह उसे अपने अनुभव की हथोड़ी और ज्ञान रूपी छेनी से प्रभु की प्रतिमा बना देता है। गुरु वह माली है जो जीवन रूपी छोटे से बीज को वट वृक्ष जैसी विशाल ऊँचाइयाँ दे दिया करता है और माँझी की तरह अपने द्वार पर आए हर व्यक्ति को संसार समुद्र से पार पहुँचा देता है।
उन्होंने आगे कहा कि गुरुओं का दायित्व हो जाता है कि अनुयायियों के दिशा भ्रष्ट होने पर उन्हें सत्य दिशा का दिग्दर्शन कराएं। उन्होनें अपने आध्यात्मिक जीवन के बारे में बताते हुए कहा कि गुरु ने उन्हें सपना से साध्वी संयमलता बना दिया। उन्होंने मुझे मोक्ष का मार्ग दिखा दिया। उनका कहना है कि अब भी समय है कि पूरे देश के सभी संप्रदायों के धर्म गुरुओं को ‘सबका साथ- सबका विकास’ के तहत अपने-अपने स्तर पर ही सही जनता की बुराईयों की प्रवृर्तियों को रोकने का प्रयास करे तो स्वर्णिम भारत का जन्म हो सकता है।
साध्वी अमितप्रज्ञा ने कहा गुरु नहीं तो जीवन शुरू नहीं। जो हमारा गुरूर मिटा दें वह हमारे गुरु है। गुरु हमें अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाता है। गुरु बिना जीवन सूना है। साध्वी कमलप्रज्ञा ने दिवाकर चालीसा का सामूहिक गान करवाया। साध्वी सौरभप्रज्ञा ने सुमधुर आवाज़ में गीतिका प्रस्तुत की। दोपहर में बाल संस्कार शिविर का आयोजन हुआ। प्रतिदिन प्रवचन का समय 9 वाजे से रहेगा।
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें