इंटरनेशनल रॉक डे पर भूविज्ञान में कैरियर ओरिएंटेशन का आयोजन
इंटरनेशनल रॉक डे पर भूविज्ञान में कैरियर ओरिएंटेशन का आयोजन
उदयपुर 13 जुलाई : भूपाल नोबल्स विश्वविद्यालय के विज्ञान संकाय के भूविज्ञान विभाग द्वारा इंटरनेशनल रॉक डे के उपलक्ष्य में एक दिवसीय करियर ओरिएंटेशन का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में भूपाल नोबल्स संस्थान के मंत्री डॉ महेंद्र सिंह आगरीया और प्रबंध निदेशक मोहब्बत सिंह राठौड़ उपस्थित थे। कार्यक्रम की अध्यक्षता
संस्थान के चेयरपर्सन कर्नल प्रो एस.एस. सारंगदेवोत ने की और उन्होंने बताया कि भूविज्ञान सभी विषयों का एक विज्ञान है, जिसमें खनिज, चट्टाने, जीवाश्म, ज्वालामुखी, भूकम्प, पर्यावरण आदि से सम्बन्धित विभिन्न विषयों पर विस्तृत अध्ययन कराया जाता है।
यदि विद्यार्थी को रोमान्चक एवं चुनौतीपूर्ण विषय में रुचि है तो उसके लिए भू-विज्ञान विषय एक श्रेष्ठ विकल्प हैं। भू-विज्ञान में स्नातकोत्तर शिक्षा प्राप्त करने के बाद विद्यार्थी के पास रोजगार के अपार अवसर मौजूद होते हैं। विशिष्ठ अतिथि एवं विषय विशेषज्ञ के रूप में मोहनलाल सूखाडिया विश्वविद्यालय के विज्ञान महाविद्यालय के पूर्व अधिष्ठाता प्रो विनोद अग्रवाल थे जिन्होंने बताया कि भूविज्ञान विषय में रोज़गार की अपार संभावना है। केंद्र सरकार में भू वैज्ञानिक सर्वेक्षण विभाग (जीएसई), केन्द्रीय भू-जल बोर्ड, भारतीय खान ब्यूरो, तेल एवं प्राकृतिक गैस आयोग आदि संस्थान की प्रतिवर्ष भूवैज्ञानिकों की नियुक्तिया करते हैं। इसी प्रकार राज्य सरकार राज्य स्तर पर खान एवं भू-विज्ञान विभाग माइन्स फोरमेन एवं भूवैज्ञानिक एवं भू-जल विभाग में भू-जल वैज्ञानिक, तकनीकी सहायक के रूप में नियमित नियुक्तियां होती रहती है।अनेक सरकारी उपक्रमों एवं निजी क्षेत्र की अच्छी कम्पनियो जैसे राजस्थान राज्य खान एवम खनिज निगम, हिंदुस्तान जिंक लिमिटेड, हिंदुस्तान कॉपर लिमिटेड, खनिज अन्वेषण कारपरिशन आदि में भूवैज्ञानिकों की भारी मांग हैं। इसके साथ ही निजी क्षेत्र की खदानों में भूवैज्ञानिकों की नियुक्ति करने का वैधानिक प्रावधान है। विज्ञान संकाय की अधिष्ठाता डॉ रेणु राठौड़ ने विधार्थियों को बताया कि शिक्षा के क्षेत्र में भी देश एवं राज्य के अनेक विश्वविद्यालयों राजकीय एवं निजी महाविद्यालयों मे भूविज्ञान का अध्ययन कराया जाता हैं। अतः इसमें भी शिक्षक के रूप में विद्यार्थी अपना करियर बना सकता है। स्वरोजगार की दृष्टि से भी भूविज्ञान का विधार्थी खनन परामर्शदाता, पर्यावरण सलाहकार एवं खनिज उद्यमी के रूप में जीविकोर्पार्जन कर सकता हैं। सेमिनार के संयोजक एवम् भूविज्ञान बिभाग के विभागाध्यक्ष डॉ हेमंत सेन ने बताया कि राजस्थान राज्य चूंकि भारत का प्रमुख एक खनिज बाहुल्य राज्य है, जहां 85 प्रकार के खनिज पाये जाते है। यहाँ लगभग 30 हजार छोटी-बड़ी खदाने है। अतः भूवैज्ञानिकों की इनमे सदैव मांग बनी रहती है। उन्होंने आज के दिन अंतर्राष्ट्रीय रॉक दिवस मानव जाति के लिए चट्टानों और उनके महत्व के बारे में जानने के लिए एक महत्वपूर्ण दिन है के बारे में बताया। तीन मुख्य चट्टानों की टीमें हैं-आग्नेय, अवसादी और मेटामॉर्फिक। चट्टानों के अध्ययन को पेट्रोलॉजी के रूप में जाना जाता हैं व इसमें चट्टानों की जांच होती हैं। नीचे की डिग्री पर, चट्टानें खनिजों के दानों से बनी होती हैं। भूवैज्ञानिक इस विषय पर विश्लेषण करने की कोशिश करता है, विद्यार्थियों के लिए चट्टानों और उनके निर्माणों के बारे में अतिरिक्त जानना महत्वपूर्ण है और अंतर्राष्ट्रीय रॉक दिवस इस पहलू पर मदद करता है। डॉ ऋतु तोमर ने विधार्थियों को बताया कि भूपाल नोबल्स विश्वविद्यालय उदयपुर में विज्ञान संकाय के भूविज्ञान विभाग द्वारा भूविज्ञान विषय स्नातक एवं स्नातकोतर स्तर पर पढ़ाया जाता है। विद्यार्थियों के लिए करियर मार्गदर्शक भी उपलब्ध कराया जाता हैं। इसके अलावा राज के अन्य विश्वविद्यालयो मे भी भूविज्ञान विषयों का पाठ्यक्रम चलाया जाता हैं। यह जानकारी जनसम्पर्क अधिकारी डॉ कमल सिंह राठौड़ ने दी।
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