महामहिम ने बढ़ाया विद्यापीठ का मान - कुलपति प्रो. सारंगदेवोत

 - महामहिम ने बढ़ाया विद्यापीठ का मान - कुलपति प्रो. सारंगदेवोत



उदयपुर। राजनीति में आने से पहले असम के राज्यपाल महामहिम गुलाबचंद कटारिया ने अपने केरियर की शुरूआत आज ही के दिन 13 जुलाई, 1968 से झाड़ोल में राजस्थान विद्यापीठ के विद्यालय में बतौर शिक्षक तीन साल तक सेवाएं दीं थी। आज 56 साल बाद महामहिम असम के राज्यपाल कटारिया एक बार फिर उसी दिन झाड़ोल में अपने निजी फार्म हाउस पर पहुंचे और पुराने मित्रों, शिक्षकों व विद्यार्थियों को स्नेह भोज पर आमंत्रित कर पुरानी यादें ताजा की। संस्मरण और गीत सुनाकर भाव विभोर कर दिया।


इस अवसर पर कुलपति प्रो. एस.एस. सारंगदेवोत, कुल प्रमुख भंवर लाल गुर्जर, भूपाल नोबल्स विद्या प्रचारिणी सभा के प्रबंध निदेशक मोहब्बत सिंह रूपाखेड़ी, पीठ स्थविर डाॅ. कौशल नागदा, गुणवंत सिंह झाला, भेरूलाल लौहार, डाॅ. युवराज सिंह राठौड, डाॅ. बलिदान जैन, निजी सचिव कृष्ण कांत कुमावत़ ने कटारिया का संस्थान की ओर से पगड़ी, उपरणा, बुके, स्मृति चिन्ह व प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया। 


इस अवसर पर कटारिया ने कहा कि जब मैनेे विद्यापीठ के झाडोल विद्यालय में भूगोल अध्यापक के पद पर नोकरी करते हुए वहा मैंने संघ की शाखा खोली तब वैचारिक मतांतर की वजह से वहां की नौकरी ज्यादा दिन नहीं चल सकी। मगर उसके बाद भी इस संस्थान के प्रति, जन्नूभाई के प्रति मेरा अगाध स्नेह बना रहा। मेरे कई विद्यार्थी उच्च पदों पर आसीन है। आज मैं महामहिम की कुर्सी पर पहुंचा हूं व जो भी सम्मान मिला है, वह विद्यापीठ की ही देन हैं। जन्नूभाई ने इस आदिवासी इलाके में जो शिक्षा की अलख जगाई थी वह अद्वितीय थी। उन्होंने घर-घर जाकर विद्यार्थी जुटाए, मुट्ठी-मुट्ठी अनाज इकट्ठा कर शिक्षा की ज्योति को जलाए रखा। उन्होंने कहा कि बोरी में अनाज इकट्ठा करना, ओघे में खड़े रह कर अनाज मांगना कोई साधारण काम नहीं था। जन्नूभाई की मेहनत रंग लाई और आज विद्यापीठ विशाल वटवृक्ष के रूप में सामने है। कटारिया ने अपने सभी पुराने मित्रों को याद किया व कहा कि उस समय का भाई चारा और स्नेह अद्वितीय था। तब के बच्चों में अभावों के बावजूद अनुशासन व शिक्षकों के प्रति जो समर्पण था वह आज भी अनुकरणीय है। यहां पर कटारिया ने सुंदर गीत सस्वर प्रस्तुत किया तो वहां मौजूद सभी जनों ने सुर मिलाते हुए समां बांध दिया। कटारिया ने कहा कि यह अवसर यादगार व अविस्मरणीय रहेगा। 


प्रो. सारंगदेवोत ने कहा कि 13 जुलाई 1968 को व्याख्याता भूगोल के पद पर आरूढ होकर महामहिम गुलाबचंद कटारिया ने तीन वर्षों से अधिक समय तक विद्यापीठ झाड़ोल में व्याख्यचाता के पद पर रहे। विद्यापीठ के शिक्षक का राज्यपाल जैसे पर पहुंचना और उनका सान्निध्य व आशीर्वाद मिलना हमारे लिए गौरव की बात है। जन्नूभाई के सपनों को संस्थान साकार करने की ओर निरंतर अग्रसर है। महामहिम कटारिया ने राजनीति के क्षेत्र में अहम मुकाम हासिल करने के साथ ही शिक्षा के क्षेत्र में भी कई अहम कार्य किए। शिक्षक, शिक्षार्थी और समाज के प्रति उनकी संवेदनशीलता व स्नेह अद्वितीय व अनुकरणीय है। 


 इस अवसर पर सुन्दर कटारिया, सुखलाल लौहार, वीपुल चण्डालिया, रोशन लाल महात्मा, सुंदरलाल सोनी, दीपक बोल्या, डाॅ. बीएल डांगी, गणेश लाल सोनी सहित पूर्व विद्यार्थी, अध्यापक एवं गणमान्य नागरिकों ने कटारिया का उपरणा ओढ़ा कर सम्मान किया।

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