सतपक्ष पत्रकार मंच ने भेजा मुख्यमंत्री भजनलाल को पत्र; पत्रकारों के पंजीकरण,ख़बर भत्ते,पत्रकार सुरक्षा सहित रखे कई महतवपूर्ण मुद्दे

 सतपक्ष पत्रकार मंच ने भेजा मुख्यमंत्री भजनलाल को पत्र; पत्रकारों के पंजीकरण,ख़बर भत्ते,पत्रकार सुरक्षा सहित रखे कई महतवपूर्ण मुद्दे




सतपक्ष पत्रकार मंच द्वारा मुख्यमंत्री भजनलाल को पत्र भेजकर पत्रकारिता,पत्रकार एवं राष्ट्र कल्याण से जुड़े 8 महत्वपूर्ण मुद्दों को राजस्थान सरकार के आगामी बजट एवं नीतियों में शामिल करने का अनुरोध किया गया है। सतपक्ष पत्रकार मंच के अध्यक्ष अनिल यादव के अनुसार उन्हें आशा है कि मुख्यमंत्री को भेजे गए पत्र में उठाए गए सभी विषयों को मुख्यमंत्री भजनलाल बेहद गंभीरता से लेंगें तथा उन्हें राज्य के आगामी बजट एवं नीतियों में स्थान देंगें। पत्र में उठाए गए ये 8 मुद्दे इस प्रकार हैं :—

(1) पत्रकारिता के क्षेत्र में कार्यरत प्रत्येक पत्रकार का अनिवार्य रूप से पंजीकरण किया जाए तथा सभी मीडिया संस्थानों के लिए पंजीकृत पत्रकारों की सूची में से ही पत्रकार चयन की बाध्यता लागू की जाए । पंजीकरण का आधार आरएनआई द्वारा जारी प्रमाणपत्र, किसी भी मीडिया संस्थान द्वारा जारी पत्रकारिता के क्षेत्र में अनुभव प्रमाणपत्र, स्नातक की डिग्री (प्रेस फोटोग्राफर के केस में 12वीं ) तथा 2024 के बाद से पत्रकारिता में प्रोफेशन डिग्री (बीजेएमसी,एमजेएमसी आदि) को बनाया जा सकता है। पत्रकारों के नियमानुसार पंजीकरण की जिम्मेदारी के निर्वहन हेतु 'मीडिया कौंसिल आफ राजस्थान' जैसी किसी उचित संस्था का गठन किया जा सकता है।

पत्रकारों के पंजीकरण से निम्न लाभ होंगें :—
1. पत्रकारों के पंजीकरण से समाज में पत्रकार बनकर घूम रहे फर्जी लोगों पर रोक लग जाएगी। क्योंकि कोई भी व्यक्ति सरकार के पोर्टल पर जाकर पत्रकार को उसकी पंजीकरण संख्या, मोबाईल नम्बर आदि से वैरीफाई कर सकेगा ।
2. पत्रकारों के पंजीकरण से वास्तविक पत्रकारों को अपमानित करने के लिए जानबूझकर प्रयुक्त 'फर्जी' जैसे शब्दों का कलंक हमेशा के लिए दूर हो जाएगा।
3. पत्रकारों के पंजीकरण की प्रणाली से पंजीकरण के अभाव में अपने अस्तित्व का संकट झेल रहे तथा कई प्रकार के शोषण से पीड़ित पत्रकारों को राहत मिलेगी।
4. मीडिया संस्थान को बदलते समय किसी भी पत्रकार के सामने अपनी पहचान का संकट खड़ा नहीं होगा।
5. पत्रकारों के पंजीकरण से सरकार को पत्रकार कल्याण से जुड़ी योजनाओं को बनाने और उनकों क्रियांवित करने में जबरदस्त सहायता मिलेगी ।
6. पत्रकार पंजीकरण से राज्य सरकार पर किसी भी प्रकार का आर्थिक भार नहीं पड़ेगा वरन पंजीकरण हेतु उचित फीस निर्धारित कर राजकोष में वृद्धि भी की जा सकती है।    

(2) पत्रकारों के पंजीकरण के बाद पत्रकारिता के क्षेत्र में प्रत्येक पत्रकार के लिए ईमानदार आजीविका विकल्प उपलब्ध कराने की दृष्टि से 'ख़बर भत्ता एवं इनसेंटिव योजना' लागू की जाए । इस योजना के तहत पत्रकारों को सार्वजनिक धन व सम्पत्ति की चोरी,अपव्यय या बेकदरी; सरकारी योजनाओं की ग्राउण्ड रिपोर्टिंग ; समाज में होने वाली किसी अवैध गतिविधि ,अतिक्रमण,अवैध निर्माण या भ्रष्टाचार की रिपोर्टिंग के बदले गोपनीयता की गारंटी के साथ सम्मानजनक ख़बर भत्ता एवं प्रोत्साहन राशि दी जानी चाहिए। पत्रकार की रिपोर्ट को दर्ज करने हेतु सरकार के स्तर पर एक विशेष पोर्टल बनाया जाना चाहिए तथा ख़बर भत्ते व प्रोत्साहन राशि का बंटवारा समाचार—पत्र संस्थान एवं पंजीकृत पत्रकार के बीच लगभग 25 : 75 के अनुपात में किया जाना चाहिए । आत्मनिर्भर,स्वतंत्र व ईमानदार पत्रकारिता ही नहीं भ्रष्टाचार मुक्त व समस्या मुक्त भारत के लक्ष्य की दृष्टि से उक्त योजना अभूतपूर्व एवं अद्भुद साबित होगी ।

लोककल्याण के प्रति 100 प्रतिशत प्रतिबद्ध सरकार के नजरिये से देखा जाए तो सरकार, देश की जनता, समाचार संस्थान तथा पत्रकार चारों पक्षों को इस योजना से बेहद लाभ होगा। किसी को भी कोई हानि नहीं है।

देश की सरकार को सुशासन देने में तथा ग्राउण्ड जीरो पर योजनाओं की क्रियान्विति पर नज़र रखने में आसानी हो जाएगी।
देश की जनता को उसकी छोटी-छोटी समस्याओं पर साथ देने वाले व सार्वजनिक धन व सम्पत्ति की बर्बादी को रोकने में मदद करने वाले बुद्धिमान व परिश्रमी पत्रकार सहयोगी मिल जाएंगें। सरकारी प्रयासों के ग्राउण्ड रिपोर्ट पर सुपरविजन में वृद्धि से अपव्यय व भ्रष्टाचार पर लगाम लग सकेगी।
पत्रकार को श्रम, बुद्धि व धन के निवेश से तैयार रिपोर्ट के बदले आजीविका का ईमानदार व स्वाभिमानपूर्ण विकल्प मिल जाएगा।
समाचार संस्थान को अपने प्रत्येक संबद्ध पत्रकार की प्रत्येक रिपोर्ट से प्राप्त 25 प्रतिशत धनराशि के माध्यम से आर्थिक आत्मनिर्भरता एवं संस्थान के देशव्यापी विस्तार में सहूलियत प्राप्त होगी।

(3) प्रिंट मीडिया के प्रत्येक समाचार संस्थान को उसकी आवधिकता के आधार पर न्यूनतम वार्षिक विज्ञापन की स्थाई नीति लागू की जाए जिसके तहत पाक्षिक समाचारपत्र को न्यूनतम 2 लाख, साप्ताहिक को न्यूनतम 4 लाख,दैनिक को न्यूनतम 6 लाख रूपये के विज्ञापन प्रतिवर्ष प्रदान किए जाएं । डिजिटल मीडिया हेतु भी सरलीकृत विज्ञापन नीति लागू की जाए ।

(4) राज्य सरकार द्वारा पत्रकारों के अधिस्वीकरण की प्रक्रिया को सरल बनाया जाए ।

(5) पत्रकारों को चिरंजीवी स्वास्थ्य योजना के स्थान पर आरजीएचएस के अंतर्गत लिया जाए अथवा निजी बीमा कम्पनी के माध्यम से पत्रकारों को सपरिवार 25 लाख रूपए तक का कैशलैस ईलाज की सुविधा उपलब्ध कराई जाए।

(6) पिछले करीब 10 सालों से राजकीय विज्ञापन की दरों में वृद्धि नहीं की गई है जबकि इस दौरान समाचार-पत्र मुद्रण की लागत एवं पत्रकारों की आर्थिक समस्याओं में अप्रत्याषित रूप से कई गुना वृद्धि हो गई है। अतः विज्ञापन दरों में वृद्धि कर उन्हें डीएवीपी की दरों व पैमानों के समतुल्य बना जाए। प्रति कॉलम की बजाय डीएवीपी की तरह प्रति सेन्टीमीटर पैमाने को अपनाया जाए तथा दर निर्धारण में समाचार-पत्रों के सर्कुलेशन के अलावा उनकी पृष्ठ संख्या, उसके रंग (सिंगल/मल्टीकलर) और उनकी आवधिकता को अवश्य ध्यान में रखा जाए ताकि विज्ञापन दरों में होने वाली वृद्धि अधिक तर्कसंगत बन सके। विदित हो कि इससे मिलती जुलती प्रक्रिया डीआईपीआर में ही करीब एक दशक पहले मौजूद थी।

(7.) 'पत्रकार सुरक्षा कानून' पत्रकारों व स्वतंत्र पत्रकारिता के मध्यनजर मीडियाकर्मियों की बहुप्रतीक्षित व बेहद जरूरी मांग है। इस मामले में पिछली सरकार द्वारा पत्रकारों के साथ की गई वादाखिलाफी जगजाहिर है। अतः हमारी मांग है कि 'पत्रकार सुरक्षा कानून' को यथाशीघ्र मूर्तरूप दिया जाए ।

(8.) ‘पत्रकार आवास योजना’ के नाम पर प्रदेश के खासकर जयपुर के पत्रकारों की भावनाओं के साथ एक दशक से भी अधिक समय से खेला जा रहा है। पत्रकारों के लिए अपने आवास का सपना आज भी दिवास्वप्न बना हुआ है। कृपया मामले में विशेष रूचि लेकर पत्रकारों के इस सपने को अविलम्ब पूर्ण करने हेतु सभी आवश्यक प्रयास करें तथा प्रत्येक जिला स्तर पर भी 'पत्रकार आवासीय योजनाओं' का सृजन करवाएं ।   

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

पुलिस पाटन द्वारा हथियार की नोक पर वाहन लूट करवाने वाला अंतर्राज्यीय गैंग का सरगना गिरफ्तार

अतिरिक्त जिला कलेक्टर नीमकाथाना भागीरथ साख के औचक निरीक्षण में कर्मचारी नदारद पाए गए* *सीसीए नियमों के तहत होगी कार्रवाई*

आमेर तहसीलदार ने बिलोंची गाँव की खसरा न, 401 से लेकर खसरा न, 587 तक की जमीन की , जमाबंदी के खातेदार 12 व्यक्तियों में से चार व्यक्तियों के नाम मिली भगत कर , सुविधा शुल्क वसूलकर नियम विरूद्ध तकासनामा खोल दिया गया आठ खातेदारों का विरोध तकासनामा निरस्त करने की मांग