मासिक संगीत गोष्ठी में मीठालाल वर्मा के क्लेरियोनेट वादन ने किया मंत्र मुग्ध
मासिक संगीत गोष्ठी में मीठालाल वर्मा के क्लेरियोनेट वादन ने किया मंत्र मुग्ध
महालक्ष्मी शिनॉय ने राग बागेश्री की बंदिश गाकर बांधा समां
महाराणा कुंभा संगीत परिषद का आयोजन
उदयपुर संवाददाता विवेक अग्रवाल। महाराणा कुंभा संगीत परिषद उदयपुर द्वारा रविवार को मासिक संगीत गोष्ठी का आयोजन सरदारपुरा स्थित कुंभा सभागार में किया गया।
गोष्ठी में सर्वप्रथम उदयपुर के आकाशवाणी के ए ग्रेड कलाकार प्रसिद्ध क्लेरियोनेट वादक मीठालाल वर्मा ने सुरीली तानों की अनूठी प्रस्तुति से सभी श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया । उन्होंने राग मिश्र खमाज में ठुमरी प्रस्तुत की जो तीन ताल में निबद्ध थी । तत्पश्चात तालदीपचंदी में पहाड़ी राग में एक बंदिश प्रस्तुत की ।अंत में ताल खेमटा में एक दादरा प्रस्तुत किया जो की राग भैरवी पर आधारित था । सुषिर वाद्य क्लेरीनेट पर उनके द्वारा प्रस्तुति ने सभी श्रोताओं को खूब आनंदित किया। उनके साथ तबले पर उदयपुर के प्रसिद्ध तबला वादक ओम कुमावत ने संगत की।
कार्यक्रम के दूसरे सत्र में धारवाड़ ,कर्नाटक की सुप्रसिद्ध गायिका सुश्री महालक्ष्मी शिनॉय ,जो पदमभूषण पंडित विष्णु मोहन भट्ट जी की शिषया हैं ने अपनी गायकी का उत्कृष्ट प्रदर्शन किया और सभी श्रोताओं ने उन्हें खूब सराहा । उन्होंने सर्वप्रथम राग ताल एकताल में राग बागेश्री विलंबित बंदिश सखी मन लगे प्रस्तुत की उसमें आलाप और गायकी के साथ सधी हुई तानों से कार्यक्रम में समा बांध दिया। उसके पश्चात मोसे मन आए रंग रस भर बंदिश तीन ताल में प्रस्तुत कर सभी श्रोताओं को अपनी गायकी से मंत्रमुग्ध कर दिया । राजस्थान की सुप्रसिद्ध मांड गायकी केसरिया बालम को उन्होंने एक विशेष अंदाज में प्रस्तुत कर तालियां बटोरी । अंत में आर.डी. कामत द्वारा लिखित एवं पंडित वसंत ककापुरे द्वारा रचित कोंकणी भजन नारी नयन चकोरा राग अहीर भैरव में प्रस्तुत किया। बड़ौदा के प्रसिद्ध तबला वादक पंडित हिमांशु महंत ने तबले पर संगत की और उदयपुर शहर के युवा कलाकार भव्यन खोखावत ने हारमोनियम पर संगत की।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रही श्रीमती मधुलिका मेवाड़ ने मां सरस्वती के समक्ष दीप प्रज्वलन किया और संस्था के अध्यक्ष सुशील दशोरा ने सभी का स्वागत किया । डा प्रेम भंडारी, मनोज मोर्डिया, परवेज जाल, सहित महाराणा कुंभा संगीत परिषद के कार्यकारिणी सदस्यों ने सभी कलाकारों एवं अतिथियों का शॉल एवम उपर्णा ओढ़ाकर पारंपरिक स्वागत किया।
डॉ देवेंद्र सिंह हिरण ने अंत में धन्यवाद ज्ञापित किया और कार्यक्रम का संचालन डिंपी सुहालका ने किया।
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