तीर्थकरों की स्तुति जीवन को सरस, सुंदर, समृद्ध बनाती है : आचार्य चन्द्राननसागर सूरिश्वर - महाप्रभाविक महामांगलिक एवं नाकोड़ा पाश्र्वनाथ विधि पूजा हुई

 तीर्थकरों की स्तुति जीवन को सरस, सुंदर, समृद्ध बनाती है : आचार्य चन्द्राननसागर सूरिश्वर  

- महाप्रभाविक महामांगलिक एवं नाकोड़ा पाश्र्वनाथ विधि पूजा हुई 


 

- आठ दिवसीय नाकोड़ा पाश्र्वनाथ अंजनशलाका प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव के तीसरे दिन हुए विविध आयोजन  

उदयपुर, 9 अप्रेल। श्री मोती कृष्ण गौधाम, नाकोड़ा कामधेनु पाश्र्वनाथ मंदिर राणाकुई वल्लभनगर में चल रही आठ दिवसीय नाकोड़ा पाश्र्वनाथ अंजनशलाका प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव के तीसरे दिन 9 अप्रेल को आचार्य चन्द्राननसागर सूरिश्वर संघ की निश्रा में गुरुदेव का बेसते महिने का महाप्रभाविक महामांगलिक, दोपहर में पाश्र्वनाथ पंचकल्याणक पूजन विधि विधान से सम्पन हुई। संस्था के हस्तीमल लोढ़ा एवं श्री जैन श्वेताम्बर महासभा के महामंत्री कुलदीप नाहर ने बताया कि राष्ट्रसंत आचार्य गुरुदेव चन्द्राननसागरसूरीश्व महाराज की निश्रा में सुरेखादेवी लोढ़ा चेरीटेबल ट्रस्ट द्वारा आयोजित नवनिर्मित जिनालय की अंजनशलाका प्राण प्रतिष्ठा में विधि कारक कल्पेश भाई अहमदाबाद वाले ने विधि विधान से अष्ठ प्रकार के मंत्रोच्चारण से पूजा विधि के कार्य सम्पन्न कराएं।  उन्होने कहां कि हर अमावस के बाद आने वाली एकम को महामंागलिक होता है। जिससे सर्व कार्य सर्व सिद्धीदायक, सर्व मनोकामना पूर्ण महामंगलकारी होते है। इस दौरान आयोजित धर्मसभा में आचार्य चन्द्राननसागर सूरिश्वर ने कहां कि  तीर्थकर परमात्मा के द्वारा दिया गया वर्षीदान भी भव्य उत्तम आत्मा ही प्राप्त कर सकता है। तीर्थकरों का हमारे ऊपर अनंत अनंत उपकार है, उपकारी का स्मरण करने से, गुणानुवाद करने से पुण्यवानी बढ़ती है। प्रभु का नाम हृदय को पवित्र बनाता है, शीतलता और शान्ति प्रदान करता है। तीव्र ज्वर में कोई सिर पर ठंडे पानी की पट्टी रख दे तो कितनी शान्ति मिलती है, इसी प्रकार संसार की दावाग्नि से संतप्त प्राणी के लिए भगवान का नाम ही सहारा है। तीर्थकरों के नाम सुमिरण के साथ जीवन-दर्शन से हमारे जीवन की दिशा और दशा परिवर्तित हो जाती है। दर्पण चेहरे के दाग दिखाता है, और तीर्थकरों का जीवन दर्पण हमारे अन्तर के दोषों को दिखाते हैं। तीर्थकरों की स्तुति जीवन को सरस, सुंदर, समृद्ध और पूर्ण बनाने का अद्वितीय साधन है। तीर्थकरों की स्तुति से, स्मरण से, कीर्तन से भी हम जो चाहे वह पा सकते हैं।  रात्रि में संगीतकार नरेन्द्र वाणाी गोता ने अपनी स्वर लहरियों से सुर बिखरें एवं नाकोड़ा भैरव के भजनों से सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया।   इस अवसर पर हस्तीमल लोढ़ा, देवेन्द्र मेहता, सागर जैन, हितेश जैन, गौरव जैन, रिषीत जैन, शिल्पा लोढ़ा, अवीश लोढ़ा, रोशनलाल लोढ़ा, दिनेश जैन, अशोक मेहता, नाकोड़ा भक्ति मण्डल के कई श्रावक-श्राविकाएं मौजूद रहे।  इस अवसर पर नवकारसी एवं स्वामीवात्सल्य का आयोजन हुआ।  


- आज होंगे ये कार्यक्रम  

हस्तीमल लोढ़ा ने बताया कि चौथे दिन बुधवार 10 अप्रेल को माता-पिता, इन्द्र-इन्द्राणी, धर्माचार्य की स्थापना, परमात्मा का च्यवन कल्याणक, 14 स्वप्न दर्शन, दोपहर में नाकोड़ा भैरव महापूजन का आयोजन होगा।

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