सफल ज्योतिषी के लिए इन्ट्यूशन यानी अंत:प्रज्ञा का मजबूत होना बेहद आवश्यक

 सफल ज्योतिषी के लिए इन्ट्यूशन यानी अंत:प्रज्ञा का मजबूत होना बेहद आवश्यक





उदयपुर संवाददाता विवेक अग्रवाल। ज्योतिष अध्ययन एवं अनुसंधान संस्थान के तत्वावधान में दो दिवसीय ज्योतिष सम्मेलन एवं वार्षिक अधिवेशन शनिवार को सेक्टर 11 स्थित इंजीनियर्स भवन में शुरू हुआ।


उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता वेदों के अंग उपांग पारंगत संस्कृत ज्ञाता पंकज वेदाचार्य (मध्य प्रदेश) ने की। उन्होंने कहा कि ज्योतिष एक शास्त्र नही विज्ञान है और जीवन को नई दिशा में प्रवृत्त करने और समस्याओं से सामना करने की समझ देने वाला विज्ञान हैं।


मुख्य अतिथि कोटा विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो मोहनलाल कालरा थे।


संस्थान के अध्यक्ष एवं प्रख्यात ज्योतिषी हरिश्चंद्र शर्मा ने बताया कि बताया कि प्रतिवर्ष आयोजित होने वाले इस ज्योतिष सम्मेलन में ज्योतिष की विविध विधाओं पर शोध कार्य किया जाता है और इसमें शोध पत्रों का वाचन व्याख्यान तथा विस्तृत विमर्श किया जाता है।


संचालन डॉ अखिलेश शर्मा ने किया।


उद्धाटन के बाद पहले सत्र में पुणे के डॉ मनीष कुमार ने ब्रम्हांड की कॉस्मिक ऊर्जा के बारे में उदाहरण सहित बताया। उन्होंने बताया कि शरीर की ऊर्जा ब्रम्हांड की ऊर्जा के साथ तारतम्य करते हुए हमें नई ऊर्जा बनाती है।


डॉ कुंजन आचार्य ने इंट्यूशन, ऑरा रीडिंग और बॉडी लैंग्वेज के विविध पक्षों के बारे में उदाहरण सहित विस्तृत जानकारी दी। डॉ आचार्य ने बताया कि एक सफल ज्योतिषी के लिए उनका इन्ट्यूशन यानी अंत:प्रज्ञा का मजबूत होना बेहद आवश्यक है।


डॉ सुरेश जोशी ने अपने शोध पत्र में विवाह में विभिन्न ग्रहों की युतियों और गोचर दशाओं पर शताधिक कुंडलियों से प्राप्त आंकड़ों का विश्लेषण प्रस्तुत किया।


भीलवाड़ा के सुरेंद्र शर्मा ने कुंडली मे केतु की भूमिका पर अपना शोध पत्र रखा। डॉ सुधीर कुमार ने ज्योतिष को चिकित्सा विज्ञान से जोड़ते हुए रोगों से लड़ने की दिशा में काम करने की जरूरत बताई। सत्र का 


दूसरे सत्र में मनोहरलाल कालरा ने आदित्य एल वन की पृष्ठभूमि में सौर प्रक्षेपण और सूर्य की प्रकाश ऊर्जा के बारे में विस्तार से जानकारी दी। डॉ अखिलेश शर्मा ने मित्रो की मिठास और जीवन मे आनंद के योग विषय पर व्यख्यान दिया।


हरिश्चंद्र शर्मा ने ग्रहों की कोणीय दूरी और उसके आकलन के नए उपकरण बताए। 


पहले दिन तीसरे सत्र में महिला ज्योतिषयों ने मंथन किया। कल्पना शर्मा ने वास्तु पर अपने व्याख्यान में बताया कि यदि वास्तु के लिहाज से घर का मुख्य द्वार बनाया जाए तो आर्थिक, राजनीतिक और व्यवसाय के क्षेत्र में सफलता मिलती है। उमा दशोरा ने तिथियों के वैज्ञानिक स्वरूप को विस्तार से बताया वहीं प्रेमा चंडालिया ने स्वर विज्ञान की बारिकियों को समझाया। 

रविवार को सम्मेलन के दूसरे दिन विविध सत्रों में विचार मंथन होगा। इस अवसर पर विभिन्न सम्मान भी दिए जाएंगे जिसमें ज्योतिषियों को दिए जाने वाले लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड में बिहारी लाल दशोरा, चंद्रकांत वशिष्ठ, रामेश्वर जोशी और गिरधारी लाल शर्मा को दिया जाएगा।

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