शास्त्रीय- सितार और संतूर की जुगलबंदी से झूम उठे श्रोता प्रकृति और संस्कृति ने प्रकृति और संस्कृति की दिखाई झलक बिखरी छटा पंडित हरीश तिवारी ने शास्त्रीय गायन से किया मन्त्रमुग्ध
शास्त्रीय- सितार और संतूर की जुगलबंदी से झूम उठे श्रोता
प्रकृति और संस्कृति ने प्रकृति और संस्कृति की दिखाई झलक बिखरी छटा
पंडित हरीश तिवारी ने शास्त्रीय गायन से किया मन्त्रमुग्ध
उदयपुर, संवाददाता विवेक अग्रवाल। महाराणा कुम्भा संगीत परिषद द्वारा आयोजित 61वें त्रिदिवसीय महाराणा कुंभा संगीत समारोह के द्वितीय दिन शनिवार को शास्त्रीय तार वाद्य व गायन का समागम रहा।
प्रथम सत्र में दो बहिनों की जोड़ी ने दो भिन्न शास्त्रीय वाद्य यंत्रों संतूर एवं सितार की अनूठी प्रस्तुति दी। “वाहने सिस्टर्स” के नाम से प्रसिद्ध संस्कृति व प्रकृति वाहने की जुगलबन्दी देखने को मिली।
जहाँ संतूर पर प्रकृति ने राग चारूकेशी के स्वर छेड़े वहीं संस्कृति ने सितार पर सुरों से रंग जमाया। राग चारूकेशी में आलाप, जोड़, झाला, झप ताल में बन्दिश प्रस्तुत की। तीनताल में बद्ध द्रुतलय की बन्दिश से श्रोताओं का मन जीता।
संतूर व सितार से झंकृत होती आवाज़ को वाहने सिस्टर्स ने रागों की माला में पिरोकर मधुर तानों से समा बांध दिया। दो अलग तार वाद्य यंत्रों की जुगलबन्दी के नायाब प्रदर्शन में कभी साज़ को साथ में बजाकर तो कभी परस्पर लयकारी करके श्रोताओं की वाह वाही लूटी। वाहने सिस्टर्स की परम्परागत वादन शैली में राग व तंत्रकारी अंग की शुद्धता की झलक सुनने को मिली।
सितारवादक पिता लोकेश वाहने, उ. शाहिद परवेज़ एवं तालयोगी पं. सुरेश तलवलकर से संगीत की शिक्षा लेने वाली संस्कृति व प्रकृति वाहने ने अधिकतर पुरुष द्वारा बजाये जाने वाले वाद्य यंत्रों का वादन कर नारी शक्ति की संगीत जगत में बदलती भूमिका का उदाहरण प्रस्तुत किया।
तबले पर निशांत शर्मा ने संगत की।
द्वितीय सत्र में वाद्यों की गूंज से कण्ठ से सधे स्वरों की ओर ले जाते हुये ख़्याल गायक पं. हरीश तिवारी ने सधी हुई आवाज़ में शास्त्रीय गायन में वातावरण को संगीतमयी कर दिया।
पं. हरीश तिवारी ने राग मारू बिहाग में विलम्बित एकताल ताल में ख्याल रसिया हो ना जाए और तीन ताल में निबद्ध छोटा ख्याल परी मोरी नाव मझधारा“ प्रस्तुत कर श्रोताओं को मंत्रमुग्ध किया।
राग मारूबिहाग का विस्तार करते हुये आलाप में स्वरों की सुगमता देखने को मिली। तत्पश्चात राग मिश्र काफी में ठुमरी पिया तू मानत नहिं ताल दीपचंदी में भावपूर्ण प्रस्तुति देकर सभी का रंजन किया। अंत में राग सिंधभैरवी में मनमोहक ठुमरी की पेशकश कर कार्यक्रम का समापन किया ।
किराना घराने की परम्परागत दमदार गायकी का प्रदर्शन करते हुये स्वरालाप व विकट तानों से उन्होंने सभी को लुभाया। उनके स्वर प्रधान प्रदर्शन ने संगीत प्रेमियों की तालियों की गड़गड़ाहट बटोरी।
भारत रत्न पं. भीमसेन जोशी के विद्यार्थी पं. हरीश तिवारी ने घरानेदार प्रस्तुति से ख्याल गायकी बारिकियों का प्रदर्शन किया। दिल्ली विश्वविद्यालय में संगीत के प्राध्यापक पं. हरीश शर्मा ने किराना शैली में स्वरों पर वज़न देते हुये मींड, कण आदि का उदाहरण प्रस्तुत किया।
तानपुरे पर दीपक बादल, विशाल राठौड़, गायन पर सहयोग शशांक शुक्ला, तबले पर पण्डित विनोद लेले व हारमोनियम पर डॉ विनय मिश्रा ने संगत की।
समारोह में मुख्य अतिथि ताल योगी पदमश्री सुरेश तलवलकर, विशिष्ट अतिथि गिरीश जोशी पूर्व निदेशक सीसीआरटी न्यू दिल्ली और गोपाल कृष्ण बिजोरीवाल विशिष्ट न्यायाधीश , थे। डॉ. प्रेम भण्डारी, सुशील दशोरा, मनोज मूर्डिया, डॉ. सीमा सिंह, दिनेश माथुर, डॉ. पामिल मोदी, डॉ रेखा मेनारिया,महेश गोस्वामी, आशुतोष भट्ट, शालिनी भटनागर सहित महाराणा कुम्भा संगीत परिषद की कार्यकारिणी ने सभी कलाकारों एवं अतिथि का शॉल व उपरना ओढ़ा कर पारम्परिक स्वागत किया।
मंच का संचालन डॉ. लोकेश जैन विदुषी जैन ने किया।
आज अंतिम दिन गायन वादन नृत्यम ताल कचहरी प्रस्तुत होगी
संस्था के कोषाध्यक्ष महेश गिरी गोस्वामी ने बताया कि समारोह के अंतिम दिन 17 मार्च को एक विशेष कार्यक्रम "गायन वादन नृत्यम" पुणे के ताल योगी पद्मश्री सुरेश तलवलकर एवम उनके 17 सदस्यों के दल द्वारा प्रस्तुत किया जाएगा। जिसमे गायन, ताल कचहरी, नृत्य एवम अन्य अनूठी कलाओं का समागम होगा । गत कई वर्षों से समारोह का सफल संचालन करने वाले संस्था के सह सचिव डा लोकेश जैन ने बताया कि इस वर्ष का मुरली नारायण माथुर और डा यशवंत कोठारी सम्मान तालयोगी पद्मश्री सुरेश तलवलकर एवम नॉर्थ जोन कल्चरल सेंटर के डायरेक्टर फुरकान खान को प्रदान किया जाएगा। कार्यक्रम नियत समय पर शाम 7.30 बजे ही प्रारंभ हो जाएगा एवम सभी के लिए प्रवेश निशुल्क रहेगा।
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