हाथ से रेत की तरह जा रही जिंदगी एहसास कर"
"हाथ से रेत की तरह जा रही जिंदगी एहसास कर"
विवेक अग्रवाल
उदयपुर संवाददाता (जनतंत्र की आवाज) 15 फरवरी। कविमित्र समूह , उदयपुर द्वारा वसंत पंचमी के दिन बुधवार 14 फरवरी को एक कवि- मिलन का आयोजन किया गया . कार्यक्रम में अनके कवियों ने अपनी कविताओं का पाठ किया.वरिष्ठ शायर खुर्शीद शेख खुर्शीद ने ' दाग दिल के बयान करते है / दोस्त भी तो रकीब होते है / वे दूर है जो करीब होते है ' जैसे शेर सुनाकर रंग जमाया वहीं युवा कवि जयवीर सिंह ने ' निशाने परखने के लिये उड़ते परिंदे नहीं मारेंगे /हम मेहनत करनेवाले है इम्तिहां में तुक्के नहीं मारेंगे', डा.गोपाल राज गोपाल ने 'आंख लगाई दान की तबसे फेरी आंख / इससे अंधापन भला करते थे दो बात', डा. किरण आचार्य ने 'राधा सी रिझती मीरा सी है मगन /लैला की सी लगन जुलियट का है जतन / अनकही अनसुनी प्रीत है' अनेकों रचनाएं सुनाकर सबका मन मोह लिया .संस्था अध्यक्ष शैलेंद्र ढड्ढा ने ' ख्वाब तो ख्वाब हुए है ख्वाब कब सच हुए है ? हाथ से रेत की तरह जा रही जिंदगी एहसास कर ' तथा मुख्य अतिथि शकुंतला सरूपरिया शकुन ने ' नीरवता में संगीत झरे दिन लहका लहका रहता है /ये मंगल दिवस वसंत के मन पावन चहका चहका रहता है ' जैसी भावविभोर करने वाली सुनाकर गोष्ठी का समापन किया . कार्यक्रम का संचालन डा. किरण आचार्य ने किया .
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