नयी शिक्षा नीति 2020: अवसर एवं चुनौतियॉ विषय पर एक दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला का हुआ आयोजन
नयी शिक्षा नीति 2020: अवसर एवं चुनौतियॉ विषय पर
एक दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला का हुआ आयोजन
उदयपुर 10 फरवरी । भारत जैसे विविधिता वाले देश में नयी शिक्षा नीति का क्रियान्वयन सर्वाधिक चुनौतीपूर्ण है। सर्वश्रेष्ठ साहित्य रचना विपरित काल में होना राष्ट्र के लिए गौरवपूर्ण है। आजादी के बाद देश में अच्छी शिक्षा नीति आयी है जिसे हम सभी को सकारात्मक रूप से क्रियान्वित कराने में हर संभव सहयोग करना है जिसकी सबसे अधिक जिम्मेदारी शिक्षकों पर है। 1986 की शिक्षा नीति ने सभी को भ्रमित करने का कार्य किया। शिक्षा में गिरावट आई है जिसके लिए हम सभी दोषी हैं। आज के समय में विद्यार्थी के निर्णयकर्ता अभिभावक बन गये हैं, इसी कारण कोटा में विद्यार्थियों का हब बना। उक्त विचार जनार्दनराय नागर राजस्थान विद्यापीठ डीम्ड टू बी विश्वविद्यालय की ओर से शनिवार को प्रतापनगर स्थित कुलपति सचिवालय के सभागार में आयोजित नयी शिक्षा नीति 2020: अवसर एवं चुनौतियॉ विषय पर ऑन लाईन एवं ऑफ लाईन एक दिवसीय राष्ट्रीय वर्कशॉप में महाराज गंगासिंह विवि बीकानेर के कुलपति प्रो. मनोज दीक्षित ने बतौर मुख्य अतिथि व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि अभिभावक नहीं चाहता कि जिस विद्यालय में उसने अध्ययन किया उसी विद्यालय में उनका बच्चा भी पढ़े। हम अपनी प्राचीन ज्ञान परम्परा से भटक गये हैं। उन्होंने कहा कि 1923 तक भारत में 100 प्रतिशत साक्षर दर थी, तब मैकोले ने सोचा कि भारतीयों को परतंत्र बनाना आसान नहीं है और उसने हमारी शिक्षा नीति को नष्ट करने का संकल्प लेकर हमारी गुरूकुल पद्धतियों को बंद कर दिया और 7 लाख से अधिक स्कूलों को बंद कर दिया। 1845 में मैकाले स्कूल की स्थापना की। उन्होंने शिक्षा को शासन से मुक्त करने की जरूरत पर जोर देते हुए कहा कि भारत में हर सरकार ने अपने अपने तरीकों से शिक्षा पद्धति को लागू किया ।
अध्यक्षता करते हुए कुलपति प्रो. एस.एस. सारंगदेवोत ने देश में जारी की गई अब तक की शिक्षा नीति 1968, 1986 एवं 2020 पर चर्चा करते हुए कहा कि भारतीय भाषा को बढ़ावा राष्ट्रीय नयी शिक्षा नीति का महत्वपूर्ण सौपान है जिसमें पढ़ाई छोड़ चुके 02 करोड़ से अधिक विद्यार्थियों को शिक्षा की मुख्यधारा में लाने का प्रमुख उद्देश्य है। शिक्षा का अर्थ केवल डिग्री देने का नहीं, बल्कि विद्यार्थी का सर्वांगीण विकास करना है। राष्ट्र के आर्थिक विकास में शिक्षा का बहुत बड़ा योगदान है। भारत में एक हजार विवि हैं, 50 हजार से अधिक महाविद्यालय हैं। शिक्षा के माध्यम से हमारी जीडीपी बढ़ा सकते हैं। नयी शिक्षा नीति को विभिन्न तकनीक से लेस बताते हुए, इसके क्रियान्वयन में प्रभावी टीम वर्क एवं प्रभावी कार्यान्वयन को अनिवार्य बताया।
उन्होने एनईपी 2020 पर इस प्रकार के विचार-विमर्श व संगोष्ठी को समाज में जागरूकता व जुड़ाव का आधार स्तम्भ बताया। विद्यार्थियों के सर्वांगीण विकास के लिए नयी शिक्षा नीति एक मील का पत्थर साबित होगी जिसे धरातल पर उतारने की जरूरत है। इसमें ज्ञान आधारित शिक्षा पर जोर दिया गया है। 2025 तक इसके परिणाम को सामने लाने का लक्ष्य रखा गया है। उन्होंने कहा कि विधापीठ सदैव शिक्षा के क्षेत्र में हो रहे नवाचारों को अपनाने में अपनी अग्रणी भूमिका निभाता रहा है। इसी क्रम में आउटकम एवं क्वालिटी बेस्ड एज्युकेशन के साथ इससे जुड़ी तकनीकी बारीकियों के प्रशिक्षण के साथ-साथ तथ्यात्मक जानकारियों से जुड़़ने का काम भी विद्यापीठ प्रारम्भ कर चुका है।
प्रो. जय भारत सिंह - जोईंट डायरेक्टर हायर एज्युकेशन जयपुर ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 पर यह 16वीं वर्क शॉप है जो समाज में शिक्षा नीति के प्रति जागरूकता एवं अवदान देने का कार्य कर रही है। यह केन्द्र सरकार का ड्रीम प्रोजेक्ट है जिसमें शिक्षा के क्षेत्र में संस्कृति , संस्कार व समन्वय का कार्य हो रहा है। उन्होंने इस श्रेष्ठ पॉलीसी को लागू करने में अभिभावकों के महत्वपूर्ण योगदान पर बल दिया।
आयोजन सचिव डॉ. चन्द्रेश छतलानी ने बताया कि वर्कशॉप का शुभारंभ अतिथियों द्वारा मॉ सरस्वती की प्रतिमा पर पुष्पांजलि एवं दीप दान कर किया। इसमें 240 ऑन लाईन व 55 से अधिक प्रतिभागियों ने ऑफ लाईन भाग लिया। नवीन प्रयोग करते हुए विद्यार्थियों ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर अपने विचार रखे। इस दौरान मेदीनी राज राठौड़, साती सिंह, अदिती शर्मा, सिमरन राय, अतिती गंछा ने चर्चा में भाग लिया।
संयुक्त निदेशक कॉलेज शिक्षा निदेशालय जयपुर के प्रो. जयदीप सिंह ने कहा कि भारतीय शिक्षा मंडल का ध्येय वाक्य सा विद्या या विमुक्तये सम्पूर्ण शिक्षा प्रणाली का परिचायक है। उच्च शिक्षा की उन्नति में निचले स्तर पर आधारभूत शिक्षा का स्तम्भ मजबुत होना आवश्यक हैं। उन्होने मातृभाषा में शिक्षा का आदान प्रदान को प्रभावी बताया।
संचालन डॉ. हरीश चौबीसा ने किया जबकि आभार रजिस्ट्रार डॉ. तरूण श्रीमाली ने जताया।
इस मौके पर डॉ. एमएल राठौड़, परीक्षा नियंत्रक डॉ. पारस जैन, डॉ. एसबी नागर , डॉ रचना राठौड़,,डॉ मनीष श्रीमाली, सुभाष बोहरा, डॉ बलिदान जैन, डॉ. अमी राठौड़, डॉ. हीना खान, डॉ. सुनीता मुर्डिया , डॉ. नीरू राठौड़, डॉ. भवानीपाल सिंह राठौड़, डॉ. अमिया गोस्वामी, डॉ. नवीन विश्नोई, प्रो. एसएस चौधरी, डॉ. अवनिश नागर, डॉ. चन्द्रेश छतलानी, डॉ. लाला राम जाट, डॉ. सुनील चौधरी, डॉ. बीएल श्रीमाली, डॉ. एजाज हुसैन, डॉ. कुल शेखर व्यास, डॉ. यज्ञ आमेटा, डॉ. अपर्णा श्रीवास्तव, डॉ. गुणबाला आमेटा, सहित बड़ी संख्या ऑन लाईन व शिक्षा संकाय से जुड़े महाविद्यालयों के प्रतिभागी मौजूद थे।
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें