विद्यापीठ करेगा - अरावली पुनर्जीवन केन्द्र की स्थापना अरावली पुनर्जीवन पर हो शोध कार्य - प्रो. सारंगदेवोत

 विद्यापीठ करेगा - अरावली पुनर्जीवन केन्द्र की स्थापना


अरावली पुनर्जीवन पर हो शोध कार्य - प्रो. सारंगदेवोत 



विवेक अग्रवाल

उदयपुर संवाददाता (जनतंत्र की आवाज) 5 जनवरी। अरावली पुनर्जीवन, जल, जंगल, जमीन को बचाने एवं आमजन को जागरूक करने व इन विषयों पर शोध करने के उद्देश्य से शुक्रवार को जनार्दनराय नागर राजस्थान विद्यापीठ डीम्ड टू बी विश्वविद्यालय के प्रशासनिक भवन में मैग्सेसे पुरस्कार से सम्मानित व जल पुरूष से ख्यातनाम डॉ. राजेन्द्र सिंह की अध्यक्षता में हुई बैठक में पर्यावरण के नुकसान को लेकर अनेक विषयों पर चर्चा की गई। उन्होंने कहा कि दिनों दिन अरावली की पहाड़ियॉ मर रही है जो हम सभी के लिए चिंता का विषय है। अरावली का खनन बंद करने व जल, जंगल एव जैव विविधता को बचाने हेतु 1992 में तरूण भारत संघ व आमजन के प्रयासों से ‘‘ अरावली संरक्षण कानून ’’ पारित किया गया जिसमें सात तरह के जंगल को इसमें शामिल किया गया था , लेकिन हाल ही में इसमें बदलाव करते हुए सिर्फ रिजर्व फोरेस्ट को ही इस काननू में माना है बाकि अन्य इससे बाहर कर दिये। डॉ. सिंह ने कहा कि हम माईनिंग के खिलाफ नहीें हैं, लेकिन हेल्थी माईनिंग हो हम इसके पक्षधर हैं, जिससे पर्यावरण व आमजन को भी इसका नुकसान नहीं हो। पहाड़ियों के कटने से अनेकों नदियॉ मृत प्रायः हो गई हैं , जिससे हमारी संस्कृति, सभ्यता भी नष्ट हो रही है जिसका पर्यावरण व रोजगार पर असर पड़ रहा है। अरावली पर्वतमाला के कटने से आमजन पर पड़ने वाले प्रभावों पर शोध करने पर जोर दिया। 

इस अवसर पर कुलपति प्रो. शिवसिंह सारंगदेवोत ने कहा कि शोध ऐसा हो जिससे आमजन को फायदा हो, इसी को ध्यान में रखते हुए पर्यावरण को बचाने, आमजन को जागरूक व इन विषयों पर शोधार्थियों को शोध के प्रति प्रेरित करने व सामग्री मुहया कराने के उद्देश्य से विश्वविद्यालय में ‘‘ सेन्टर फॉर अरावली रिजूवेशन ( अरावली पुनर्जीवन केन्द्र ) की स्थापना की जायेगी जो शोधार्थियों की हर तरह से मदद करेगा। उन्होंने कहा कि सबसे अधिक अरावली पर्वत हमारे मेवाड़ में हैं, इसके संरक्षण की जरूरत है। आज नदियॉ नालों का रूप लेती जा रही हैं। व्यक्ति अपने स्वार्थ में नदियों की सीमाओं को कम करता जा रहा हैं जो उसी के लिए नुकसान देह है। 

 इस अवसर पर विश्वविद्यालय के भूगोल एवं पर्यावरण संकाय के सदस्य डॉ. तरूण श्रीमाली, डॉ. युवराज सिंह राठौड़, डॉ. पंकज रावल, डॉ. शैली मेहता, डॉ. हरीश मेनारिया, आदित्य शेखावत उपस्थित थे। यह जानकारी निजी सचिव केके कुमावत ने दी।

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