सुखाड़िया विश्वविद्यालय ने बीपीएड पाठ्यक्रम को लेकर फ़ैलाई जा रही भ्रांति को लेकर माध्यमिक शिक्षा निदेशक को दर्ज करवाई आपत्ति*
*सुखाड़िया विश्वविद्यालय ने बीपीएड पाठ्यक्रम को लेकर फ़ैलाई जा रही भ्रांति को लेकर माध्यमिक शिक्षा निदेशक को दर्ज करवाई आपत्ति*
उदयपुर संवाददाता (जनतंत्र की आवाज) 11 दिसंबर। मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय की ओर से निदेशक, माध्यमिक शिक्षा, बीकानेर को एक पत्र लिखकर बीपीएड के पाठ्यक्रम को लेकर फैलाई जा रही भ्रांति पर कड़ी आपत्ति जताई है।
विश्वविद्यालय की कुलपति प्रोफेसर सुनीता मिश्रा ने कहा कि हाल ही में निदेशक, माध्यमिक शिक्षा की ओर से सभी जिला शिक्षा अधिकारियों को एक पत्र लिखा गया है,जिसमें कर्मचारी चयन बोर्ड द्वारा सीधी भर्ती में चयनित शारीरिक शिक्षकों में से कुछ शिक्षकों की डिग्री पर एनसीटीई की मान्यता के मुद्दे के कारण नियुक्ति रोकने का आदेश दिया था। जिला शिक्षा अधिकारियों को लिखे इस पत्र में सात विश्वविद्यालय का जिक्र था जिसमें मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय का जिक्र भी था। उक्त पत्र को आधार बनाते हुए समाचार पत्रों ने इस प्रकार की खबर प्रकाशित की थी कि सरकार ने सुखाड़िया विश्वविद्यालय की बीपीएड डिग्री को लेकर ब्लैकलिस्टेड कर दिया है जबकि इसमें कोई सच्चाई नहीं है। उक्त पत्र पर आपत्ति दर्ज करते हुए विश्वविद्यालय की ओर से कुलसचिव विनय पाठक ने निदेशक को लिखे पत्र में कहा है कि सुखाड़िया विश्वविद्यालय राज्य विश्वविद्यालय है और अपने सर्वोच्च शैक्षणिक वातावरण के लिए जाना जाता है ऐसे में विभाग के उक्त आदेश से मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय की बीपीएड की तमाम डिग्रियों पर सवालिया निशान लग गया है। इससे विश्वविद्यालय की छवि भी धूमिल हो रही है जबकि ऐसा नहीं है। कुछ चयनित शारीरिक शिक्षकों की डिग्री का जो मुद्दा है वह तत्कालीन संबंधित महाविद्यालय की गलती की वजह से हुआ है। इसके लिए संबंधित विश्वविद्यालय का नाम खराब नहीं किया जा सकता। ना ही विश्वविद्यालय के बीपीएड में अध्यनरत अन्य विद्यार्थियों को कठघरे में खड़ा किया जा सकता है। कुल सचिव ने पत्र में कहा कि इस तरह के आदेश से विद्यार्थियों के बीच भ्रांति का माहौल बनता है और अविश्वास पनपता है।
विश्वविद्यालय द्वारा लिखे गए पत्र में आग्रह किया गया है कि यदि शिक्षा विभाग को चयनित जिन विद्यार्थियों की डिग्री पर आपत्ति है केवल उनका नाम ही जारी करें ताकि अन्य विद्यार्थियों में असमंजस का माहौल न हो।
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