मानवाधिकार जागरूकता के अभाव में आमजन अपने अधिकारों से वंचित पूर्व संध्या पर हुई कार्यशाला
मानवाधिकार जागरूकता के अभाव में आमजन अपने अधिकारों से वंचित पूर्व संध्या पर हुई कार्यशाला
विवेक अग्रवाल
उदयपुर संवाददाता (जनतंत्र की आवाज)09 दिसम्बर। जो अधिकार संविधान में दिये गये है वही अधिकार मानवाधिकार में भी दिये गये है लेकिन जागरूकता के अभाव में आमजन अपने अधिकारों से वंचित है। अधिकार के साथ हमारे कई कर्तव्य भी है। मानवाधिकार से जुड़े प्रावधान और योजनाएं तो है लेकिन इसका सही क्रियान्वयन नहीं हो रहा है। इसकी जिम्मेदारी सरकार, एन.जी.ओ. के साथ-साथ हम सभी की है। हमारे समाज और समाज में लिंग भेद एक बड़ी समस्या है ऐसे में हमे बच्चियों और महिलाओं के अधिकारों को घर से ही सुनिश्चित करना होगा। उक्त विचार शनिवार को जनार्दनराय नागर राजस्थान विद्यापीठ (डीम्ड टू बी विश्वविद्यालय) के संघटक विधि महाविद्यालय के प्रशासनिक भवन में मानवाधिकार दिवस की पूर्व संध्याॅ पर आयोजित व्याख्यानमाला में राजस्थान हाईकोर्ट जोधपुर के पूर्व न्यायाधीश एवं राज्य मानवाधिकार आयोग के सदस्य आर.सी. झाला ने बतौर मुख्य अतिथि व्यक्त की। झाला ने मानवाधिकार की प्रक्रिया को बताते हुए कहा कि आम व्यक्ति के अधिकारों की रक्षा करने का जिम्मा विधि के विधार्थियों का है। इसमें अपील करने का बहुत ही सरल तरीका है, बहुत सी बार आयेाग के सदस्य अखबारों की सूचना से भी उस विषय पर संज्ञान ले लेता है।
अध्यक्षता करते हुए कुलपति प्रो. एस.एस. सारंगदेवोत ने कहा कि हमारे धार्मिक गंथों में भी मावाधिकारों की रक्षा की बात कही गयी है, उसी के अनुरूप 10 दिसम्बर 1़948 को संयुक्त राष्ट्र महासभा ने विश्व मानवाधिकार घोषणा पत्र जारी कर पहली बार मानवों के अधिकारों के बारे में बात रखी थी वर्ष 1950 में संयुक्त राष्ट्र ने हर वर्ष आज के दिन यह दिवस मनाया जाता है। इसका मुख्य उद्देश्य किसी भी इंसान की जिंदगी , आजादी , बराबरी व सम्मान के अधिकारों के बारे में जागरूक करना और उन्हे अपना हक दिलाना। आमजन अधिकारों के बारे में बराबर है देश में लोगों के बीच नस्ल, रंग, लिंग, भाषा, धर्म, राजनीतिक या अन्य विचार , राष्ट्रीयता व सामाजिक, उत्तपति, सम्पत्ति, जन्म आदि के बारे में भेदभाव नहीं हो सकता। उन्होने कहा कि शैक्षणिक पाठ्यक्रमों में मानवाधिकार से जुड़े अध्यायों को प्रमुखता से शामिल किया जाए इसके जरिए नई पीढ़ी को मानवाधिकारों के प्रति सजग और संवेदनशील बनाया जा सके। महात्मा गांधी ने कहा था कि सामाजिक समरसता और लोकतान्त्रिक मूल्यों को बनाए रखने के लिए मानवाधिकारों का संरक्षण नितान्त आवश्यक है। प्रारंभ में अतिथियों का स्वागत करते हुए प्राचार्य डाॅ0 कला मुणेत ने कहा देश को आजाद हुए भले ही कई दशक बीत चुके हों, लेकिन वर्तमान में भी शोषण पूरी तरह खत्म नहीं हुआ है। महिलाओं में घूंघट और अंगूठे की निशानी सदियों से चली आ रही है। इसके लिए हमे परिवर्तन लाने की जरूरत है। समारोह में महाविद्यालय द्वारा आयेाजित विभिन्न प्रतियोगिता में विजयी प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र व स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया गया। संचालन डाॅ. विनिता व्यास ने किया । इस अवसर पर सहायक कुल सचिव डाॅ. धमेन्द्र राजोरा, डाॅ. मीता चैधरी, डाॅ. सुरेन्द्र सिंह चुण्डावत, डाॅ. प्रतीक जांगिड, डाॅ. के.के. त्रिवेदी, भाुन कुंवर सिंह, छत्रपाल सिंह, डाॅ. ज्ञानेश्वरी सिंह राठौड, डाॅ. रित्वी धाकड, अंजु कावडिया, डाॅ. लोकेन्द्र सिंह राठोड, चिराग दवे सहित अकादमिक सदस्य उपस्थित थे।
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें