प्रेरक वयक्तित्व लच्छीराम जी चूड़ीवाला की समाधी स्थल पर किया जाएगा छाता वितरण।*
*जननी जने तो ऐसा जने के दाता के सुर नी तो रिजे बांझडी, मत ना गवा जे नूर*
*प्रेरक वयक्तित्व लच्छीराम जी चूड़ीवाला की समाधी स्थल पर किया जाएगा छाता वितरण।*
*संस्कृति के थे पुजारी*
*सृजनता के धाम थे*
*वसुंधरा के थे उपासक*
*शील से धन्य नाम थे*
*दानवीर महान थे*
*विप्र-गौ सेवी निराले*
*धर्मभूसण, धर्मसेवक*
*सेठ श्री लच्छीराम थे*
लक्ष्मणगढ़।
नगर के ऐतिहासिक *रामलीला मैदान* के उत्तर में स्थित दानवीर सेठ *स्व श्री लच्छीराम जी चूड़ीवाला के समाधी स्थल पर* श्री ऋषिकुल विद्यापीठ के तत्वावधान में आज 20 अप्रेल को जरूरतमंद लोगों को भीषण गर्मी से बचाव के लिए छातों का वितरण किया गया। समाधी के जीर्णोद्धार एवं विकोसोन्मुखी कार्यों के तहत विद्यापीठ द्वारा अनेकों अभिनव सेवा प्रकल्प एवं नेक कार्य किए जा रहे हैं। *कार्यक्रम संयोजिका श्रीमती संगीता चूड़ीवाला ने बताया कि जीवन सफल के साथ साथ संतोषजनक भी होना चाहिए और संतोषी जीवन और दानवीरता के पर्याय सेठ जी की समाधी पर यह कार्य प्रत्येक माह की अमावस्या तिथि को किया जाता है । इन्होंने बताया कि स्व. लच्छीराम जी को इन्होंने देखा तो नहीं है लेकिन सुनते आए हैं कि परिवार समाज को देखने का इनका निस्वार्थ नजरिया होता था। इस दायित्व को हमें साहस के साथ निभाना होगा* ताकि समाज के हर घटक को सही धारा मे ले जाया जा सके।
* कर्मठता के धनी वयक्तित्व रहे दानवीर सेठ लच्छीराम जी चूड़ीवाला जी के जीवन संघर्ष एवं सफलता की कहानी देश की युवा पीढ़ी को सपने देखने एवं महत्वाकांक्षा रखने की प्रेरणा देती है।ये राजस्थान की वीर प्रसविनी वसुंधरा के दानवीर सपूत थे, जिन्होंने भारतीय संस्कृति एवं सदाचार के लिए भटकती हुई मानवता को मार्ग बताने के लिए अपने श्रम, समय एवं शरीर के सहयोग के साथ प्राणों से प्यारे धन का मुक्त हस्त से सहयोग करके इस भव्य ईमारत को खड़ा किया। भाद्रपद शुक्ल प्रतिपदा संवत 2000 को इन्होंने नश्वर शरीर का त्याग किया, परंतु इनके सुकृत्यों की गाथा इनकी दानवीरता की गाथा कहते हैं, जिनको वर्तमान पीढ़ी ने जीवित रखने का किंचित प्रयास करते हुए अनेकों सेवा प्रकल्पों का संचालन निष्पादित कर रहे हैं। ऐसे कार्यक्रम के माध्यम से विद्यापीठ का उद्देश्य है कि नगर के अंतिम छोर पर बैठे जरूरतमंद लोगों के लिए एक खुशी का दीपक जलाएं।
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