नागौर जिले के गुडला जागीरदारों का रानी श्री महल मूसलाधार बारिश डेढ़ घंटे वर्षा से ढ़हा
*नागौर जिले के गुडला जागीरदारों का रानी श्री महल मूसलाधार बारिश डेढ़ घंटे वर्षा से ढ़हा
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*आज दिनांक 31.7.2025 को नागौर जिले का करीब करीब सभी गांव में हल्की फुहार वाला प्रातः कालीन समय रहा अचानक करीब 11:50 पर झमाझम वर्षा का दौर शुरू हो गया ,,, इस दौरान ग्राम गुड़ला के जागीरदारों की रानी श्री का महल अचानक भर भरा कर गिर गया । यह तो गनीमत रही की कोई उसके आसपास जानवर और कोई मनुष्य या बच्चा नहीं था।
यह महल जैसा कि ठाकुर साहब श्री फतेह सिंह राठौड़ ने बताया कि जोधपुर दरबार के अधीन यह जागीरदारों का गढ़ था और मेरे सुनने में ढाई सौ वर्ष पहले का है लेकिन हो सकता है कि 250 से भी ज्यादा समय पहले का हो।। उन्होंने बताया कि जैसा कि उन्हें याद है । अब उनकी अवस्था लगभग 95 वर्ष से ऊपर है। बताएं अनुसार मेरी मां के बेटे के पिता के जो कवरानीं सा विवाह संस्कार में बंध कर आई थी, तो गांव के पंडित उस समय के *आज से लगभग 250 वर्षों पहले* के ने जब वर तथा वधू का गठजोड़ा खोला, तो उसमें उस प्राचीन काल की सोने व चांदी की मोहरें निकली थी ।उसे समय के पंडित जी महाराज गदगद हो रहे होंगे।। और महारानी जी इंदौर की ही थी ।वह अपने साथ शाही अंदाज में अपने पिता से नौकर चाकर लेकर आई थी ❓ और विशेषता यह रही कि उनकी चारपाई के चारों पायों पर सोने चांदी से जड़ित थे ।। जो महल आज भरभरा कर गिर गया है । उसमें ईश्वर की गनीमत यह रही की कोई जान माल की क्षति नहीं हुई ।
वह समय था कि इस महल में शाही शादी हुई थी ।।। लेकिन उन महारानी साहिबा के संतानों उत्पति नहीं हुई ।और दत्तक पुत्र यहां से अपने माई के अर्थात इंदौर जाने के बाद दत्तक पुत्र गोद लिया गया, जिसका नाम शत्रुंजय प्रताप सिंह रखा गया ।इस प्रकार वे शत्रुंजय प्रताप सिंह उनके सुपुत्र दत्तक पुत्र यहां आकर आसानी ने अपनी संपत्ति और अपने छोटे भाई फतेह सिंह की भी बेचकर यहां से संपूर्णता पलायन कर गए थे।
वर्तमान ठाकुर साहब श्री फतेह सिंह जी के भाई के बेटे स्वर्गीय मोती सिंह जी अपनी जन्मभूमि और अपने बुजुर्गों की भूमि से लगाव के कारण वह अपनी पत्नी के कहने से नहीं गए ।और अपना शेष जीवन यहीं पर ही गरीबी अवस्था में व्यतीत किया। वें भी 100 वर्ष की आयु प्राप्त करके ही देवलोक गमन गए थे। और विधि के विधान अनुसार उनका समय आ गया,और मोती सिंह जी राठौड़ जिनका स्वर्गवास हो चुका। उनकी सेवा सुश्रुषा कृष्णा कंवर और उनके पति श्री विजय सिंह ने ही की थी, और हरिद्वार तक उनकी अस्थियां विसर्जन और क्रिया कर्म इन्हीं के हाथों हुआ था । वह दत्तक पुत्र शत्रुंजय प्रताप सिंह तो अपने पिता के लगभग तीन माह उपरांत आकर उल्टा अपने भाई फतेह सिंह उनके पुत्र विजय सिंह उनकी धर्मपत्नी कृष्णा कंवर के ऊपर मुकदमा दायर कर दिया कि मेरे पिता को जबरन इन्होंने मारा है जबकि उनके हिस्से की अब कुछ कुछ भी संपत्ति नहीं है ❓ उनकी महारानी माता ने बहुत साल पहले गुपचुप ही बेचान कर दी थी ।।और रही सही कसर स्वर्गीय शत्रुंजय प्रताप सिंह ने कर दी⁉️ यह तो असर किया मोती सिंह जी और यहां फतेह सिंह जी जिनकी आयु 95 वर्ष है। ने अपना गुर्जर बसर विजय सिंह है जो की रोजाना नागौर में किसी निजी कार्य को करते हुए अपना जीवन यापन कर रहे थे। वर्तमान में कुछ अच्छा समय आया ही था । लेकिन ईश्वर का वर्ज प्रहार ऐसा रहा ,की 24 जुलाई 2025 को कृष्णा कंवर का बीकानेर के निजी अस्पताल में हार्ट अटैक आने से स्वर्गवास हो गया। ईश्वर दिवंगत आत्मा को शांति प्रदान करें 🙏🏼 और उनके परिजनों को इस वर्ज के समान प्रहार को सहन करने की सहनशक्ति प्रदान करें यही हमारी ईश्वर से प्रार्थना रहेगी।
रिपोर्टर वॉइस ऑफ़ मीडिया राजस्थान
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