शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने तथा हृदय रोग के उपचार में उपयोगी नीमगिलोय।
शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने तथा हृदय रोग के उपचार में उपयोगी नीमगिलोय।
आयुर्वेदिक चिकित्सा में जड़ी-बूटियों की विशाल संख्या के बावजूद, गिलोय सबसे लोकप्रिय पौधा है जिसे हिंदी में अमृता या गुडूची या नीमगिलोय के नाम से जाना जाता है यह आयुर्वेदिक चिकित्सा में अत्यधिक मूल्यवान जड़ी बूटी है जिसके कई औषधीय उपयोग हैं इसका उपयोग सदियों से यूनानी और आयुर्वेदिक चिकित्सा प्रणालियों में किया जाता रहा है। यह भारतीय उपमहाद्वीप का मूल निवासी है, लेकिन यह दक्षिण अफ्रीका, ऑस्ट्रेलिया, थाईलैंड, इंडोनेशिया, मलेशिया, उत्तरी वियतनाम, बांग्लादेश, चीन और अन्य देशों के उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में भी पाया जाता हैं। यह मुख्य रूप से शरीर की प्रतिरक्षा बढ़ाने और बुखार कम करने वाले गुणों के लिए जाना जाता है, लेकिन इसके अलावा पाचन, रक्त शर्करा प्रबंधन और श्वसन संबंधी रोगों के उपचार में भी लाभदायक है इसमें दिल के आकार के पान के पत्तों के समान पत्ते होते हैं।
श्री भगवानदास तोदी महाविद्यालय के वनस्पति विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ जितेन्द्र कांटिया ने बताया कि जब चिकित्सीय क्षेत्र और एलोपैथिक में दवाएं लोकप्रिय नहीं थीं तब लोग एक या एक से अधिक जड़ी-बूटियों को एक विशेष गुणवत्ता और मात्रा के संयोजन से फाइटोमेडिसिन के रूप में उपयोग करते थे जिन्हें वनस्पति दवाओं के रूप में भी जाना जाता है इन दवाओं का उपयोग तब रोग निदान, सौंदर्य प्रसाधन और मानव तथा पशु रोगों के उपचार के लिए किया जाता था। भारतीय आयुर्वेद साहित्य में गिलोय के पौधे का उल्लेख एक शक्तिशाली औषधि के रूप में किया गया है। इसे एक शक्तिशाली प्रतिरक्षा मॉड्यूलेटर और कड़वा टॉनिक माना जाता है। इस पौधे के सभी भागों का उपयोग आयुर्वेदिक चिकित्सा में विभिन्न रोगों के उपचार में किया जाता है। हालाँकि इसके तने में सबसे ज्यादा लाभकारी यौगिक उपस्थित होते हैं। हालही कोरोना काल के दौरान इस पादप का सर्वाधिक उपयोग किया गया। इसका वनस्पति नाम टीनोस्पोरा कार्डिफोलिया है यह मेंनिस्पर्मेंसी कुल का सदस्य है यह स्वाद में कड़वी और तासीर में गर्म होती है। चयापचय के बाद, यह मीठी और भारी प्रकृति की हो जाती है। इसमें भूख बढ़ाने वाले और पाचक गुण पाए जाते हैं जो पाचन को बेहतर बनाने में मदद करते हैं। गिलोय अपने त्रिदोष संतुलन गुणों के कारण अत्यधिक महत्वपूर्ण हैं यह प्यास, दर्द और जलन को कम करने में सहायक है। इसमें एंटीऑक्सीडेंट भरपूर मात्रा में होते हैं जो कोशिकाओं को नुकसान से बचाने और संक्रमण से लड़ने में मदद करते हैं। इसलिए इसका उपयोग शरीर की प्राकृतिक रक्षा प्रणाली को बढ़ाने और विभिन्न बीमारियों से लड़ने के लिए किया जाता है। इसके नियमित सेवन से शरीर को अत्यधिक फायदा होता है इसका कड़वा स्वाद मधुमेह के रोगियों में रक्त शर्करा के स्तर को नियंत्रित करने में मदद करता है। यह चयापचय में सुधार करके वजन घटाने में भी सहायक है। इसका ताजा रस पीने से रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है और इसकी ज्वरनाशक क्षमता के कारण बुखार को नियंत्रित करने के लिए इसका उपयोग किया जाता है। यह प्लेटलेट काउंट भी बढ़ाता है और डेंगू बुखार में मदद करता है गिलोय पाउडर, काढ़ा (चाय), या गोलियों का उपयोग विभिन्न त्वचा समस्याओं के लिए उपयोगी है क्योंकि यह शरीर से विषाक्त पदार्थों को निकालने में मदद करता है। शरीर के घाव भरने की प्रक्रिया को तेज़ करने के लिए त्वचा पर इसके पत्तों का पेस्ट लगाते हैं क्योंकि यह कोलेजन उत्पादन और त्वचा पुनर्जनन को बढ़ाने में सहायक है।
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