हिंदू पौराणिक कथाओं में गूलर है एक पवित्र वृक्ष ।

 हिंदू पौराणिक कथाओं में गूलर है एक पवित्र वृक्ष ।




गूलर का वृक्ष हिंदू पौराणिक कथाओं में एक पवित्र वृक्ष माना जाता है इसकी ऊंचाई लगभग 80 से 90 फीट तक होती है यह वृक्ष बरगद, पीपल व अंजीर कुल का सदस्य है इसके फल अंजीर के जैसे दिखाई देते हैं । बौद्ध धर्म में इसे नीला कमल के नाम से जाना जाता है। इसकी लकड़ी पवित्र अनुष्ठानों में उपयोग की जाती है ।

 श्री भगवानदास तोदी महाविद्यालय के वनस्पति विभाग के विभागाध्यक्ष डॉक्टर जितेंद्र कांटिया ने बताया कि उपरोक्त विशेषताओं के अलावा गूलर जिसे वैज्ञानिक भाषा में फाइकस रेसिमोसा कहा जाता है यह है औषधीय गुणों से भरपूर बहुमूल्य वृक्ष है इस वृक्ष का उपयोग विभिन्न रोगों के उपचार में किया जाता है इसकी पत्तियां, छाल, जड़ व फल आदि सभी औषधि में उपयोग किए जाते हैं यह वृक्ष मधुमेह रोग उपचार में अत्यधिक उपयोगी है क्योंकि यह रक्त शर्करा को नियंत्रित करता है इसके अलावा यह यकृत विकार में, दस्त, सुजन, बवासीर, पाचन सम्बन्धी, त्वचा संबंधी रोगों के उपचार में उपयोगी है। यह वृक्ष प्रतिरोधी गुणों से भरपूर होता है इसकी सूखी छाल का पेस्ट घाव भरने में, दांतों में पायरिया रोग को ठीक करने में उपयोग की जाती है । इसकी छाल गले की खराश को दूर करने में, फोड़ा फुंसी, एनीमिया ल्यूकोडर्मा जैसे रोगों को ठीक करने में उपयोग की जाती है

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