राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन
राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन
घस्सू।मोहिनी देवी गोयनका गर्ल्स बी एड कॉलेज,घस्सू, लक्ष्मणगढ़ में भारतीय सामाजिक अनुसंधान परिषद्,नई दिल्ली द्वारा राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020: भारतीय ज्ञान परंपरा एवं आधुनिक शिक्षा विषय पर प्रायोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का शुभारंभ दिनांक 12 अप्रैल 2025 को हुआ। संयोजक व प्राचार्य डा.राकेश कुमार ने अतिथियों का स्वागत पुष्प गुच्छ, शॉल, स्मृति चिन्ह प्रदान कर एवं साफा पहना कर सम्मान किया। संगोष्ठी के समन्वयक डॉ राकेश पारिक ने संगोष्ठी के विषय से अतिथियों एवं प्रतिभागियों को परिचित कराया। संगोष्ठी के उद्घाटन सत्र के अध्यक्ष एवं मुख्य अतिथि प्रोफेसर शिरीष पाल सिंह, एनसीईआरटी, नई दिल्ली, विशिष्ट अतिथि प्रो चंदन सहारण, महर्षि अरविंद यूनीवर्सिटी जयपुर, व मुख्य वक्ता के रूप में प्रो.रेणु यादव, केंद्रीय विश्वविद्यालय, महेंद्रगढ, हरियाणा, मंच पर उपस्थित रहे।वक्ताओं ने भारतीय ज्ञान परंपरा की वर्तमान में प्रासंगिकता, महत्त्व व आवश्यकता पर अपने विचार प्रकट किए। उन्होंने अपने उद्बोधन में कहा कि विद्यालयी व उच्च शिक्षा पाठ्यक्रम में व्यवस्थित तरीके से पुरातन ज्ञान व विज्ञान का समावेश करना चाहिए ताकि युवावर्ग इससे लाभान्वित हो सके। संगोष्ठी का संचालन सह समन्वयक अनामिका यादव द्वारा किया गया। धन्यवाद ज्ञापन डॉ इंदिरा कुमारी द्वारा किया गया।
समूह परिचर्चा सत्र की अध्यक्षता डॉ वेदप्रकाश रेडू़ ने की जबकि सदस्यों के रूप में डॉ मोहन सिंह शेखावत, डॉ आर.के.शर्मा व डॉ स्नेहलता ढ़ाका ने विचार व्यक्त किए।इस सत्र का संचालन राकेश पारीक द्वारा किया गया। तकनीकी सत्र में देश के विभिन्न विश्वविद्यालयों एवं महाविद्यालयों के प्रतिभागियों ने अपने शोध पत्र एवं आलेख प्रस्तुत कर अपने विचार साझा किया। तकनीकी सत्र का संचालन अनामिका यादव द्वारा किया गया। इसी के साथ संगोष्ठी के प्रथम दिवस का समापन हुआ। संगोष्ठी के दूसरे दिन 13 अप्रैल 2025 को विभिन्न तकनीकी सत्रों में 100 से अधिक शोध पत्रों का वाचन किया गया। इसके उपरांत संगोष्ठी के संपूर्ति सत्र के मुख्य वक्ता डॉ संजीव कुमार, पंडित दीन दयाल उपाध्याय शेखावाटी विश्वविद्यालय ने अपने वक्तव्य में रामायण और प्राचीन साहित्य पर चर्चा की, साथ ही विशिष्ट अतिथि डॉ जितेंद्र लोढ़ा, आर एल सहारिया पी जी कॉलेज ने अपने व्याख्यान में आधुनिक शिक्षा में हमारी संस्कृति और मूल्यों को जोड़ने की बात की। इसी क्रम में सम्पूर्ति सत्र के अध्यक्ष प्रो बी एल जैन, जैन विश्व भारती विश्वविद्यालय ने अपने व्याख्यान में भारतीय संस्कृति और विदेशी संस्कृति के अंतर को बताते हुए भारतीय ज्ञान परंपरा के महत्व को बताया। इसके उपरांत बीएड की छात्राओं स्नेहा, सपना, भावना, साहिन, एवं योगिता द्वारा सांस्कृतिक प्रस्तुतियां दी गई।
संगोष्ठी में 157 ऑनलाइन एवं 60 से ज्यादा ऑफलाइन पंजीकरण। इस प्रकार संगोष्ठी में लगभग 220 से अधिक प्रतिभागियों ने प्रतिभाग किया। 220 प्रतिभागियों की सहभागिता और विभिन्न विद्वानों के व्याख्यान ने इस राष्ट्रीय संगोष्ठी को सफल बनाने का कार्य किया
Aapka management achha tha aur sabhi participates ko moka diya .presentation ka
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