भारतीय ज्ञान प्रणाली में परंपरागत पंचांग प्रशिक्षण की गुरु शिष्य पद्धति विषयक 9 दिवस कार्यशाला जारी आचार्य पंडितश्री नटवरलाल जोशी जी की स्मृति -आवासीय प्रशिक्षण क्रमशः -प्रायोगिक सत्र -वैदिक मंत्रों की गूंज

 -भारतीय ज्ञान प्रणाली में परंपरागत पंचांग प्रशिक्षण की गुरु शिष्य पद्धति विषयक 9 दिवस कार्यशाला जारी आचार्य पंडितश्री नटवरलाल जोशी जी की स्मृति 

-आवासीय प्रशिक्षण क्रमशः 

-प्रायोगिक सत्र 

-वैदिक मंत्रों की गूंज 




लक्ष्मणगढ़ 25 मार्च 

आचार्य पंडितश्री नटवरलाल जोशी जी की स्मृति में भारत सरकार शिक्षा मंत्रालय केंद्रीय विश्वविद्यालय नई दिल्ली मीडिया फाउंडेशन के संयुक्त तत्वाधान में साहित्य परिषद गौड़ ब्राह्मण महासभा द्वारा आयोजित भारतीय ज्ञान प्रणाली में पंचांग प्रशिक्षण की गुरु शिष्य पद्धति विषयक  दिवस कार्यशाला 



आयोजन में सूत्रधार शशिकान्त जोशी तथा समिति के संरक्षक सत्यनारायण नाहरिया के अनुसार शान्ति विधान तथा शान्ति पाठ से परिचय पंडित गोवर्धन शास्त्री द्वारा करवाया गया।  श्री विद्या पंचांग के निर्माता आचार्य महेंद्र जोशी द्वारा राहु काल के बारे में रात दिन का चौघड़िया देखने की विधि बताई।


वाराणसी से पधारें श्री किशन महाराज किशनगंज बिहार गंड मूल शांति का विधान बताया। 


युवा ज्योतिष विद्वान नवीन जोशी ने दुर्गा सप्तशती का सामूहिक पाठ करवाया । पण्डित बलराम शर्मा, पण्डित मनोज पाराशर ने विविध प्रश्नों के माध्यम से विशेष वक्ताओं से संवाद किया।  


फतेहपुर से आए ओम प्रकाश हरितवाल ने अपने गुरु आचार्य जोशी जी को याद करते हुए अपने जीवन के कई संस्मरण सुनाये स्तुति पाठ का महत्व बताया । ज्योतिष में ग्रहों की विपरीतता को स्तोत्र और स्तुतियों के माध्यम से नियन्त्रित करने के विधान पर वृहद संवाद किया। 


ओमप्रकाश सराफ -नवलगढ़ ने भी अपने विचार रखे व इस तरहकी प्रशिक्षण शिविर का आयोजन नवलगढ़ में भी करवाने की इच्छा प्रगट की। 


कमल मिश्र -नवलगढ़ ने आचार्य जोशी को स्मरण किया, उनके द्वारा संचालित गुरु-शिष्य परम्परा के प्रयास, शेखावाटी में सनातन संस्कृति को संरक्षित करने में उनके योगदान को याद किया। शास्त्र होना महत्वपूर्ण हैं, पर उनके ज्ञाता ही न होंगे तो फिर वे केवल रद्दी भर हो जायेंगे। इस दृष्टि से आचार्य जोशी जी विगत आठ दशक से शास्त्र चर्चा के सत्र, प्रशिक्षण वर्ग चलाये रखे हुए थे, अब उनका परिवार और नगर के लोग सक्रिय हैं, यह प्रयास स्तुत्य हैं। 


रामस्वरूप बासोतिया-नवलगढ़ ने शेखावाटी की समृद्ध पंडित परम्परा को स्मरण किया, नवलगढ़ के सौ साल के पंचांग बनाने वाले ईश्वरदत्त जोशी के योगदान को बताया। 


सामाजिक कार्यकर्ता दीनदयाल जोशी में प्रशिक्षुओं से अधिकतम समय देने, मेहनत के साथ अपने पांडित्य कर्म में परिपक्वता लाने पर बल दिया। 


बालकृष्ण जोशी ने मास विचार पर अपनी जिज्ञासा को रखा, विभिन्न संशय का समाधान चाहा जिसको विद्वान प्रशिक्षकों द्वारा किया गया। कमलेश मिश्र ने वैदिक सूक्त पाठ किया और उसका भाव स्पष्ट किया 


आयोजन में ओम प्रकाश नागवान, प्रवीण जोशी, अनूप खुड़ीवाला, पवन सुरोलिया, राजू सुरोलिया, अध्यवसायी गणेश शर्मा, दिनेश मारोठवाला, राज्य कर्मचारी अविनीश मुद्गल, महेश बहड़ आज निरीक्षण हेतु पधारें । 


सभी मेहमानों का दुपट्टा पहना कर, पुस्तकें देकर सम्मान किया गया।

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