मोबाइल फोन के उपयोग और दुरुपयोग
यह जानकारी श्रीमान विनोद शर्मा "जनतंत्र की आवाज" को दी। शीश राम यादव (अध्यापक) राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय महावा (नीमकाथाना) "मोबाइल फोन के उपयोग और दुरुपयोग
" मोबाइल फोन हमारे दैनिक जीवन में कई तरह से हमारी मदद करते हैं, इसे आसान और सुविधाजनक बनाते हैं। लेकिन, मोबाइल फोन तब तक वरदान है जब तक उनका उपयोग उद्देश्यों के लिए किया जाता है। जब बिल्कुल भी जरूरत न हो, तो तब भी एक निश्चित सीमा से ज्यादा उनका उपयोग करना उपयोग नहीं बल्कि दुरुपयोग है। मोबाइल फोन एक व्यक्तिगत संचार उपकरण है, जिसका उपयोग कॉल करने और प्राप्त करने, और संदेश भेजने और प्राप्त करने, इंटरनेट तक पहुंचने और वायरलेस के कनेक्शन के माध्यम से अन्य कार्य करने के लिए किया जाता है। मोबाइल फोन हमारे जीवन का एक अभिन्न अंग बन गए हैं। स्मार्टफोन के बिना जीवन आसान नहीं है। स्मार्टफोन आधुनिक जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, क्योंकि वह हमें लगभग हर जगह से संवाद करने, इंटरनेट एक्सेस करने, ईमेल और सोशल नेटवर्क चेक करने में सक्षम बनाते हैं। मोबाइल फोन छात्रों को शिक्षकों सहपाठियों और परिवारों के सदस्यों के साथ संपर्क में रहने की सुविधा देता है। यह आपातकालीन स्थितियों में या जब महत्वपूर्ण जानकारी को तुरंत साझा करने की आवश्यकता होती है, तो यह विशेष रूप से सहायक होता है। मोबाइल फोन छात्रों को ऑनलाइन बहुत सारी जानकारी तक पहुंचने की सुविधा देता है। मोबाइल गेम्स और वीडियो के माध्यम से मनोरंजन प्रदान करते हैं। फोन का अधिक उपयोग हमारे स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है। इससे हमारी नींद में खलल पड़ सकता है और हमारी आंखों को नुकसान पहुंच सकता है। मोबाइल फोन से निकलने वाली रेडिएशन से मानव शरीर को नुकसान हो सकता है। स्मार्ट मोबाइल फोन के इस युग में इंटरनेट होने से बच्चों को गलत जानकारियां भी मिल सकती हैं। मोबाइल फोन के कारण छात्रों की पढ़ाई लिखाई बहुत कमजोर हो गई है। रात-रात भर मोबाइल का इस्तेमाल लोगों के दिमाग को कमजोर बना देता है। मोबाइल फोन से निकलने वाले इलेक्ट्रोमैग्नेटिक विकरणों से डीएनए क्षतिग्रस्त हो सकता है। इसके अलावा मोबाइल का अधिक इस्तेमाल आपको मानसिक रोगी, कैंसर, ब्रेन ट्यूमर, डायबिटीज, हृदय रोग आदि कई बड़ी बीमारियों दे सकता है। आजकल अधिकतर लोग मोबाइल फोन में अपने गोपनीय जानकारियां से रखते हैं, जो कि गलत है। आंकड़ों के मुताबिक 12 से 18 महीने की उम्र में के बच्चों में स्मार्टफोन की इस्तेमाल की बढ़ोतरी देखी गई है। यह स्क्रीन आंखों के करीब ले जाते हैं और जिससे आंखों में नुकसान पहुंचता है। आंखें सीधे प्रभावित होने से बच्चों को जल्दी चश्मा लगने, आंखों में जलन और सूखापन, थकान जैसी दिक्कतें हो रही है। बच्चों के लिए मोबाइल और स्क्रीन टाइम काफी ज्यादा खतरनाक है, क्योंकि इसका असर बच्चों की मेंटल और फिजिकल ग्रोथ पर पड़ता है। यानी छोटी उम्र में मोबाइल और टीवी पर ज्यादा वक्त बिताने से इसका बच्चों की पर्सनालिटी डेवलपमेंट पर पड़ता है, ऐसे में सबसे खराब चीज यह हो रही है कि बच्चों का सोशल सर्कल कम हो रहा है। पढ़ाई के समय मोबाइल फोन को बंद कर दें या साइलेंट मोड पर रख दें। पढ़ाई के कमरे में मोबाइल फोन न रखें। मोबाइल फोन के लिए एक अलग समय निर्धारित करें और उस समय के अलावा मोबाइल फोन का इस्तेमाल न करें। जब आप मोबाइल फोन का इस्तेमाल कर रहे हो, तो समय-समय पर ब्रेक ले। अनुशासित तरीके से इस्तेमाल किए जाने पर स्मार्टफोन उत्पादक रूप से अध्ययन करने में मदद करता है। सीखने के लिए स्मार्टफोन का उपयोग करते समय, छात्रों को ध्यान भटकाने वाली चीजों से बचना चाहिए। ध्यान भटकने से बचने का एक सरल तरीका है कि महत्त्वहीन ऐप्स, खास कर चैटिंग या सोशल मीडिया ऐप्स के लिए, नोटिफिकेशन बंद कर दें। मोबाइल प्रौद्योगिकियों के साथ सहयोगात्मक शिक्षण छात्रों के बीच बातचीत और सहयोग को बढ़ावा देता है, सुविधाजनक बनता है और बढ़ता है। विद्वानों का मानना है कि मोबाइल उपकरणों का उपयोग शिक्षण पद्धतियों को बढ़ाने और आलोचनात्मक सोच और रचनात्मकता के 21वीं सदी के कौशल विकसित करने के लिए किया जा सकता है।
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें