बैंकों की ब्याज दरों में वृद्धि और मनमानी वसूली -

 बैंकों की ब्याज दरों में वृद्धि और मनमानी वसूली -


- कैलाश चंद्र कौशिक

जयपुर! भारतीय केंद्रीय बैंक और सभी देश के वित्त विभाग से एकाधिकार प्राप्त कर मनमानी फीस और ब्याज वसूली कर रहे हैं! इधर महिलाओं को दिये जाने वाले हॉउसिंग ऋण में सस्ती दरों में देने की लोकप्रियता बटोरते देखा गया है! अक्सर दर,फिक्स और फ्लैट रहती है, लेकिन फ्लैट रेट में दरें घटाई और बढ़ाई जाती हैं, बढ़ाने पर वसूली तो कर लेते हैं लेकिन घटने पर बार बार प्रार्थना करनी पड़ती है! इसी पद्धति से ग्राहक को नुक्सान पहुँचाया जाता है! जिससे बैंकों और सरकारों की मिली भगत होने से लाभ नहीं दिया जाता है! और मनमानी यह कि ब्याज दरों की मनमानी राशि बसूली जाकर मूल राशि कभी भी तुलनात्मक रूप से कम नहीं की जाती हैं! यह जागीरदारी प्रथा और व्यपारियो के शोषण से कम नहीं है!सरकार बैंकों के माध्यम से गरीबों और मध्यमवर्गीय जनता का स्पष्ट रूप से शोषण कर रही है और अपनी इस निकम्मेपन के लिए स्वयम सिद्ध शाबासी देती आ रही है! फिर हर्ष ध्वनि से केन्द्र और राज्य सरकारों में विधायकों और सांसदों के वेतन, भत्तों में अग्रिम स्वत: वृद्धि की हुई है! यही जन कल्याणकारी नीतियों वाली पार्टी हैं?

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