उदयपुर में विराजित सभी साधु-साध्वी भगवंतों का मिलेगा सान्निध
- उदयपुर में विराजित सभी साधु-साध्वी भगवंतों का मिलेगा सान्निध
उदयपुर जनतंत्र की आवाज। श्री जैन श्वेताम्बर महासभा के तत्तवावधान में तपोगच्छ की उद्गम स्थली आयड़ तीर्थ में रामचन्द्र सुरिश्वर महाराज के समुदाय के पट्टधर, गीतार्थ प्रवर, प्रवचनप्रभावक आचार्य हितवर्धन सुरिश्वर आदि ठाणा का चातुर्मास की धूम जारी है। महासभा के महामंत्री कुलदीप नाहर ने बताया कि बुधवार को आयड़ तीर्थ के आत्म वल्लभ सभागार में सुबह 7 बजे संतों के सानिध्य में ज्ञान भक्ति एवं ज्ञान पूजा, अष्ट प्रकार की पूजा-अर्चना की गई। वहीं सभी श्रावक-श्राविकाओं ने जैन महाभारत ग्रंथ की पूजा-अर्चना की।
नाहर ने बताया कि श्री जैन श्वेतांबर महासभा उदयपुर, श्री जैन श्वेतांबर मूर्तिपूजक श्री संग मालदास स्ट्रीट एवं अद्भुतजी तीर्थ भक्त मण्डल के संयुक्त तत्वावधान में शुक्रवार 9 अगस्त सुबह 9.30 बजे आचार्य रत्नदेव सूरि की प्रेरणा से उदयपुर के इतिहास में प्रथम बार सकल मूर्तिपूजक संघों द्वारा उदयपुर में विराजित सभी साधु साध्वी भगवंतों के सानिध्य में हाथीपोल जैन धर्मशाला से गाजे-बाजे के साथ 125 किलो का लड्डू अद्भुत तीर्थ भक्त मंडल द्वारा देहलीगेट स्थित श्री नेमिनाथ भगवान के मंदिर में प्रभु को चढ़ाया जाएगा। 125 किलो को हाथीपोल धर्मशाला से विशाला शोभायात्रा निकाली जाएगी जो विभिन्न मार्गो से होते हुए देहली गेट स्थित नेमिनाथ भगवान मंदिर पहुंचेगी जहां पर सभी भक्तों द्वारा मूलनायक भगवान को लड्डू चढ़ाया जाएगा। नाहर ने इस आयोजन में अधिक से अधिक संख्या में पधार कर शासन की शोभा बढ़ाने का आव्हान किया।
महासभा अध्यक्ष तेजसिंह बोल्या ने बताया कि आयोजित धर्मसभा में आचार्य हितवर्धन सुरिश्वर ने जैन महाभारत पर आधारित प्रवचन में बताया कि सूर्य के अस्तित्व का अस्वीकार करने से सूर्य की गैर हयाती नहीं होती उसी तरह आप स्वच्छंद बनो या नास्तिक बनो और कह दो कि हम पुण्य-पाप नहीं मानते इसमें पुण्य-पाप के फल से बच नहीं सकते। पुण्य-पाप के फल हर व्यक्ति को मीलता ही है आज नहीं तो कल, विज्ञान - नास्तिकता या स्वच्छंद उनका अस्तित्व मीटा नहीं सकते।
चातुर्मास संयोजक अशोक जैन व प्रकाश नागोरी ने बताया कि चातुर्मास के दौरान प्रतिदिन सुबह 9.30 बजे आचार्य हितवर्धन सुरश्वर द्वारा जैन महाभारत पर रोचक प्रवचन हो रहे है। इस अवसर पर तेजसिंह बोल्या, कुलदीप नाहर, अशोक जैन, प्रकाश नागोरी, सतीस कच्छारा, राजेन्द्र जवेरिया, चतर सिंह पामेचा, चन्द्र सिंह बोल्या, हिम्मत मुर्डिया, कैलाश मुर्डिया, श्याम हरकावत, भोपाल सिंह नाहर, अशोक धुपिया, गोवर्धन सिंह बोल्या आदि मौजूद रहे।
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