डॉ. पूनम दईया ने साहित्य को दी नई पहचान - प्रो. सारंगदेवोत

 डॉ. पूनम दईया ने साहित्य को दी नई पहचान - प्रो. सारंगदेवोत



उदयपुर। जनार्दनराय नागर राजस्थान विद्यापीठ डीम्ड टू बी विश्वविद्यालय के प्रतापनगर स्थित कुलपति सचिवालय के सभागार में शनिवार को डॉ. पूनम कृष्णा दईया फैलोशीप 2024 का शुभारंभ कुलपति प्रो. एस.एस. सारंगदेवोत, कुल प्रमुख भंवर लाल गुर्जर, ट्रस्टी डॉ. सुनील दईया, मीता दईया, पीठ स्थविर डॉ. कौशल नागदा ने मॉ सरस्वती की प्रतिमा के सम्मुख दीप प्रज्जवलित कर किया।

समारेाह में सोशल वर्क के अंतिम वर्ष के छात्र श्याम मेघवाल को अतिथियों द्वारा 2024 के फैलोशिप अवार्ड से नवाजा गया जिसके तहत उन्हें फैलोशिप राशि का चेक दिया गया।

अध्यक्षता करते हुए प्रो. सारंगदेवोत ने कहा कि पूनम दईया को शोध कार्य के लिए जाना जाता है, उनका शोध कार्य भारत के उल्लेखनीय शोध कार्यो में से एक है। शोध कार्य से जुडे युवा , जो दिन रात शोध की गुणवत्ता की बात करते है उनको डॉ. पूनम दईया के शोध कार्य देखने चाहिए। उन्होंने कहा कि साहित्य को जन जन तक पहुंचाने व सुदूर गांव में बैठे व्यक्ति तक शिक्षा की अलख जगाने के उद्देश्य से मनीषी पं. जनार्दनराय नागर ने राजस्थान साहित्य अकादमी व राजस्थान विद्यापीठ की स्थापना की जो आज नित नई उंचाईयों का छू रही है। उन्होने फैलोशिप प्राप्त करने वाले विद्यार्थीं को बधाई देते हुए कहा कि वह इतना कामयाब हो कि जीवन में उंचाईयों को छूकर वह भी एक ऐसा फाउण्डेशन तैयार करे जिसके माध्यम से वंचित वर्ग की सेवा कर सके। तकनीक के दौर में युवाओं में पढ़ने की प्रवृति कम होती जा रही है , वे सिर्फ किताबी ज्ञान के आधार पर ही आगे बढ़ना चाहते है जो चिंता का विषय है।

ट्रस्टी डॉ. सुनील दईया ने फैलोशिप की जानकारी देते हुए कहा कि यह ट्रस्ट प्रतिवर्ष उदयपुर स्कूल ऑफ सोशल वर्क के जरूरतमंद एवं आर्थिक रूप से कमजोर छात्र छात्राओं को आगे पढाई को प्रोत्साहन देने हेतु नकद राशि के रूप में मदद करता हैं। उन्होनें कहा कि यह फेलोशीप 2011 से निरंतर जारी है। अभी तक 17 विद्याथियों को फैलोशिप अवार्ड से नवाजा जा चुका है। ये छात्र आज उच्च पदों पर अपनी सेवाए दे रहे हैं।

मुख्य अतिथि भंवर लाल गुर्जर ने कहा कि जीवन में लेने के साथ कुछ देने की प्रवृत्ति भी रखे, चाहे जीवन हो या प्रकृति, हर चीज की अपनी एक सीमा होती है। जीवन में परोपकार की प्रवृत्ति रखनी चाहिए। जीवन में ऐसा कार्य करें जो आने वाली पीढी याद रखे। शिक्षा दान से बडा कोई दान नहीं, हमें आस-पास के क्षेत्रों में रह रहे वंचित व असहाय परिवार , जो पैसों के अभाव में उनके बच्चे आगे पढाई को निरंतर नहीं कर पा रहे हो उन परिवारजनों की अवश्य ही मदद करनी चाहिए।

प्रारंभ में प्राचार्य डॉ. अवनीश नागर ने अतिथियों का स्वागत करते हुए समारोह की जानकारी दी। डॉ. अनुकृति राव ने डॉ. पूनम दईया की जीवनी पर प्रकाश डाला।

संचालन डॉ. सीता गुर्जर ने किया जबकि आभार डॉ. अनुकृति राव ने दिया।


समारोह में बलविन्दर सिंह होड़ा, नवीन गुप्ता, दिनेश चन्द्र जोशी, ब्रजेश कुमावत, नीरज श्रीमाली, बाबुलाल ओड़, अशोक नलवाया, सुनील टेलर, डॉ. सुनील चौधरी, राजू अरोडा, मीता दईया, सूर्यमवीर सिंह दईया, शूरवीर सिंह, यशोवर्द्धन सिंह, रणजीत सिंह सांखला, पुष्पा सिंह, राजीव भटनागर, डॉ. नवल सिंह राजपूत, हेमंत गोतम, योगेश वीरवाल, दीपक कनेरिया, सीएल लौहार, विजय शर्मा सहित शहर के गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।

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