शिक्षक का व्यवहार बालक की अन्तर्निहित शक्तियों का प्रकटीकरण करता है। - महेन्द्र सिंह सिसोदिया
*विद्या निकेतन उच्च माध्यमिक विद्यालय में सप्त दिवसीय योग व शारीरिक प्रशिक्षण वर्ग का हुआ समापन*
उदयपुर संवाददाता विवेक अग्रवाल। शिक्षक का व्यवहार बालक की अन्तर्निहित शक्तियों का प्रकटीकरण करता है। - महेन्द्र सिंह सिसोदिया
उदयपुर- विद्या भारती के आधारभूत विषय जीवन का आधार होतें है। बालक के सर्वांगीण विकास में शिक्षक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। शिक्षक का व्यवहार बालक के ह्रदय व मन को पुष्ट कर आत्मविश्वास से भर देता है जिससे एक सुनागरिक का निर्माण होता है। दैनिक जीवन में हमारे द्वारा किये गए श्रेष्ठ व्यवहार से भटके हुए को भी सही राह मिलती है।यह सभी कार्य योग की अद्भुत शक्ति व शारीरिक शिक्षा के सम्मिश्रण से होता है जिसे हमारे पूर्वजों ने कठोर परिश्रम से प्रतिपादित किया। उक्त उद्गार विद्या भारती चितौड़ प्रांत द्वारा विद्या निकेतन उच्च माध्यमिक विद्यालय हिरण मगरी सेक्टर 4 में आयोजित सप्त दिवसीय योग व शारीरिक प्रशिक्षण वर्ग के समापन समारोह के अवसर पर मुख्य वक्ता व वर्ग पालक महेंद्र सिंह सिसोदिया प्रांत प्रशिक्षण प्रमुख द्वारा व्यक्त कर प्रशिक्षार्थियों को सम्बोधित किया।
3 मई सायं से 9 मई तक आयोजित प्रशिक्षण वर्ग में सैद्धांतिक व व्यवहारिक तथा विभिन्न विकासात्मक शिक्षण कालांशो एवं आदर्श दिनचर्या रही जिसमे 205 प्रशिक्षणार्थियों ने भाग लिया। प्रशिक्षण वर्ग के समापन समारोह में प्रशिक्षार्थियों ने अपने अनुभव झांसा किये। नारायण लाल गमेती के मुख्यातिथ्य व ओमप्रकाश सुखवाल की अध्यक्षता में प्रशिक्षण वर्ग का समापन हुआ। इस अवसर पर अतिथि परिचय व स्वागत लोकेश भट्ट भीलवाड़ा द्वारा करवाया गया। दक्ष प्रशिक्षक योग व शारीरिक विषय में जयंती प्रजापति डूंगरपुर, शिवगिरी गोस्वामी बांसवाड़ा, दीपेश नांदिया बांसवाड़ा, भगवती लाल शर्मा चितौड़गढ़, प्रकाश मेहर झालावाड़, जितेंद्र जोशी डुंगरपुर, कपिल भीलवाड़ा, सत्यनारायण पांचाल बारां, इन्द्रपाल उदयपुर तथा विद्या निकेतन उच्च माध्यमिक विद्यालय हिरण मगरी सेक्टर-4 उदयपुर के आचार्य दीदी व सहायक कार्मिकों एवं पूर्व छात्रों द्वारा वर्ग की व्यवस्थाओं में अनुकरणीय सहयोग दिया गया। जिला तथा प्रांतीय अधिकारियों द्वारा प्रशिक्षणार्थियो को प्रशिक्षित किया। राष्ट्र गान व कल्याण मंत्र के साथ समापन हुआ। यह जानकारी मीडिया प्रभारी नरेश नागदा ने दी।
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