भक्ताम्बर महापूजा के साथ दो दिवसीय धार्मिक आयोजन का आगाज - आयड़ तीर्थ पर वर्षीतप के सामूहिक पारणें आज
भक्ताम्बर महापूजा के साथ दो दिवसीय धार्मिक आयोजन का आगाज
- आयड़ तीर्थ पर वर्षीतप के सामूहिक पारणें आज
उदयपुर संवाददाता विवेक अग्रवाल। श्री जैन श्वेताम्बर महासभा के तत्वावधान में तपागच्छीय उद्गम स्थली आयड़ तीर्थ पर गच्छाधिपति आचार्यभगवन अभयदेव सूरीश्वर महाराज के आज्ञानुवर्तिनी साध्वी शीलकांता श्रीजी एवं साध्वी विश्वप्रभा श्रीजी की निश्रा में वर्षीतप करने वाले श्रावकों का सामूहिक पारणे का आयोजन 10 मई को होगा। महासभा के महामंत्री कुलदीप नाहर ने बताया कि 9 मई सुबह 9 बजे भक्ताम्बर महापूजा कराई गई। जिमसें अष्ट प्रकार की पूजा अर्चाना की गई। वर्षभर तप आराधना करने वाले श्रावक-श्राविकाओं का आयड तीर्थ पर अक्षय तृतीय के अवसर पर सामूहिक पारणा कराया जाएगा। 10 मई को सभी का सामूहिक पारणा होगा। उसके बाद स्वामीवात्सल्य का आयोजन होगा। महासभा के अध्यक्ष तेजसिंह बोल्या ने बताया कि परम कृपालु, वर्तमान अवसर्पिणी कालके प्रथम तीर्थंकर श्री ऋषभदेव प्रभु द्वारा दीक्षा पश्चात् आहार हेतु परिश्रमण करते निर्दोष अन्न-जल प्राप्त न होने से निरंतर 400 उपवास किये गए। आखातीज के शुभदिन श्रेयांसकुमार द्वारा भेंट में आये हुए ताजे इक्षुरस से पारणा किया गया। इसी याद में श्रीसंघ में श्रद्धालुओं द्वारा वर्षीतप की आराधना की जाती है। आयड़ तीर्थ अति प्राचीन एवं तपागच्छीय उद्गमस्थली है। इसी भूमि पर "आचार्य देव जगच्चन्द्रसूरि महाराज आयम्बिल के तप के साथ सूर्य के सामने आतापना लेते थे। भीष्म तप के कारण यहाँ के राणा ने पूछा यह किसका कंकाल है। भीष्म तपस्वी संत शरीर को सुखाकर यह कठिन तप कर रहे है। यह जानकर राजा ने तपा" का बिरुद दिया।
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