रोडवेज बसों में सफर करने वाले अधिकांश यात्री निगम की सेवाओं से असंतुष्ट, बाईपास होकर जाती है रोडवेज बस

 रोडवेज बसों में सफर करने वाले अधिकांश यात्री निगम की सेवाओं से असंतुष्ट, बाईपास होकर जाती है रोडवेज बस


पाटन। कृष्ण सैनी धांधेला

पाटन।राजस्थान राज्य पथ परिवहन निगम की बसों में सफर करने वाले अधिकांश यात्री निगम की सेवाओं से असंतुष्ट हैं जिसको लेकर समझदार यात्री चालक परिचालकों की शिकायते उच्च अधिकारियों के मोबाइलों पर भी दर्ज करवाते हैं, परंतु निगम में बैठे उच्च अधिकारियों द्वारा शिकायतों की तरफ कोई ध्यान नहीं दिया जाता, जिस कारण निगम हर वर्ष घाटे में रहता है। अधिकांश रोडवेज की बसें डिपो से निकलने के बाद निगम द्वारा जारी किए गए बस स्टैंडों की सूची पर या तो रुकती नहीं है और रूकती है तो सवारी लेती नंही है। यात्रीगण परेशान होते रहते हैं, बसों के पीछे दौड़ते रहते हैं, परंतु चालक और परिचालक यात्रियों की तरफ देखते तक नहीं है।यही नहीं अधिकांश बसों के परिचालक यात्रियों के साथ बदसलूकी तक करते हैं, परंतु यात्रियों की मजबूरी रहती है कि उनके साथ या तो परिवार के सदस्य रहते हैं या फिर वे कोर्ट कचहरी के लफड़े में पडना नहीं चाहते जिस कारण रोडवेज बसों के चालक और परिचालकों का हौसला बुलंद रहता है। अधिकांश बसें निर्धारित किए गए बस स्टैंड पर नहीं रुकने से यात्री भी परेशान रहते हैं। निगम द्वारा पाटन में एक्सप्रेस बसों का ठहराव व स्टैंड नियुक्त किया गया है उसके बावजूद भी सीकर, नागौर, डीडवाना, जोधपुर, बीकानेर, की बसें अधिकांश बाईपास होकर निकल जाती है, जिस कारण यात्रियों को एक किलोमीटर पैदल चलकर बस स्टैंड पर आना पड़ता है। पूर्व में अनेकों बार पाटन सरपंच मनोज चौधरी ने स्थानीय प्रशासन को अवगत करवाया जिसपर स्थानीय प्रशासन द्वारा कोटपूतली डिपो, सीकर डिपो, जयपुर डिपो, जोधपुर डिपो, नागौर डिपो के प्रबंधकों को पाबंद भी किया गया साथ ही जयपुर डिपो के मुख्य प्रबंधक को भी पाबंद किया गया उसके बावजूद भी अधिकांश बसें बाईपास होकर निकल जाती है जबकि यात्रियों को टिकट पाटन स्टैंड का दिया जाता है। निगम की बसों में सफर करने वाले यात्रियों को जब बाईपास पर उतार दिया जाता है तो यात्रियों को पाटन स्टैंड पर पहुंचने में बहुत कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। दिन में तो जैसे तैसे यात्री अपने गंतव्य स्थान तक पहुंच जाते हैं परंतु रात के समय में जब यात्रियों को बाईपास पर उतारा जाता है तो उनको बहुत बड़ी परेशानियों का सामना करते हुए अपने घर पहुंचना पड़ता है। रात के समय में यात्री चालक और परिचालक से गुहार भी करते है परंतु निगम के दोनों कर्मचारी अपनी हठ धर्मिता करते हुए यात्रियों के साथ बदसलूकी करते हैं जो अमानवीय अत्याचार है। ऐसी घटनाएं रोज सुनने को मिलती है, कुछ लोग इनकी शिकायतें भी करते हैं तो कुछ लोग जानकारी के अभाव में इनकी शिकायतें नहीं कर पाते जिसके चलते चालक और परिचालकों के हौसले बुलंद रहते हैं। अधिकांश बसों में शिकायत नंबर लिखे नहीं होने से भी चालक और परिचालक बच जाते हैं, जिसके चलते निगम को हर साल घाटा उठाना पड़ रहा है। निगम के अधिकारी समय रहते अगर सख्त कदम नहीं उठाएंगे तो आने वाले समय में निगम को और भी अधिक घाटा उठाना पड़ सकता है, वही निगम की बसों के खिलाफ लोग आंदोलन भी कर सकते हैं जिसका जिम्मेदार स्वयं निगम होगा।

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