लेखक-कवि-पत्रकार-स्तंभकार भूपेंद्र कुमार चौबीसा द्वारा रचित सर्वाधिक पाठ्य हास्य व्यंग्य खुल्लम-खुल्ला होली महाअंक का विमोचन
लेखक-कवि-पत्रकार-स्तंभकार भूपेंद्र कुमार चौबीसा द्वारा रचित सर्वाधिक पाठ्य हास्य व्यंग्य खुल्लम-खुल्ला होली महाअंक का विमोचन
उदयपुर संवाददाता विवेक अग्रवाल। विगत कई वर्षों से शहर के प्रमुख स्तंभकार लेखक कवि और पत्रकार भूपेंद्र कुमार चौबीसा खुल्लम-खुल्ला हास्य व्यंग्य की रचना विभिन्न मुद्दों के ऊपर करते आ रहे हैं। इनके द्वारा लिखे गए व्यंग्य सामाजिक राजनीतिक धार्मिक पर्यावरण सांस्कृतिक हंसी ठिठोली से सराबोर होते हैं जो केवल पाठकों का मनोरंजन ही नहीं करते बल्कि राजनीतिक उथल-पुथल और मानवीय संवेदनाओं के अंतर मन में हलचल भी पैदा करते हैं । इनके द्वारा रचित कई हास्य व्यंग तो इस प्रकार प्रभावित होते हैं कि प्रशासन भी उन मुद्दों पर अपनी तीखी नजर रखता है। शहर के प्रमुख सूरजपोल चौराहे को लेकर इनकी कलम लगातार लेखन कार्य कर रही है वह मुहिम सूरजपोल चौराहे को पुनः छोटा करके उसे वास्तविक स्वरूप प्रदान करने की है। इसी संदर्भ में उल्लेखनीय है कि रंगों के महापर्व होली पर पत्रकारों के लिए वरिष्ठ पत्रकार भूपेंद्र कुमार चौबीसा द्वारा लिखा गया बुरा ना मानो होली है का विशेष खुल्लम-खुल्ला का महा एपिसोड का विमोचन रविवार को होली पर्व पर लेक सिटी प्रेस क्लब अध्यक्ष कपिल श्रीमाली, वरिष्ठ पत्रकार डॉ तुक्तक भानावत एवं लेखक भूपेंद्र कुमार चौबीसा द्वारा किया गया किया।
क्लब अध्यक्ष कपिल श्रीमाली ने कहा कि चौबीसा पिछले कई सालों से होली महापर्व पर शहर के पत्रकारों पर हास्य व्यंग्य लिखते हैं। हर वर्ष की तरह इस बार भी इन्होंने सभी पत्रकारों पर हास्य व्यंग्य करते हुए शब्दों के माध्यम से बुरा ना मानो होली है के अवसर पर हंसी ठिठोली की है। इस कार्य में चौबीसा कड़ी मेहनत से हर पत्रकार के व्यक्तित्व को छूते हुए ऐसे शब्दबाण छोड़ते हैं कि पढ़ने वालों के अनायास ही हंसी के फव्वारे छूट जाते हैं। चौबीसा का यह खुल्लम-खुल्ला महा एपिसोड काफी लोकप्रिय है।
वरिष्ठ पत्रकार डॉ तुक्तक भानावत ने कहा कि होली पर हास्य व्यंग्य की यह परंपरा बहुत प्राचीन है। चौबीसा ने कई सालो से इस परंपरा को आज भी जीवित रखा है, यह बड़ी बात हैं। आज मोबाइल के इस युग में हर व्यक्ति दिन रात मोबाइल देखने में ही लगा रहता है। ऐसे में इस तरह की हास्य व्यंग्य की खुल्लम खुल्ला टिप्पणियां लिखकर लोगों को हंसाना आपसी प्रेम, सौहार्द और भाईचारे को बढ़ाता है। इस अवसर पर अल्पेश लौढा राजेंद्र पालीवाल एवं देवीलाल मीणा उपस्थित थे।
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