सुविवि के पत्रकारिता विभाग और तारा संस्थान के संयुक्त तत्वाधान में विचार गोष्ठी 'पीढ़ियों के वैचारिक अंतराल और तारतम्य के अभाव में बुजुर्गों की शरणगाह बन रहे है वृद्धाश्रम'

 सुविवि के पत्रकारिता विभाग और तारा संस्थान के संयुक्त तत्वाधान में विचार गोष्ठी


'पीढ़ियों के वैचारिक अंतराल और तारतम्य के अभाव में बुजुर्गों की शरणगाह बन रहे है वृद्धाश्रम'






उदयपुर संवाददाता विवेक अग्रवाल। वरिष्ठ नागरिक जनों को भावनात्मक, मनोवैज्ञानिक सहयोग और साहचर्य की आवश्यकता होती है। उन्हें अगर यह सब मिले तो उनका शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य बेहतर रहता है साथ ही उनकी सकारात्मक भी बनी रहती है।


यह विचार मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय के पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग एवं तारा संस्थान के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित विचार गोष्ठी में उभर कर आए। तारा संस्थान के सेक्टर 14 स्थित वृद्धाश्रम में आयोजित इस संगोष्ठी में वरिष्ठ जनों ने अपनी समस्याएं खुलकर बताई। अधिकांश लोगों ने माना कि पीढ़ियों के अंतराल और विचार-तारतम्य में अभाव के कारण बुजुर्गों को वृद्धाश्रम जाना पड़ता है और यही कारण है कि वह भावनात्मक तौर पर टूट जाते हैं। वरिष्ठ नागरिक पुष्पा शर्मा ने कहा कि नई पीढ़ी बुजुर्गों की जिम्मेदारी उठाने से भागती है, शायद यही कारण है कि वृद्धाश्रम में बुजुर्गों की संख्या बढ़ती जा रही है। वहीं अमरजीत सिंह ने कहा कि आपसी समझ बढ़ाने से वैचारिक टकराव को रोका जा सकता है। शिवचरण गोयल ने कहा कि नई पीढ़ी के आधुनिक विचारों और वरिष्ठ नागरिकों के थोड़े पुराने विचारों में सामंजस्य और समन्वय का अभाव पारिवारिक विघटन के लिए जिम्मेदार है। एसएल लोहिया ने कहा कि वरिष्ठ जन्म समाज की अमूल्य संपत्ति होती है उनके अनुभवों का लाभ उठाना नई पीढ़ी के लिए एक उपहार हो सकता है, लेकिन नई पीढ़ी बुजुर्गों को बोझ समझती है, इस विचार को बदलना बहुत जरूरी है।


नीता खत्री, पुष्पा गुप्ता ने कहा कि कौन बुजुर्ग अपना घर छोड़कर वृद्ध आश्रम में रहना चाहेगा। यदि सही सार संभाल और पारिवारिक माहौल मिले तो वह घर को स्वर्ग बना सकते हैं।


इस अवसर पर पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग के अध्यक्ष डॉ कुंजन आचार्य ने कहा कि वरिष्ठ जन्म यदि नई पीढ़ी के विचारों को थोड़ा सरलता और लचीलेपन से अंगीकार करें तो वह नई पीढ़ी के साथ मजबूती से खड़े रह सकते हैं। तकनीकी दौर में वैचारिक अलगाव बहुत बड़ी समस्या है लेकिन विचार आदान-प्रदान और एक दूसरे को समझ कर इस समस्या का समाधान खोजा जा सकता है। विजय सिंह चौहान ने कहा कि बुजुर्ग लोग दूसरे बच्चों में अपने ही बच्चे का भाव देखते हैं लेकिन घर की याद उन्हें हमेशा सताती है। सतीश अग्रवाल, आरती चित्तौड़ा, विपिन गांधी, अनिल वनवानी, डॉ कल्पना आचार्य ने कहा कि बुजुर्गों को सम्मान और स्नेह की आवश्यकता है। यदि उन्हें यह सब समय पर मिलता रहे तो वह लंबे समय तक स्वस्थ रह सकते हैं।


इस अवसर पर पत्रकारिता विभाग के विद्यार्थियों ने खुले सत्र में वरिष्ठ जनों से व्यक्तिगत संवाद किया, उनकी समस्याएं सुनी, उन्हें संवाद कौशल बेहतर बनाने के गुर सिखाएं और उन्हें स्वस्थ और सकारात्मक रहने के लिए प्रेरित किया।

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

पुलिस पाटन द्वारा हथियार की नोक पर वाहन लूट करवाने वाला अंतर्राज्यीय गैंग का सरगना गिरफ्तार

अतिरिक्त जिला कलेक्टर नीमकाथाना भागीरथ साख के औचक निरीक्षण में कर्मचारी नदारद पाए गए* *सीसीए नियमों के तहत होगी कार्रवाई*

आमेर तहसीलदार ने बिलोंची गाँव की खसरा न, 401 से लेकर खसरा न, 587 तक की जमीन की , जमाबंदी के खातेदार 12 व्यक्तियों में से चार व्यक्तियों के नाम मिली भगत कर , सुविधा शुल्क वसूलकर नियम विरूद्ध तकासनामा खोल दिया गया आठ खातेदारों का विरोध तकासनामा निरस्त करने की मांग