कविता-संग्रह 'रज भारत की चंदन-सी' ... टीकम 'अनजाना'
कमल शर्मा, दौसा
राजस्थान दिवस री घणी घणी बधाइयाँ
कविता-संग्रह 'रज भारत की चंदन-सी' ... टीकम 'अनजाना'
म्हारो हिवड़ो राजस्थान
सबसूं प्यारो राजस्थान, म्हारो हिवड़ो राजस्थान। जग सूं न्यारो राजस्थान, म्हारो जिवड़ो राजस्थान ।।
आ धरती है मीरा री भाया, आ धरती ह वीरां री भाया। शक्ति अर भक्ति री माटी, बस्यो कण-कण में बलिदान । सबसूं प्यारो राजस्थान, म्हारो हिवड़ो राजस्थान ।।
ढोला-मारू रो ओ देस रे, सबसूं मोटो ओ परदेस रे। खनिजां रो भण्डार भर्यो, नाज करे आखो हिन्दुस्तान । सबसूं प्यारो राजस्थान, म्हारो हिवड़ो राजस्थान ।।
मक्की मतीरा अर मोठ मिल ह, खीचड़ो अर बाजरा रो रोट मिल ह। इन्दिरा गांधी नहरा सूं, निहाल होग्या अठे किसान। सबसूं प्यारो राजस्थान, म्हारो हिवड़ो राजस्थान ।।
माही-जवाई-राणासागर, अर कोटा बैराज अठे। जण-जण री प्यास बुझावे, बीसलपुर रो बांध अठे ।। उदेपुर है झीलां री नगरी, इण पर म्हाने घणो गुमान। सबसूं प्यारो राजस्थान, म्हारो हिवड़ो राजस्थान ।।
जेपर में दौड़े मेट्रो रेल, धोरां में मिल्यो घणो ही तेल ।।
नाम देस में हो रह्यो, अब तो सोनो उगले रेगिस्तान ।
सबसूं प्यारो राजस्थान, म्हारो हिवड़ो राजस्थान ।।
टीकम 'अनजाना'
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