आर्य समाज हिरण मगरी, उदयपुर सत्य सनातन वैदिक धर्म सभा का समापन अविद्या,राग द्वेष ही दुख का कारण --स्वामी विवेकानंद परिव्राजक
आर्य समाज हिरण मगरी, उदयपुर
सत्य सनातन वैदिक धर्म सभा का समापन
अविद्या,राग द्वेष ही दुख का कारण --स्वामी विवेकानंद परिव्राजक
उदयपुर संवाददाता विवेक अग्रवाल। आर्य समाज हिरण मगरी की ओर से दिनांक 22 फरवरी, 2024 से दर्शन योग महाविद्यालय रोजड़, गुजरात के अधिष्ठाता दर्शनाचार्य पूज्य स्वामी विवेकानंद परिव्राजक के मुखारविंद से निरन्तर प्रवाहित ज्ञान गंगा का आज निम्बार्क कॉलेज सभागार में समापन हुआ। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि राजस्थान सरकार के कबिनेट मंत्री बाबू लाल खराड़ी थे।खराडी ने सभा से पूर्व श्रीमती सरला गुप्ता के पौरोहित्य में आयोजित यज्ञ में आहूतियां देकर जगत के कल्याण की कामना की। आर्य समाज हिरण के संरक्षक डॉ. अमृत लाल तापडिया प्रधान भंवर लाल आर्य, मंत्री वेद मित्र आर्य, डा. प्रेमचंद गुप्ता, लाल चंद जी आर्य , शारदा गुप्ता, ललिता मेहरा, सत्य प्रकाश शर्मा, संजय शांडिल्य, अम्बालाल सनाढ्य रमेशचन्द्र जयसवाल, कृष्ण कुमार सोनी आदि का सान्निध्य प्राप्त हुआ। कार्यक्रम का संचालन गिरीश जोशी ने किया।
सभा को सम्बोधित करते हुए स्वामी विवेकानंद परिव्राजक ने कहा कि अविद्या, राग द्वेष से मनुष्य दुखी होता है। अविद्या के कारण ही सकाम कर्म करते हैं और इस कारण पुनर्जन्म होता है। मिथ्या ज्ञान से हटकर सत्य ज्ञान का आधान हो जायेगा, तब मनुष्य मे वैराग्य और वैराग्य से मोक्ष प्राप्त कर सकते हैं जहां अनन्त आनन्द है।
जन्मकुंडली, पितृदोष आदि भ्रान्त धारणाओं को सोदाहरण मिथ्या बताते हुए स्वामीजी महाराज ने सैंकड़ों प्रश्नों के सटीक, तथ्य संगत व शास्त्रसंगत उत्तर व शंका समाधान से सभागार को शास्त्रार्थ जैसा दृश्य बना दिया था।
स्वामीजी ने अविद्या जनित राग द्वेष का शमन करके अभ्यास व प्रयत्न पूर्वक वैराग्य के द्वारा 100 प्रतिशत सुख प्राप्त करने के लिए मोक्ष मार्ग को मनुष्य जीवन का अन्तिम लक्ष्य बताया व उसके लिए यम-नियम की जीवन चर्या के विविध तरिके जिज्ञासुओं को बताये।
मनुष्य को गलत सही की पहचान कर आगे का रस्ता तय करना चाहिए। जो कर्म व्यवहार हमें पसंद नहीं वह दूसरों के साथ भी न करें। दूसरे से सुख आनन्द चाहते हैं तो स्वयं दूसरों को सुख पहूंचायें।
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