वसुधैव कुटुम्बकम के साथ नाट्य समारोह सम्पन्न
वसुधैव कुटुम्बकम के साथ नाट्य समारोह सम्पन्न
उदयपुर संवाददाता विवेक अग्रवाल। भारतीय लोक कला मण्डल के 73 वे स्थापना दिवस पर आयोजित किये गए कार्यक्रमों का समापन नाटक ‘‘वसुघैव कुटुम्बकम’ के साथ हुआ।
प्रतिवर्ष की भांति इस वर्ष भी विभिन्न आयोजन किये गयेे, जिनमें स्थापना दिवस की पूर्व संध्या पर 21 फरवरी को कोलकत्ता की मोहिनी अट्टम नृत्यांगना मोमिता पाॅल के साथ स्थानीय संस्था रंगपृष्ठ के कलाकारों ने कत्थक नृत्य प्रस्तुत किये, इसी के साथ पिछले 20 वर्षों से लगातार आयोजित किये जा रहे नाट्य समारोह की श्रंखला में दिनांक 24 से 28 फरवरी 2024 के मध्य 20 वाॅ पद्मश्री देवीलाल सामर स्मृति राष्ट्रीय नाट्य समारोह का आयोजन किया गया। उदयपुर में प्रतिवर्ष आयोजित होने वाले इस समारोह का दर्शकों को बेसब्री से इन्तज़ार रहता है। इसमें देश के प्रसिद्ध नाट्य लेखकों एवं निर्देशकों के नाटक मंचित हुआ करते है।
भारतीय लोक कला मण्डल के निदेशक डॉ. लईक हुसैन ने बताया कि भारतीय लोक कला मण्डल के स्थापना दिवस पर दि परफोरमर्स कल्चरल सोसायटी के संयुक्त तत्वावधान में 20वें पद्मश्री देवीलाल सामर स्मृति राष्ट्रीय नाट्य समारोह का आयोजन दिनांक 24 फरवरी से 28 फरवरी 2024 के मध्य किया गया। समारोह के अंतिम दिन दि परफोरमर्स कल्चरल सोसायटी द्वारा प्रबुद्ध पांडे द्वारा निर्देशित नाटक ‘‘वसुघैव कुटुम्बकम का मंचन किया गया।
उन्होंने बताया कि नाटक ‘‘वसुघैव कुटुम्बकम’’ एक लघु नाटक है जो भारत सरकार कि विकसित भारत योजना के 5 उद्देश्यों के साथ ही वर्ष 1947 तक भारत को पूर्ण रूप से विकसित बनाने के साथ ही विश्व गुरु बनाने के संकल्प पर आधारित है। इस नाटक में बताया गया कि भारत अपने 4 वेदों के साथ साथ पंचम वेद नाट्यशास्त्र जो कलाओं का शास्त्र है पूरे विश्व में विज्ञान, आयुर्वेद कला, स्थापत्य के कारण जाना जाता था। शिक्षा के क्षेत्र में भारत ही एकमात्र ऐसा देश था जहाँ 3000 वर्ष पूर्व भी नालंदा, तक्षशिला, विक्रमशिला, जैसे विश्वविद्यालय थे। जहाँ शिक्षा और ज्ञान प्राप्त करने हेतु देश विदेश से जिज्ञासु आया करते थे। इस ज्ञान के कारण ही भारत विश्व गुरू एवं सोने कि चिड़िया कहलाता था। परन्तु 400 वर्ष पूर्व अपनी आपसी फूट एवं वैमनस्य के कारण हमारा ज्ञान धीरे धीरे अन्य देशो में स्थानान्तरित होता गया और हम विदेशों की और देखने लगे। परन्तु अब हम विकसित भारत परियोजना के माध्यम से अपने इस ज्ञान को पुनः प्राप्त कर ना केवल विश्व गुरू बनेगें बल्कि फिर सोने कि चिड़िया कहलाएगें। इस हेतु हम सभी भारत वासियों को 5 प्रण करने होगें।
नाटक की मुख्य भूमिका में शिवांगी तिवारी, पायल मेनारिया, सुधांशु हाड़ा, राम गोदारा, भवदीप जैन और प्रखर शर्मा थे।
समापन समारोह के अवसर पर नाट्य प्रस्तुति के पश्चात् कलाकारों एवं दर्शकों के मध्य 5 दिवसीय समारोह के आयोजन पर विचार विमर्श भी किया गया। यह कार्यक्रम उत्तर क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र पटियाला एवं राजस्थान स्टेट माईन्स एण्ड मिनरल्स लिमिटेड, उदयपुर के सहयोग से किया गया है।
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