केन्द्र सरकार द्वारा आरबीआई के नवीनतम् ऑडिट प्रावधान देश के वित्तीय ढांचे, बैंकिंग व जमाकर्ताओं के लिये बड़ा खतरा - सांसद डांगी

 केन्द्र सरकार द्वारा आरबीआई के नवीनतम् ऑडिट प्रावधान देश के वित्तीय ढांचे, बैंकिंग व जमाकर्ताओं के लिये बड़ा खतरा - सांसद डांगी 



आबूरोड सिरोही। भारतीय रिजर्व बैंक के प्रावधानों में कोरोना महामारी के हालातों के समय राष्ट्रीयकृत बैंकों के ऑडिट पैरामीटर में एडवांस को आधार मानते हुए 90 प्रतिशत एडवांस किया गया जिसे 17 मार्च 2022 को ओर घटाकर 80 प्रतिशत किये जाने के मुद्दे को राज्यसभा सांसद नीरज डांगी ने शून्यकाल के दौरान सदन में उठाते हुए इसे देश के वित्तीय ढांचे, बैंकिंग व देश के जमाकर्ताओं के लिये बड़ा खतरा बताया तथा केन्द्र सरकार से मांग की कि जनहित व राष्ट्रहित में नवीनतम प्रावधानों को वापस लेकर पुनः पूर्ववत् प्रावधानों को लागू ऑडिट सिस्टम को पुनर्स्थापित किया जाए। सांसद डाँगी ने बताया कि भारतीय रिज़र्व बैंक के प्रावधानों के अनुसार राष्ट्रीयकृत बैंकों की 20 करोड़ से अधिक के एडवांसेस वाली शाखाओं की शत-प्रतिशत व 20 करोड़ से कम एडवांसेज वाली शाखाओं में 20 प्रतिशत शाखा की ऑडिट rotation wise चार्टर्ड एकाउंटेंटस द्वारा ही करवाई जा रही है। वित्तीय वर्ष 2020-21 की ऑडिट अलॉटमेन्ट के समय राष्ट्रीयकृत बैंकों ने भारतीय रिज़र्व बैंक से कोरोना महामारी के हालातों के मद्देनजर करवाई जाने वाली ऑडिट के पैरामीटर में बदलाव करने का आग्रह किया जिसको RBI ने स्वीकार करते हुए. एडवांस को आधार मानते हुए, सिर्फ 90 प्रतिशत एडवांस की ऑडिट करने का प्रावधान लागू कर दिया। उन्होंने बताया कि इतना ही नहीं इसके पश्चात् एडवांस के 90 प्रतिशत ऑडिट वाले प्रावधान को भी भारतीय रिजर्व बैंक ने 17 मार्च 2022 को जारी परिपत्र द्वारा घटाकर 80 प्रतिशत कर दिया। इस नये प्रावधान से करीब 50 प्रतिशत शाखाएँ ऑडिट के दायरे से बाहर हो गई है। जो न तो देश के बैंकिंग व वित्तीय स्वास्थ्य के अनुकूल हैं और ना ही देश के जमाकर्ताओं के हित में है। डाँगी ने कहा कि वर्तमान परिदृश्य में आये दिन बैंक घोटाले सामने आ रहे हैं, बैंकों के लाइसेंस वित्तीय अनियमितताओं के कारण रद्द किये जा रहे हैं, देश के जमाकर्ताओ की खून पसीने की गाढ़ी कमाई व बुढ़ापे का सहारा बैंकों में डूब रही हैं व आगे भी इन नवीनतम प्रावधनों से डूबने के आसार बन रहे हैं। सांसद श्री डाँगी ने जनहित व राष्ट्रहित में वित्त मंत्रालय व केन्द्र सरकार से भारतीय रिर्जव बैंक के इन नवीनतम प्रावधानों को वापस लेकर पूर्व के प्रावधानों के अनुसार राष्ट्रीयकृत बैंकों के ऑडिट सिस्टम को पुनर्स्थापित किये जाने की मांग की।

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