प्राणायाम का पार्श्व विज्ञान विषय पर कार्यशाला संपन्न।

 प्राणायाम का पार्श्व विज्ञान विषय पर कार्यशाला संपन्न।


विवेक अग्रवाल

उदयपुर संवाददाता (जनतंत्र की आवास) 8 दिसंबर। विश्वविद्यालय विज्ञान महाविद्यालय एवं सुविवि योग केंद्र के संयुक्त तत्वावधान में प्राणायाम विज्ञान पर आयोजित कार्यशाला में प्राणायाम विज्ञान पर प्रकाश डालते हुए योग विश्वविद्यालय फ्लोरिडा अमेरिका की आनरेरी प्रो. देवकी माधव ने अपने उद्बोधन में कहा कि प्राणायाम का पूर्ण लाभ लेने हेतु अष्टांग योग के प्रथम दो चरण यम और नियम का नियमित अभ्यास व नियम से पालन करना भी अत्यंत आवश्यक है, गलत पोश्चर में बैठकर प्राणायाम करने से लाभ के स्थान पर कई तरह की शारीरिक एवं मानसिक मानसिक व्याधियों का सामना करना पड़ सकता है। इसलिए प्राणायाम को दक्ष प्रशिक्षक की देखरेख में सीखें तथा जहां तक संभव हो सके एकांत में अकेले प्राणायाम करें, कमरे या हॉल में किये गये सामूहिक प्राणायाम में कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन ज्यादा होने के कारण लाभ के स्थान पर हानि भी हो सकती है। स्ट्रेस, अस्थमा, डायबिटीज, ब्लड प्रेशर, कैंसर तथा अन्य कई शारीरिक मानसिक बीमारियां में सही विधि से और सही पोश्चर में बैठकर किया गया प्राणायाम यथा शीघ्र एवं अत्यंत लाभदायक है। विश्वविद्यालय योग केंद्र में प्रातः 9:00 बजे से 1:00 बजे तक चली प्राणायाम विज्ञान की इस कार्यशाला में प्रो. देवकी माधव माधव ने प्राणायाम करने के सही विधियों व तरीकों पर विस्तार से चर्चा करते हुए उनके साथ आए विशेषज्ञों से डेमोंसट्रेशन कराया व स्वयं भी करके बताया तथा उपस्थित योग अभ्यासियों ,शोधार्थियों, संकाय सदस्यों एवं योग प्रशिक्षकों की जिज्ञासाओं और प्रश्नों के बड़े ही सरल एवं व्यवहारिक तरीके से उत्तर प्रस्तुत किये। विज्ञान महाविद्यालय अधिष्ठाता प्रो. सी. पी. जैन ने सभी अतिथियों का स्वागत करते हुए योगासन व प्राणायाम को आज के युग की महती आवश्यकता बताया इस अवसर पर विख्यात रसायन विद प्रो. ए.के. गोस्वामी ने योग के क्षेत्र में हो रही शोध को अन्य संबंधित विषयों के विशेषज्ञों के साथ मिलकर करने पर अधिक प्रभावी एवं सही बताया। विश्वविद्यालय क्रीड़ा मंडल अध्यक्ष प्रो. नीरज शर्मा ने इस अवसर पर अपने उद्बोधन में कहा कि ज्ञान की विशिष्टता ही विज्ञान के रूप में परिभाषित है, योग स्वयं सिद्ध विज्ञान है लेकिन इस युग में इसे विभिन्न प्रकार की शोधों एवं वैज्ञानिक प्रमाणों के माध्यम से इसे पुनर्स्थापित करना होगा तभी ये आम जनजीवन में सभी के लिए उपयोगी सिद्ध हो सकेगा। विज्ञान महाविद्यालय के सह अधिष्ठाता प्रो.अतुल त्यागी एवं डॉ. प्रभात कुमार बरोलिया ने अतिथियों को स्मृति चिन्ह भेंट किये।

अंत में विश्वविद्यालय योग केंद्र के समन्वयक डॉ. दीपेंद्र सिंह चौहान ने उपस्थित सभी जनों का धन्यवाद व आभार प्रकट किया।

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