जब गरजती है नारी शक्ति तो इतिहास बदल देती हैं - नसीम अंसारी*
*जब गरजती है नारी शक्ति तो इतिहास बदल देती हैं - नसीम अंसारी*
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*मानव अधिकार सुनिश्चित हो हम सब की जिम्मेदारी*
सुभाष तिवारी लखनऊ
पट्टी (प्रतापगढ़)
अंतरराष्ट्रीय मानव अधिकार दिवस के अवसर पर तरुण चेतना द्वारा ग्राम सरसतपुर में महिलाओं के अधिकार पर महिला सम्मेलन कार्यक्रम का आयोजन किया गया।
जिसमें तरुण चेतन की निदेशक नसीम अंसारी ने मानवाधिकार पर चर्चा करते हुए कहा कि किसी भी इंसान की जिंदगी में आजादी एवं बराबरी और सम्मान का अधिकार है मानवाधिकार है। भारतीय संविधान इस अधिकार की न सिर्फ गारंटी देता है, बल्कि इसे तोड़ने वाले को अदालत सजा भी देती है। अंसारी ने महिलाओं का उत्सवर्धन करते हुए कहा कि तूफान आता है तो दिन रात बदल जाता है। जब गरजती है नारी शक्ति तो इतिहास बदल जाता हैं।
इसी क्रम में मैसवा मैन हकीम अंसारी ने घरेलू हिंसा अधिनियम 2005 पर चर्चा करते हुए कहा कि
अधिनियम 2005 प्रत्येक महिला को संरक्षण प्रदान करता है।महिलाओं के प्रति उनके घर में होने वाले अपराधों से संरक्षण देने के लिए अनेक अधिनियम पारित हुआ जैसे दहेज प्रतिषेध अधिनियम 1961, बाल विवाह निषेध अधिनियम 2006, हिंदू विवाह अधिनियम यह सभी अधिनियम मानव अधिकार को सुनिश्चित करने के लिए बनाया गया है। मानव अधिकार सुनिश्चित हो हम सब की जिम्मेदारी है।
महिलाओं का हौसला अफजाई करते हुए शकुंतला देवी ने कहा कि महिला के अधिकार बिना हर बदलाव अधूरा है महिलाओं को भी पुरुष के बराबर समान अधिकार मिलना चाहिए। शाहिद अहमद बहनों को संबोधित करते हुए कहा कि स्त्री पुरुष एक गाड़ी के दो पहिए हैं जिसमें दोनों का बराबर योगदान रहता है। कार्यक्रम
कलावती वर्मा, गार्गी देवी, ने भी अपने विचार व्यक्त किया।
कार्यक्रम का संचालन वृजलाल पटेल ने किया। आरती वर्मा, सुमन, संगीता देवी, तारा, अनीता देवी आज लोगों उपस्थित रहे।
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