अंतस रा सुर सांतरा" राजस्थानी काव्य संग्रह का लोकार्पण हुआ

"अंतस रा सुर सांतरा" राजस्थानी काव्य संग्रह का लोकार्पण हुआ  की विभीषिका में भी डॉ. सुमन बिस्सा ने सक्रियता से लेखन किया
-डॉ. नीरज दइयाबीकानेर/ नवकिरण सृजन मंच द्वारा पवनपुरी स्थित आशीर्वाद भवन में डॉ. सुमन बिस्सा के राजस्थानी काव्य संग्रह "अंतस रा सुर सांतरा" के लोकार्पण समारोह की अध्यक्षता करते हुए साहित्यकार डॉ. नीरज दइया ने कहा कि यह राजस्थानी काव्य संग्रह साहित्य के बन्द कपाट खोलने का काम करेगा। मुख्य अतिथि व्यंग्यकार बुलाकी शर्मा ने कहा कि लेखिका की कविताओं ने कोरोनाकाल में ऑन लाइन कवि सम्मेलनों में अपने भावों से लोगों में उमंग भरी। विशिष्ट अतिथि व्यंग्यकार डॉ. अजय जोशी ने बताया कि हर मन को लुभाने वाली कविताओं को पढ़ते हुए भावों की सुखद अनुभूति होती है। संस्कृतिकर्मी राजेन्द्र जोशी, राजाराम स्वर्णकार, कमल रँगा ने भी काव्यसंग्रह पर अपने विचार रखे। वरिष्ठ साहित्यकार भवानीशंकर व्यास विनोद ने कहा कि साहित्यकार को एक सामाजिक व्यक्ति के रूप में देखा जाना चाहिए। सामाजिक व्यक्ति ही समाज की विडंबनाओं को अपने पाठकों के सम्मुख रख सकता है। कवयित्री डॉ. सुमन बिस्सा ने पुस्तक से कविताओं का वचन किया जिनमें गज़बण गज़ब करै, पाणी रा जागां चांदणी सूं न्हावै गजबण गज़ब करै। पँछीड़ा रूंखा माथै नहीं म्हारै मांय चहक रैया है। रूंख री सै सूं ऊंची फुनगी एक'र जड़ नै कैयौ तू साव जड़ है एकदम बिडरूप म्हनै देख सूरज रो ताप, चांद री चमक अर सूरज रो तेज म्हारी मनवारां करै सुनाकर तालियां बटोरी। प्रेरणा प्रतिष्ठान के अध्यक्ष प्रेमनारायण व्यास ने सभी के प्रति आभार माना।

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