देश में डायबिटीज की स्थिति भयावह :- डॉ प्रदीप शर्मा
देश में डायबिटीज की स्थिति भयावह :- डॉ प्रदीप शर्मा
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डायबिटीज का इतिहास लगभग 2000 वर्ष पुराना है लगभग 400 वर्ष ईसा पूर्व आयुर्वेद के आचार्य सुश्रुत ने डायबिटीज का विस्तार से वर्णन किया था सन् 1674 में थामस विलिस सुने ने ऑक्सफोर्ड में जानकारी दी कि डायबिटीज रोगी का मूत्र मीठा होता है वास्तव में यह जानकारी आचार्य सुश्रुत द्वारा दी गई जानकारी की नई खोज थी इसके बाद सन् 1776 में मैथ्यू डाबसन ने बताया कि मूत्र के मीठेपन की वजह उसमें मौजूद शर्करा के कारण है
18 वीं सदी में यह बात मानी जाने लगी कि डायबिटीज का कारण अग्नाशय (पेनक्रियाज) की खराबी है सन्1869 में पाल लैगरहैस ने जर्मनी में अग्नाशय का सूक्ष्मदर्शी से अध्ययन किया और जो ऊत्तक उन्होंने पहचाना वही आज आईलेट ऑफ लैगरहैस के नाम से जाना जाता है सन् 1910 में जीन डी मेयर ने अग्नाशय से निकलने वाले हार्मोन को इंसुलिन नाम दिया
1922 में बैटिंग तथा मैकलियाड को इंसुलिन की खोज के लिए नोबेल पुरस्कार प्राप्त हुआ डायबिटीज में उपयोग की जाने वाली गोलियों का उपयोग 1955 में शुरू हुआ और तब से लगातार नई दवाएं विकसित की जा रही है भारत में डायबिटीज यानी मधुमेह नामक रोग का वर्णन आज से हजारों वर्ष पूर्व आचार्य सुश्रुत आचार्य चरक आचार्य वाग्भट्ट एवं माधव निदान आदि संहिता ग्रंथों में प्राप्त होता है आयुर्वेद संहिता ग्रंथों में 20 प्रकार के प्रमेहो का वर्णन है उन 20 प्रकार के प्रमेहो की परिणीति गलत खानपान आहार-विहार, दिनचर्या, विकृत जीवन शैली के चलते ही मधुमेह में क्रियान्वित हो जाती है भारत में डायबिटीज पर शोध डॉक्टर एम एम एस आहूजा एवं डॉक्टर रस्तोगी द्वारा प्रारंभ की गई जिसके बाद डॉक्टर आरजे दास डॉक्टर कोचु पिल्लई के नेतृत्व में देश में एंडॉक्राइलॉजी विषय विकसित हुआ
यह कहना कोई आश्चर्य नहीं होगा कि आज विश्व स्तर पर आकलन किया जाए तो हमारे विकसित भारत देश में सर्वाधिक डायबिटीज के रोगी हैं विश्व स्वास्थ्य संगठन के आंकड़ों के आधार पर 2030 तक डायबिटीज की यही गति रही तो हमारे भारत देश में डायबिटीज की बड़ी भयावह स्थिति उत्पन्न हो जाएगी
वर्तमान में आयुर्वेद मतानुसार आमजन आयुर्वेद में वर्णित 20 प्रकार के प्रमेहो में से किसी न किसी प्रमेह रोग से ग्रसित है
जो कभी भी डायबिटीज यानी मधुमेह में परिवर्तित हो सकता है यह एक तरह से दीमक के समान है जैसे पेड़ के कोई दीमक लग कर उस पेड़ को चाट जाती है उसी प्रकार डायबिटीज यानी मधुमेह जब किसी को हो जाता है तो दीमक की तरह उसके शरीर को धीरे-धीरे नष्ट कर देता है इसलिए समय रहते ही हम भारतवासियों को विकास के साथ-साथ हमें विशुद्ध जीवन शैली आयुर्वेद मतानुसार विशुद्ध आहार-विहार खानपान के द्वारा हमें हमारा जीवन जीना चाहिए ताकि इस प्रकार के रोगों से हम ग्रसित नहीं हो
अभी हाल ही के आंकड़ों के आधार पर माना गया है कि आज विश्व में हर छठा डायबिटीज का रोगी भारतीय है हमारा भारत देश डायबिटीज की राजधानी बनता जा रहा है जो बड़ा ही चिंतनीय विषय है
डायबिटीज के मूल कारण:-
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मिथ्या आहार-विहार, विरुद्ध आहार विहार, मानसिक तनाव, आनुवंशिकता, किसी रोग का उपद्रव, शारीरिक परिश्रम एवं व्यायाम का अभाव, नवीन अन्न,
अधिक सोना, कार्बोहाइड्रेट एवं वसायुक्त वस्तुओं का विशेष रूप से सेवन, गुड़ की विकृति याने अधिक चीनी का उपयोग, कफ वर्धक वस्तुओं का अधिक खानपान, मानसिक रोगी यह मूल रूपेण डायबिटीज के कारण है कारण तो और भी अनेक हैं लेकिन मूलभूत कारण यही माने जाते हैं
डायबिटीज कि किसे होता है
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1. मोटे व्यक्ति
2. वंशानुगत
3. जो व्यक्ति ज्यादा तनावपूर्ण जीवन जीते हैं
4. जो व्यायाम व्यवसायिक परिश्रम नहीं करते हैं
5. वह नवजात शिशु का वजन पैदा होने के समय सामान्य से कम या 4 किलो से ज्यादा हो
6. एक ग्रामीण की अपेक्षा शहरी व्यक्ति को डायबिटीज होने की संभावना अधिक रहती है
7. उच्च रक्तचाप एवं जिन लोगों का कोलेस्ट्रोल अधिक रहता है
8. पीसीओ नामक रोग जिन महिलाओं को होता है उनमें भविष्य में डायबिटीज होने की संभावना बढ़ जाती है
आयुर्वेद शास्त्र में बताया गया है कि जिस कारण से रोग उत्पन्न हो पहले उस कारण को दूर करना चाहिए इसलिए सर्वप्रथम हमें हमारी जीवनशैली को सुधारना चाहिए
डायबिटीज के प्रमुख लक्षण
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1. अधिक भूख एवं प्यास लगना
2. अधिक मात्रा में एवं बार-बार पेशाब जाना
3. वजन में कमी
4. पिंडलियों में दर्द बांइटे आना
5. कमजोरी थकान रहना सुस्ती शरीर गिरा गिरा रहना
6. बार-बार संक्रमण होना या देरी से घाव भरना
7. हाथ पैरों में झनझनाहट सूनापन या जलन
8. रोग प्रतिरोधक क्षमता का कम होना
9. नपुंसकता
यह आवश्यक नहीं है कि सभी लक्षण एक साथ एक रोगी में उपस्थित हो लेकिन इन लक्षणों में से अधिकांश लक्षण होने पर ब्लड एवं मूत्र की जांच अवश्य करानी चाहिए
डायबिटीज में उपद्रव
-------------- डायबिटीज के बारे में ज्यादा ध्यान नहीं देने उपेक्षा के फलस्वरूप यह उपद्रव जो प्राणघातक है होने लगते हैं
बेहोशी आना, (कोमा की स्थिति) ह्रदय रोग, पक्षाघात, गुर्दा रोग, नेत्र ज्योति कम होना पैरों में रक्त संचार की कमी संवेदनहीनता थोड़ा संक्रमण के मिश्रण से गैंग्रीन होना, तलवों एवं पैरों में दर्द, जलन,
डायबिटीज की जांच
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1. प्रातः खाली पेट तथा भोजन के 2 घंटे के बाद मैनुअल जांच करानी चाहिए इसके अलावा आजकल घरेलू इंस्ट्रूमेंट भी आ गया है उसमें भी जांच कर सकते हैं
2.HbA1c
3. रक्त में क्रिएटिनिन
4. रक्त वसा या लिपिड प्रोफाइल
5. मूत्र में माइक्रोएल्बुमिन
6. नेत्र जांच या फंड्स जांच
7. मूत्र की सामान्य जांच
8.ई.सी जी
खाली पेट
सामान्य 70 से 110
खाना खाने के 2 घंटे बाद =140 से कम
यह डायबिटीज की सामान्य स्थिति है
इससे ज्यादा या कम होना परेशानी का कारण बन सकता है
डायबिटीज के बचाव के सामान्य तरीके
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1. एक चम्मच मेथी दाना को रात को एक गिलास पानी में भिगो दें सुबह मेथी को खाकर ऊपर से वह पानी पी ले
2. बिल्वपत्र 05 नग पान की जैसे चूसे उसका रस मुंह में निगल ले पत्तो को थूक दे
3. गिलोय का काढा पीये
4. रात में दूध में एक चम्मच हल्दी डालकर पिए
5. करेला के सीजन में करेला का रस,तथा करेला की सब्जी खाये
6. जामुन के सीजन में जामुन को खा कर उसकी गुठली छाया में सुखा ले उनका चूर्ण बनाकर एक-एक चम्मच सुबह शाम पानी से ले सकते हैं
7. कलौंजी एवं मेथी दाना बराबर मात्रा में लेकर चूर्ण बना लें और एक-एक चम्मच सुबह शाम ठंडे पानी से लें यह चूर्ण डायबिटीज के साथ-साथ शरीर के अनेक प्रकार के रोगों मे भी काम करता है
8. नींबू आंवला संतरा खीरा पपीता सदाबहार आदि का भी अधिक मात्रा में
आयुर्वेद चिकित्सा
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1. बसंत कुसुमाकर रस 250mg
गिलोय सत्व 500 एमजी
जामुन बीज चूर्ण 1 ग्राम
गुड़मार चूर्ण 1 ग्राम
हल्दी 1 ग्राम
आरोग्यवर्धिनी वटी दो गोली
इनको पानी या फीके दूधसे लेना है
2. सौठ, सौफ, सनाय, जामुन की गुठली, गुडमार,नीम की निबोली, बबूल की कच्ची फली, कलौंजी, मैथीदाना, आंवला, गिलोय,बील का गूद्दा, करेला सूखा हुआ, सदाबहार सूखे फूल
हल्दी सब समान मात्रा में लेकर चूर्ण बना लें और खाना खाने के 3 ।आधा घंटा पहले एक छोटी चम्मच सुबह एक छोटी चम्मच शाम को ठंडे पानी से लें
यह चूर्ण अनुभूत है काफी लोगों न के रक्त शर्करा कंट्रोल में है एवं कई लोगों के शुगर समाप्त हो गई
3. शिलाजित्वादी वटी, चंद्रप्रभा वटी, दो-दो गोली सुबह शाम
4. पनीर डोडा रात को 5 नग एक गिलास पानी में भिगो दें सुबह पानी को छानकर खाली पेट ले एक घंटा तक कुछ नहीं खाए पिए
5. फलत्रिकादि क्वाथ
10 ग्राम ढाई सौ ग्राम पानी में डालकर मन्दाग्नि मे उबालें जब चौथाई रह जाए तो छानकर उसको पी ले 1 घंटे तक कुछ भी खाए पिए नहीं
डायबिटीज वालों के लिए आटा
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गेहूं 10 किलो मिर्ची 1 किलो चना 1 किलो इनको विशाखा बना ले किस आटे की रोटी खानी है शुरू में कड़वी लगेगी डायबिटीज के रोगियों के लिए एवं बचाव की दृष्टि से भी सही रहेगी
बाजरा मक्का
भी डायबिटीज में ठीक रहते हैं
मेथी की सब्जी, करेला की सब्जी, हरी सब्जी छिलके वाली दाल, तुरई, घीया, बैगन मूली आदि की सब्जी प्राथमिकता में खाएं
लहसुन, पुदीना, अनारदाना, अदरक की चटनी डायबिटीज वालों के लिए अच्छी रहती है
डायबिटीज में निषेध
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चीनी, गुड़, मांस अंडा शराब आइसक्रीम मिठाई, मक्खन,ड तेल की तली हुई चीजें, मीठे पेय पदार्थ, मिठाई, दही, कफ को बढ़ाने वाली चीजें किसी भी प्रकार का रस, आलू चावल पके केले, चीकू, आम, अंगूर, लीची
इस प्रकार हमें डायबिटीज की उपेक्षा न करके इसके बचाव इसको कंट्रोल में रखने का पोर्न प्रयास करना चाहिए अन्यथा प्राणघातक स्थिति भी उत्पन्न हो जाती है
कोई भी दवा चाहे एलोपैथी हो चाहे आयुर्वेद हो या अन्य चिकित्सा पद्धति की हो चिकित्सक की देखरेख में ही
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