भागवत कथा में कृष्ण-रुक्मणि विवाह प्रसंग सुनाया, महिलाओं ने की फूलों की वर्षा

 भागवत कथा में कृष्ण-रुक्मणि विवाह प्रसंग सुनाया, महिलाओं ने की फूलों की वर्षा


- आरके पुरम में चल रही 7 दिवसीय भागवत कथा की आज होगी पूर्णाहुति  

- छठे दिन भगवान श्री कृष्ण और रुक्मणी के सुंदर विवाह का प्रसंग झांकी के साथ सुनाया  

उदयपुर। शहर के आरके पुरम में सात दिवसीय संगीतमय भागवत कथा महोत्सव के छठे दिन भगवान श्री कृष्ण और रुक्मणि के सुंदर विवाह का प्रसंग का मंचन हुआ। जिसमें सैकड़ों श्रद्धालुओं ने फूलों की वर्षा करते हुए भजनों पर झूमे एवं जयकारों से पूरा वातावरण गुंजायमान कर दिया।

संयोजक विठ्ठल वैष्णव ने बताया कि भगवान द्वारकाधीश रुक्मणी जी का हरण करके ब्याह रचाते है, कथा में रुक्मणी विवाह के प्रसंग का विस्तार से वर्णन किया गया और वृंदावन के कलाकारों द्वारा सुंदर अलौकिक झांकी भी प्रस्तुत की गई। भगवान कृष्ण और रुक्मणी जी की सुंदर झांकी को देख श्रोता भाव विभोर हो गए। जैसे ही झांकी में कृष्ण और रुक्मणि ने एक दूसरे को वरमाला पहनाई सभी महिलाओं ने फूलों की वृष्टि की पूरा पंडाल नृत्य करने लगा और पूरा पंडाल जयघोष से गूंज उठा ।

व्यासपीठ से कथावाचक पुष्कर दास महाराज ने कहा कि भीड़ में सत्य नहीं होता, भजन एकांत में ही हो सकता, जितनी उंगलियां मोबाइल पर चलती उतनी माला पर चलती तो कल्याण हो जाता। जीवन में रामरस आ जाए तो जीवन हो बदल जाता है,  कथा सत्संग सुनने से व्यक्ति पाप करने से बचता है । कथा अच्छे मार्ग पर ले जाती है, कथा बुराइयां छुड़ाती है। आगे कहा कई लोग कथा में बैठते है परन्तु मन कही और होता है, विचारों की भीड़ सभी जगह है । विचार अपने लोगों के होते है, मां को बेटे का, पत्नी को पति का, माता पिता को बच्चों का विचार रहता है । सत्संग में बैठने से हमारे विचारों का शमन होता है, सत्संग से हमें जीवन जीने का ज्ञान होता है । भगवान शंकर कैलाश पर्वत पर पार्वती के साथ राम के नाम का जप करते है, जिसने सत्य को पकड़ा उसने ईश्वर को पकड़ा । सूरदास जी में इतनी भक्ति करने के बाद भी अहंकार नहीं था, हरी कहते है जो मुझे मन से भजता है में उसका चाकर बन जाता हु । सत्कर्म में लगा हुआ पैसा लक्ष्मी कहलाती है, ये हमारा सौभाग्य है जो हमें सत्संग और भगवान के दर्शन का लाभ मिल रहा है । सूरदास जी में इतनी भक्ति करने के बाद भी अहंकार नहीं था। कथा को आगे बढ़ाते हुए महाराज ने कहा कृष्ण ने दावा नल अग्नि का पान किया। जिसकी आत्मा हर दम हरी चित्त में लगी रहे वही गोपी है। गोपियों के स्वप्न में भगवान कृष्ण बसते थे, कथा में रास लीला का वर्णन किया।

यजमान नरेंद्र वैष्णव ने बताया कि सोमवार को कथा में महंत तन्मय बन महाराज, कमल वैष्णव, दीपक शर्मा, परमेश्वर जोशी, यशवंत पांडे, बिहारी लाल, महेश त्रिवेदी, मनोज भट्ट, जगदीश व्यास, रणवीर सिंह आदि उपस्थित रहे ।  कार्यक्रम के अंत में विठ्ठल वैष्णव ने बताया 7 दिवसीय भागवत कथा की पूर्णाहुति मंगलवार प्रातः: 11 से 1 बजे मध्य महाआरती के साथ होगी।

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