विश्व में पहली बार "वैश्विक संस्कृति सेवा" (Global Sanskrit service)कार्यक्रम का शुभारंभ
विश्व में पहली बार "वैश्विक संस्कृति सेवा" (Global Sanskrit service)कार्यक्रम का शुभारंभ
राजस्थान के प्रतिष्ठित महाविद्यालय सेठ श्री सूरजमल तापड़िया आचार्य संस्कृत महाविद्यालय जसवंतगढ़ द्वारा स्वतंत्रता दिवस के शुभ अवसर पर वैश्विक संस्कृति सेवा नामक प्रकल्प का शुभारंभ किया गया। जिसमें विश्व के सभी संस्कृत प्रेमियों को संस्कृत से संबंधित 18 प्रकार के शिशु संस्कृत से वेद अध्ययन तक के सभी कोर्स निश्शुल्क उपलब्ध करवाए जाएंगे कार्यक्रम में महाविद्यालय के प्राचार्य डॉक्टर हेमंत कृष्ण मिश्रा ने स्वागत भाषण प्रस्तुत करते हुए आए हुए समस्त अतिथियों का आभार जताया। और वैश्विक संस्कृत सेवा कार्यक्रम का संपूर्ण विवरण अतिथियों के समक्ष रखा।
कार्यक्रम के अध्यक्ष बजरंगलाल तापड़िया ने बताया कि लोगों की इच्छा रहती है कि हम नौकरी पेशे के साथ-साथ संस्कृत और शास्त्रों को जानना चाहते हैं तो उन लोगों के लिए यह ऑनलाइन पाठ्यक्रम एक मील का पत्थर साबित होगा ।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि श्रीमान महावीर प्रसाद तापड़िया ने इस कार्यक्रम की सराहना करते हुए बताया कि संस्कृत आज के युग की आवश्यकता है हमारे प्राचीन ज्ञान को जानने के लिए संस्कृत का ज्ञान बहुत आवश्यक है कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के रूप में पधारे कमलेश जी डागा ने संस्कृत जय घोष से अपनी प्रशन्नता प्रकट की। कार्यक्रम में पधारे वैद्य रमेश कुमार पारीक महोदय ने संस्कृत में निहित आयुर्वेद के ज्ञान को संक्षेप में प्रस्तुत किया कार्यक्रम में श्री पवन भंडारी, डॉ राकेश नेहरा, प्रोफेसर जयपाल सिंह प्रोफेसर राकेश कुमार यादव प्रोफेसर अरुण कुमार शर्मा डॉ वैभव खिड़िया वेदाचार्य पीयूष महमियां, प्रोफेसर के.के. शर्मा , सरला शर्मा रुक्मणी शर्मा मंजू शर्मा सहित गणमान्य लोग उपस्थित रहे
कार्यक्रम की समाप्ति में श्रीमती मोहरी देवी तापड़िया शिक्षा शास्त्री महाविद्यालय की प्राचार्या डॉक्टर अलका मिश्रा ने सभी का धन्यवाद ज्ञापित किया
कार्यक्रम का सफल संचालन प्रोफेसर चंद्रशेखर भाम्भू ने किया
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें