राधा कृष्ण के मंदिरों ने राजस्थान के जयपुर को दूसरा वृंदावन बना दिया
*राधा कृष्ण के मंदिरों ने राजस्थान के जयपुर को दूसरा वृंदावन बना दिया
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राधा कृष्ण की उपासना का देश में दूसरा बड़ा केंद्र राजस्थान का जयपुर को छोटा वृंदावन कहा जाता है यहां गोड़ीय संप्रदाय, निंबार्क संप्रदाय, वल्लभ संप्रदाय ,ललिता संप्रदाय आदि के राधा कृष्ण को समर्पित दर्जनों मंदिरों की वजह से *जयपुर छोटा वृंदावन कहे या वृंदावन से कम नहीं लगता। है*हमारा जयपुर कितना भाग्यशाली रहा है,, की गोड़ीय वैष्णव संप्रदाय के राधा गोविंद देव जी यहां विराजमान है।🙏🏼🌸 वहीं जयपुर की पुरानी बस्ती में गोपीनाथ जी का चौड़ा रास्ता में राधा दामोदरदास जी के अलावा ठाकुर विनोद जी लाल जी भी विराजमान है।। गोकुलनाथ जी और राधा विनोद जी की मूर्तियों को लोकनाथ गोस्वामी और विश्वनाथ चक्रवर्ती ने स्थापित किया था।
गणगौरी बाजार में धोली पेड़ी एवं सिरह ड्योढ़ी दरवाजे में दाऊजी और नीलमणि जी के मंदिरों की अत्यंत रमणीय शोभा है।
वृंदावन चंद्र जी के अलावा बृजनंदन जी व आनंद कृष्ण जी के मंदिर हैं,, रानी भटियानी जी ने सन् 1790 में हवा महल के पास गोवर्धन नाथ मंदिर बनवाया था । महाकवि भोलानाथ शुक्ल ने इस मंदिर में श्री कृष्ण लीला ग्रंथ लिखा था।
वल्लभ संप्रदाय के गिरधारी जी के मंदिर में महाकवि पदमाकर जी भी रहे थे।
जयपुर के धार्मिक इतिहास में डॉक्टर सुभाष शर्मा ने लिखा, कि राजस्थान की पुरानी विधानसभा के पास बलदाऊ जी का मंदिर प्रताप सिंह जी एवं मेहताब बिहारी जी मंदिर रानी मेहताब कंवर ने बनवाया था।
त्रिपोलिया बाजार में चंद्र मनोहर मंदिर रानी मेड़तानी जी ने बनवाया था। श्री जी की मोरी में गोपीचंद वल्लभ मंदिर ,,ब्रह्मपुरी में गोकुल नाथ जी एवं पुरानी बस्ती में गोकुल चंद्रमा जी के मंदिर हैं ,, पुराना घाट में विजय गोविंद मंदिर की जगह पर गोविंद देव जी ने पड़ाव किया था। पुराना घाट में चतुर्भुज जी का मंदिर तवरांनी रानी जी ने बनवाया था ।।। जौहरी बाजार में चांपावत जी का चंद्र बिहारी मंदिर बहुत ही प्रसिद्ध है।
ब्रह्मपुरी में गोकुल नाथ जी मंदिर और परशुराम द्वारा में बलदेव कृष्ण का मंदिर निंबार्क संप्रदाय का मंदिर है। श्रीनाथजी का वल्लभ संप्रदाय ,हित हरिवंश संप्रदाय, ललिता संप्रदाय की परंपरा के संतों ने जयपुर में राधा कृष्ण भक्ति की अलख और भक्ति भाव जगाया था।
वृंदावन से आई लाडली जी राधा रानी का रामगंज में मंदिर है। भागवत पुराण में वर्णित है कि श्री कृष्ण के सुदर्शन वन में आने का प्रमाण वही पर स्थित *चरण मंदिर है*।
चित्तौड़ के किले से आएं मीरा के गिरधर गोपाल जगत शिरोमणि मंदिर जयपुर में है, और वहीं विराजमान हैं । मथुरा की श्री कृष्ण जन्म भूमि का जयपुर के महाराजा सवाई जय सिंह जी ने जीणोद्धार करवा कर अपनी पुत्री का जन्माष्टमी को विवाह संपन्न किया था । मान सिंह प्रथम ने वृंदावन सहित देश में भगवान श्री कृष्ण के दर्जनों मंदिरों को बनवाए थे।।।
इसीलिए जयपुर क्या संपूर्ण राजस्थान को ही छोटा वृंदावन कहा जाए ,,,तो कम नहीं है *जय श्री कृष्णा , जय श्री कृष्णा , जय श्री कृष्णा ।।। राधे राधे, राधे राधे ,,राधे राधे* ।।।
रिपोर्टर :::::वॉइस ऑफ़ मीडिया:::::राजस्थान शिंभू सिंह शेखावत
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