थायराइड उपचार में उपयोगी है कचनार
थायराइड उपचार में उपयोगी है कचनार
भारत के आयुर्वेद सुश्रुत संहिता व चरक संहिता में अनेक ऐसे पौधों का ज़िक्र है जिनका उपयोग औषधियों में किया था।
श्री भगवानदास तोदी महाविद्यालय के वनस्पति विभाग के विभागाध्यक्ष डॉक्टर जितेंद्र कांटिया ने बताया कि भारतीय चरक संहिता व सुश्रुत संहिता में ऐसे औषधीय पौधों का वर्णन है जिनका कोई भाग मनुष्य के किसी अंग से मिलता-जुलता होता था उनका उसी अंग की बीमारी को दूर करने में उपयोग किया जाता था। वैसा ही कचनार एक ऐसा पौधा है जिसकी पत्तियां की संरचना मनुष्य की थायराइड ग्रंथि से मिलती-जुलती है अतः इसका उपयोग सामान्य रूप से थायराइड उपचार में किया जाता है।
कचनार जिसे माउंटेन एबोनी या कैमल फूट या स्वेट कंचन के नाम से जाना जाता है यह फ़बेसी कुल का सदस्य है इसका वैज्ञानिक नाम बोहिनिया वेरिएगेटा है इसके पंचांग जैसे जड़, तना,पति, फल, फूल आदि के अलावा बीज व छाल सभी औषधि के रूप में उपयोग किए जाते हैं यह वृक्ष विटामिन व खनिज तत्वों से भरपूर होता है यह महिलाओं में मासिक धर्म चक्र को सुचारु करने में भी उपयोगी है। इसकी पत्तियों का रस मासिक धर्म में होने वाले अत्यधिक रक्त स्राव को नियंत्रित कर उसे नियमित करता है कचनार की छाल का पाउडर बवासीर व शरीर की गांठों के इलाज में महत्वपूर्ण है। यह शरीर की प्रतिरक्षा क्षमता को दुरुस्त करने का काम करता है
कचनार बालों की वर्दी के लिए भी उपयोगी है। इसके अलावा यह है कील मुंहासों व एक्जिमा जैसी समस्याओं को भी दूर करता है।
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