नीमकाथाना शहर को दो भागों में विभाजित करने वाला आर ओ बी राजनीति की भेंट चढ़कर, अपनी जर्जर अवस्था से जूझता हुआ।
नीमकाथाना शहर को दो भागों में विभाजित करने वाला आर ओ बी राजनीति की भेंट चढ़कर, अपनी जर्जर अवस्था से जूझता हुआ।
नीमकाथाना में समय की मांग और अनिवार्य तया के मध्य नजर राज्य सरकार व रेलवे विभाग के द्वारा लाइन दुरुस्तीकरण एवं डीडी एफसी रेल लाइन के नीम का थाना से होकर निकलने के कारण नीम का थाना में आर ओ बी की मांग उठी ।सभी राजनीतिक पार्टियों द्वारा अपना-अपना पक्ष रखा गया ।लेकिन जनप्रतिनिधियों ने असल मे निजी स्वार्थ की पूर्ति के कारण उसमें कुछ संकुचित दृष्टिकोण वाले नागरिक ज्यादा होने तथा व्यापक दृष्टिकोण रखने वाले नागरिक न्यून होने के कारण नीम का थाना शहर का एकमात्र शहर को दो भागों में विभाजित करने वाला आर ओ बी के निर्माण की रूपरेखा स्वहित के मध्येनजर रखी गई। राजनीतिक पार्टियों के दृष्टिकोण में भिन्नता के कारण आर ओ बी में बहुत सी खामियां रह गई। इंजीनियरों के द्वारा बनाए गए मानचित्र नक्शा को किनारे रखा गया।।। जन प्रतिनिधियों की मनमाफिक व मनमर्जी से आर ओ बी का निर्माण शुरू हुआ ।प्रथम तो जहां से आरंभ होने वह जहां आर ओ बी उतरना था।। उसमें ही राजनीति आड़े आ गई ,इसका दुष्परिणाम सामने है। पिछले दो वर्ष पूर्व नीमकाथाना के किसी व्यक्ति ने आर ओ बी के ऊपर दरारें देखी ❓❓❓उसके बाद नीम का थाना का प्रशासन जगह और लगभग 6 महीना तक आर ओ बी के ऊपर से भारी वाहनों का प्रवेश वर्जित कर दिया गया ,एवं उनका वैकल्पिक रास्ता सुझाया गया प्रशासन द्वारा इंजीनियर आए। और उन्होंने अवलोकन किया ,उसके पश्चात् आर ओ बी के बेरिंग बदले गए ।उसके बाद भारी वाहनों के लिए वापस खोला गया। आर ओ बी का निर्माण करते समय दाएं और बाएं दोनों और डिवाइडर पैदल रहागीरों के चलने के लिए बनाए जाते हैं ।वह नीम का थाना में नदारद है गंदगी तो हर समय ही रहती है। आधे आर ओ बी पर तो पोल पर लाइटें जग रही है ,और आधे पर पूर्णतया अंधेरा है! और और आर ओ बी पर बने रिफ्लेक्टरों का प्रतिबिम्ब भी नहीं होती है।संपूर्ण आर ओ बी पर लगभग 100 के आसपास एक -1 फीट के खडडे बने हुए हैं??? इससे बड़ा दुर्भाग्य और क्या होगा ।नीमकाथाना के आर ओ बी पर चलती गाड़ी प्रत्येक 20 फुट की दूरी पर, गाड़ी में बैठे हुए व्यक्तियों को उबड़ खाबड़ होने के कारण धक्के से लगते हैं। क्योंकि यह आर ओ बी पश्चिम दिशा से चढ़कर रेलवे लाइन के ऊपर से होता हुआ पूर्व में वर्तमान में बिजली पावर हाउस के पास उतरना था। लेकिन यहां के जनप्रतिनिधियों ने ऐसा नहीं होने दिया, इसका खामियाजा नीमकाथाना की जनता भुगत रही है।और गौरतलब है ,की रेलवे पटरी से पश्चिम दिशा के किसी घर का सदस्य गुजर जाए अर्थात स्वर्गवास हो जाए ।तो उसे रेलवे लाइनों के ऊपर से ले जाया जाता है ।जो कि खतरे से खाली नहीं है।डीडीएफसी की रेलवे लाइनों पर कब गाड़ी आ जाए ❓उसका कोई पता नहीं है। जिसके कारण अनेकों व्यक्तियों की जानें जा चुकी है। जनता में वाही वाही लूटने एवं बिना कुछ किये अपनी टीआरपी में बढ़ोतरी की चाह रखने वालों ने रेलवे लाइन के नीचे से लगभग 6 फीट ऊंचा आयताकार रास्ता बनाकर इतिश्री कर ली ।।वर्तमान हालात यह है कि उसे रास्ते से कोई भी नहीं गुजरता मुश्किल से दो या चार व्यक्ति प्रतिदिन के निकलते हैं। उसमें भी गंदगी का आलम इतना है ,कि उसे रास्ते को पार करना भी मुश्किल होता है। दूसरा निंदनीय पहलू यह है कि इस रास्ते में उतरते समय भी सीढीयो से उतरना और चढ़ते समय भी सीढीयों से चढ़कर जाना होता है, ऐसे में स्वर्गवासी व्यक्ति की अरथी को निकल पाना पूर्णतया असंभव हो जाता है⁉️ इसलिए उस अर्थी को रेलवे लाइनों के ऊपर से ही ले जाया जाता है ,इस रास्ते के लिए 4 वर्ष पूर्व लगभग 100 दिनों से ज्यादा दिनों तक धरना प्रदर्शन भी रहा था ।जिसमें नीम का थाना के प्रत्येक वार्ड के व्यक्तियों ने भाग लिया था, लेकिन उसका परिणाम जीरो रहा ।।।नीमकाथाना के जिम्मेदार राजनेता और नौकर रहा आंखें मूंदे बैठे हैं। राजस्थान की सरकार गूंगी बहरी सरकार है, सिर्फ और सिर्फ मोदी जी प्रधानमंत्री जी को पत्र लिखने का अन्तिम व सर्वोत्तम अवसर ही शेष बचा है।।।सबका साथ सबका विकास।।। रिपोर्टर शंभू सिंह शेखावत इलेक्ट्रिक मीडिया सीकर नाम का थान
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें