मातृ-पितृ वन्दन दिवस मनाया

 मातृ-पितृ वन्दन दिवस मनाया


💐🙏 सेठ श्रीएन.के. जाजोदिया राजकीय वरिष्ठ उपाध्याय संस्कृत विद्यालय लक्ष्मणगढ सीकर में मातृ-पितृ वन्दन दिवस विद्यालय परिवार के साथ मनाया इस अवसर पर विद्यालय के संस्कृत के प्राध्यापक श्रीचन्द्रशेखर जोशी ने हर व्यक्ति के जीवन में माता-पिता का बहुत बड़ा योगदान होता, एक पिता ही ऐसा होता है वो चाहता है कि मेरी सन्तान मेरे से भी ज्यादा अपने यश कीर्ति को फैलाये,पिता अपनी सन्तान के लिये तन,मन,धन और अपना जीवन सब कुछ समर्पित कर देता है। पिता के बिना किसी का अस्तित्व नहीं, पिता है तो सब कुछ है पिता है तो हट है,जिद्द है,पिता है तो संसार की सब खुशी अपनी है,पिता है तो सब सपने अपने है, पिता है तो सब खिलौने अपने है। और पिता नहीं तो सारा संसार शून्य है। इस लिए जिनके माता पिता है वो बडे शौभाग्य शाली है। सौ जन्म तक लेने पर भी पुत्र माता पिता के ऋण से उऋण नहीं हो सकता। पुत्र के लिए पिता परं ब्रह्म है। इसी प्रसंग पर श्री गणेश जी महाराज को प्रथम अधिपति पूजनीय क्यों माना गया। श्रीगणेश जी अपने माता पिता श्रीशिव पार्वती को ही सम्पूर्ण चराचर जगत ब्रमाण्ड सब इन में ही समाहित है,ऐसा मानते थे। और अन्त में बताया कि माता पिता की सेवा करना उनके प्रति समर्पित होना ही सबसे बडी तपस्या,धर्म, कर्म सब उसी में है। माता पिता के प्रसन्न होने जाने पर संसार के जितने भी देवता है ,वो सब प्रसन्न हो जातेहै। 

💐पिता धर्म:पिता कर्म:,पितैव परं तप: पितरि प्रीतिमापन्ने प्रीयन्ते सर्व देवता: 💐🙏चन्द्रशेखर जोशी प्राध्यापक संस्कृत राजकीय वरिष्ठ उपाध्याय संस्कृत विद्यालय लक्ष्मणगढ सीकर 💐🙏

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