वर्ल्ड रेसलिंग सिल्वर चैंपियन सुमन शर्मा के पास माँ का आशीर्वाद-


 वर्ल्ड रेसलिंग सिल्वर चैंपियन सुमन शर्मा के पास माँ का आशीर्वाद-- कैलाश चंद्र कौशिक

जयपुर। भरतपुर में आयोजित हुए 29वें अखिल भारतीय महारानी किशोरी केसरी दंगल में राजस्थान केसरी का खिताब अपने नाम करने वाली जयपुर के पास स्थित एक छोटे से गांव की पहलवान सुमन शर्मा को परिजनों द्वारा गहने गिरवी रखकर बनाया गया पहलवान। प्राप्त जानकारी अनुसार भरतपुर में आयोजित हुए महिला कुश्ती दंगल में राजस्थान केसरी का खिताब अपने नाम करने वाली जयपुर के फतेहपुरा गांव की रहने वाली सुमन शर्मा के पिता रामनिवास शर्मा एक व्यवसाई हैं और मां विमला देवी गृहिणी। सुमन शर्मा का बचपन से खेलों का शौक था, लेकिन पिता को ये सब पसंद नहीं था। पिता रामनिवास का मानना था कि बेटी को पढ़ाई पर ध्यान देना चाहिए और अच्छे से पढ़कर कोई सरकारी नौकरी पकड़ ले। उधर सुमन शर्मा के दिल में स्पोर्ट्स का जुनून था। पहलवान सुमन शर्मा ने बताया कि स्कूल की पढ़ाई पूरी कर वो कॉलेज में पढ़ने के लिए जयपुर गई। वहां पर कॉलेज के गेम्स में उसने कुश्ती में भाग लेना शुरू किया, लेकिन जब पिता को इस बात का पता चला तो वो नाराज हुए। पिता रामनिवास का मानना था कि कुश्ती लड़कों का खेल है लड़कियों का नहीं। पहलवान सुमन शर्मा ने बताया कि गांव में संयुक्त परिवार है। जब वो कॉलेज से घर जाती तो उसे ताने सुनने को मिलते, लेकिन मां विमला देवी ने हमेशा सहयोग किया और बेटी पर भरोसा भी जताया। सुमन शर्मा ने बताया कि उसे कुश्ती की प्रैक्टिस के लिए हरियाणा जाना था, लेकिन पिता इस बात से नाखुश थे। इसलिए मां ने अपने गहने गिरवी रखकर पहलवानी के लिए पैसा दिया। सुमन शर्मा ने बताया कि उसने हरियाणा में जीतोड़ मेहनत की। जब वो पहली बार राज्यस्तरीय मेडल जीतकर गांव पहुंची तो गांव वालों ने भव्य स्वागत सम्मान किया। उसके बाद पिता की भी नाराजगी दूर हो गई और उनका भी सपोर्ट मिलने लगा। पहलवान सुमन शर्मा ने बताया कि वर्ष 2016 में कुश्ती की शुरुआत की। तब से अब तक करीब 30 मेडल राज्यस्तरीय मुकाबलों में, कई मेडल राष्ट्रीय स्तर पर जीत चुकी है। वर्ष 2023 में वर्ल्ड रेसलिंग चैम्पियनशिप में रूस में सिल्वर मेडल जीतकर माता पिता और देश का नाम रोशन कर दिया। अब सुमन ओलिंपिक में मेडल जीतकर देश का नाम रोशन करना चाहती हैं।

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