कवि सम्मेलन में देर रात तक जमे रहे श्रोता। शब्दों की फुलझड़ियो से रोशन हुआ दीपावली मेला। बही वीर, हास्य, साहित्य की त्रिवेणी

 कवि सम्मेलन में देर रात तक जमे रहे श्रोता।

शब्दों की फुलझड़ियो से रोशन हुआ दीपावली मेला।

बही वीर, हास्य, साहित्य की त्रिवेणी





उदयपुर जनतंत्र की आवाज विवेक अग्रवाल। नगर निगम उदयपुर द्वारा आयोजित दीपावली मेला आज कवियों के काव्य पाठ के नाम रहा। नगर निगम प्रांगण में खचाखच भरे दर्शकों के बीच देश के प्रमुख कवियों ने काव्य पाठ से समा बांधा। दीपावली मेले में छठे दिन मशहूर कवियों की कविताओं ने उपस्थित दर्शकों को ढलती शाम से देर रात तक बांधे रखा।

नगर निगम सांस्कृतिक समिति एवं मेला आयोजन समिति अध्यक्ष चंद्रकला बोल्या ने बताया कि मेले में कवि सम्मेलन का शुभारंभ राजस्थान सरकार में पशुपालन एवं डेयरी मंत्री जोराराम कुमावत, लक्ष्यराज सिंह मेवाड़, राज्य सभा सांसद चुन्नीलाल गरासिया, शिव सिंह सारंगदेवोत, उद्योगपति जे पी अग्रवाल, शशिकांत खेतान, पाटीदार, प्रवीण खंडेलवाल, अनुराग सक्सैना, शब्बीर मुस्तफा, यशवंत आचलिया, नेमीचंद, शांतिलाल वेलावत, नीलिमा सुखाड़िया, प्रेम सिंह शक्तावत, विनोद फाडोत, किरण जैन, अनिल नाहर, दिग्विजय श्रीमाली, प्रकाश कोठारी, दीपक बोल्या, माधुरी कलाल, आलोक पगारिया, अमर सिंह सांखला, अतुल चंडालिया, दिनेश श्रीमाली, पंकज शर्मा, हंसा माली, गजेंद्र भंडारी, विष्णु प्रजापत, राधिका लड्ढा, महापौर गोविंद सिंह टांक, उप महापौर पारस सिंघवी आदि ने मां सरस्वती के समक्ष दीप प्रज्वलन कर किया। 

सांस्कृतिक समिति अध्यक्ष चंद्रकला बोल्या ने बताया कि शनिवार को नगर निगम प्रांगण में आयोजित हुए कवि सम्मेलन कार्यक्रम में शहर की जनता देश-विदेश के जाने-माने कवि एवं टीवी स्टार शैलेश लोढ़ा को देखने और सुनने के लिए उमड़ पड़ी। लोढ़ा के मंच पर आते ही शहर की जनता ने तालिया की गड़गड़ाहट से स्वागत किया, तो लोढ़ा ने भी अपने चित परिचित अंदाज में शहर की जनता को धन्यवाद दिया। लोढ़ा की हर पंक्ति ने शहर वासियों को ठहाके लगाने पर मजबूर किया तो उन्होंने भी आसमान को तालिया से गूंजा दिया। कवि सम्मेलन प्रारंभ होने से पूर्व ही दर्शक शैलेश लोढ़ा को देखने के लिए आतुर हो रहे थे। कवि सम्मेलन के प्रारंभ में शहर के सूत्रधार कवि आजाद शत्रु ने मेवाड़ी अंदाज में उपस्थित कवियों का स्वागत किया नगर निगम प्रेस सलाह मीडिया दीपावली मेला प्रेस समिति अध्यक्ष जोगालाल भाई ने बताया कि कविता पाठ कवि सम्मेलन में सर्वप्रथम दोसा के संजय झाला ने अपनी कविता पाठ का अपने अंदाज में आगाज किया उन्होंने परिवार पर आधारित कविता भाई की हंसी ताकत सवाई है , बहन की हंसी मजबूत कलाई है, पिता की हंसी बच्चों की  कमाई है, मां की हंसी प्रभु की प्रभुताई है, बच्चों की हंसी पीर की भुलाई है बेटी की हंसी बाप की दवाई है, प्रेमिका की हंसी हवा हवाई है, लुगाई की हंसी जेब की सफाई है से खूब तालिया बटोरी। संजय ने कविता की हर पंक्ति पर खूब वाहवाही लूटी। कवि संजय झाला के बाद मंच पर कवयित्री कविता किरण ने मंच को संभाला । कविता ने अपने शब्दों के बाणों से दर्शकों के दिलों में छाप छोड़ दी। कविता ने दीया होकर जो तूफां से लड़ा है, यक़ीनन क़द में सूरज से बड़ा है, वो क़तरों की करे क्यूंकर तमन्ना, कि जिसके पाँव में दरिया पड़ा है से श्रोताओं के मन को हिला दिया। एक के बाद एक छंदों से कविता ने दर्शकों को बांधे रखा। 

कवि सम्मेलन में कवयित्री डॉ भुवन मोहिनी ने अपनी कविता से दर्शकों को रोमांचित कर दिया। मोहिनी ने पूरे समय दर्शकों को अपने शब्दों में उलझाकर रखा। मोहिनी ने किनारे बैठकर जब जब लहर पर मुस्कुराती हूँ, वो मुझमें डूब जाता है मैं उसमें डूब जाती हूँ, लहू बनकरके नस नस में रहा बहता रहे बहता, ये झीलों का शहर मेरा मैं इस पर जाँ लुटाती हूँ कविता सुनाकर दर्शकों में रोमांस भर दिया। 

डॉ भुवन मोहिनी के बाद कवि गोविंद राठी ने अपनी कविता पाठ से दर्शकों की आँखें नम कर दी। राठी ने अपनी कविता में मां की ममता को जीवंत कर दिया। कवि राठी ने क्या-क्या मंज़र रखा हुआ है मेरी मां की गोद में, धरती अंबर रखा हुआ है मेरी मां की गोद में, मैं पैसठ बरस का हो के भी बूढ़ा नहीं हुआ, मेरा सर रखा हुआ है मेरी मां की गोद में कविता से खूब तालिया बटोरी। कवि सम्मेलन में मंच पर कवि गोविंद राठी के बाद इटावा के प्रसिद्ध कवि गौरव चौहान ने मंच से शब्दों के बोल से दर्शकों के मन में देश भक्ति का ज्वार भर दिया। गौरव ने अपनी कविता में इंडिया ओर भारत में अंतर स्पष्ट किया। गौरव ने जब अपनी कविता पृथ्वी राणा वीर शिवा की अमिट विरासत वाले हैं, तुम्हें मुबारक रहे इंडिया हम तो भारत वाले है, सुनाई तो मेले में उपस्थित दर्शकों ने खड़े होकर भारत माता की जय के नारों से आसमान को गूंजा दिया।

कवि गौरव के बाद मंच को मेवाड़ के सपूत सूत्रधार कवि राव अजातशत्रु ने बागडोर संभाली। सूत्रधार अजातशत्रु ने मेवाड़ की महिमा को ऐसे शब्दों में पिरोया कि दर्शक शब्दों को दिलो में संभालने को मजबूर हो गए। दर्शक अपने आपको मेवाड़ी बोलकर धन्य समझने लगे। अजातशत्रु ने अपनी कविता में झीलों की नगरी के आगे, स्वर्ग मिले ठुकराता हूं, इस मिट्टी में जन्म लिया है, गीत यहाँ के गाता हूं, हल्दी घाटी की महिमा पर, दिल्ली भी शर्मिंदा है, हम मेवाड़ी लोग, हमारी आन बान पर ज़िंदा है, गोरा बादल राजस्थान, शेरों का दल राजस्थान बोलकर दर्शकों के मन में मेवाड़ी होने का गर्व भर दिया। कविता के मच से प्रतापगढ़ के कवि पार्थ नवीन ने दीपावली के पहले हंसी की फुलझडियां छोड़ दी। पार्थ ने अपनी हास्य कविता से दर्शकों को लोटपोल कर दिया। पार्थ की कविता उड़ते रहो हवाओं में कपूर की तरह, बजते रहो फिजाओं में संतूर की तरह, मुरझाये हुए फूल पे आएंगी तितलियाँ एन्जॉय कीजिये शशि थरूर की तरह से खूब गुदगुदाया और दर्शकों ने पूरा निगम तालियों से गुंजायमान कर दिया।

दीपावली मेले में कवि सम्मेलन के मंच से कवि मनोज गुर्जर ने घर में ओर समाज में बेटियों के महत्व को अपने शब्दों से समझाया। कवि गुर्जर ने गुलशन में खिले फूल सी, होती है बेटियाँ, जीवन में बीज प्यार के, बोती है बेटियाँ, मत मारो इन्हें कोख में, बेटो की चाह में, होता हैं दर्द बाप को, रोती है बेटियाँ ॥ कविता से सभी को सोचने पर मजबूर कर दिया। कवि ने यह स्पष्ट संदेश दिया है कि जल है तो जीवन है और बेटी है तो कल है।

दीपावली मेला प्रेस समिति अध्यक्ष छोगालाल भोई ने बताया कि कार्यक्रम शुरू होने के पूर्व ही शहरवासी मेला प्रांगण में पहुंच चुके थे जो देर रात तक चले कवि सम्मेलन के अंत तक डटे रहे। कवि सम्मेलन का रोमांच गुलाबी ठंड ने ओर बढ़ा दिया। 

भजन संध्या के साथ आज होगा सांस्कृतिक कार्यक्रम का समापन।

नगर निगम सांस्कृतिक समिति अध्यक्षा चंद्रकला बोल्या ने बताया कि रविवार रात्रि भव्य भजन संध्या के साथ ही मेले में सांस्कृतिक कार्यक्रम की समाप्ति हो जाएगी। आज अंतिम दिन सांस्कृतिक का आयोजन किया जाएगा जिसमें प्रसिद्ध भजन गायक प्रकाश माली और आकृति मिश्रा द्वारा बेहतरीन प्रस्तुतिया दी जायेगी। मेला अनवरत 4 नवंबर तक जारी रहेगा जिसमें दुकाने झूले यथावत संचालित रहेंगे।

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