संयुक्त राष्ट्र महासभा में प्रस्ताव 66/170 को पारित कर 11 अक्टूबर को अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस घोषित किया। हर साल 11 अक्टूबर को अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस मनाया
यह जानकारी जनतंत्र की आवाज पत्रकार श्रीमान विनोद शर्मा को दी। 19 दिसंबर 2011 को संयुक्त राष्ट्र महासभा में प्रस्ताव 66/170 को पारित कर 11 अक्टूबर को अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस घोषित किया। हर साल 11 अक्टूबर को अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस मनाया
जाता है। इस दिन को सबसे पहले साल 2012 में मनाया गया था। इस दिन को मनाने के पीछे का उद्देश्य महिला सशक्तिकरण और उनके अधिकार प्रदान करने में मदद करना, ताकि दुनिया भर में उनके सामने आने वाली चुनौतियों का वे सामना कर सके और अपनी जरूरतों को पूरा कर सके। *2024 के अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस का विषय है, "भविष्य के लिए लड़कियों का दृष्टिकोण"।* इस वर्ष का विषय लड़कियों की आवाज और भविष्य के लिए दृष्टिकोण की शक्ति से प्रेरित तत्काल कार्रवाई और निरंतर आशा दोनों की आवश्यकताओं को दर्शाता है। आज की समय लड़कियों को जीवन में कई मुश्किलों का सामना करना पड़ता है, हम यहां पूरी विश्व की लड़कियों की बात कर रहे हैं, बेटियां देश में हर तरह से अपना योगदान कर रही है। लड़कियों के कन्या भ्रूण हत्या, लैंगिक असमानता या फिर यौन शोषण में आज भी कमी देखने को कम ही मिलती है। इस प्रकार इन खतरों को रोकने और लड़कियों के अधिकारों और दुनिया भर में लड़कियों के सामने आने वाली अनोखी चुनौतियों को पहचानने के लिए हर साल अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस मनाया जाता है। अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस को मनाने का उद्देश्य बेटियों को जागरूक करना है। अपने अधिकारों के लिए, अपनी सुरक्षा और बराबरी के लिए, जिससे वो आने वाली सभी चुनौतियों और परेशानियों का हिम्मत के साथ डटकर मुकाबला कर पाए। बालिका दिवस का दिन इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि यह लिंग-आधारित चुनौतियों को समाप्त करता है। बता दे की दुनिया भर में लड़कियां लिंग से जुड़ी परेशानियां का सामना करती है। जिसमें बाल विवाह, उनके प्रति भेदभाव और हिंसा शामिल है। संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक दुनिया भर में बहुत सी लड़कियां गरीबी के बोझ तले जी रही है। लड़कियों को शिक्षा मुहैया नहीं हो पाती। दुनिया में हर तीन में से एक लड़की शिक्षा से वंचित है। लड़कियां आज लड़कों से एक कदम आगे है। लेकिन आज भी आज भी वह भेदभाव की शिकार है। और इसी भेदभाव को मिटाने के लिए और उनकी सुरक्षा के लिए भी अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस मनाया जाता है। 11 अक्टूबर को करीबन विश्व भर के 50 से ज्यादा देशों के द्वारा अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस मनाया जाता है। शिक्षा वैसे तो सभी के लिए महत्वपूर्ण है, लेकिन बालिकाएं इस क्षेत्र में भी पीछे नहीं है। बालिकाओं को सशक्त बनाने के लिए शिक्षा बहुत महत्वपूर्ण है। शिक्षा मात्र सिर्फ पढ़ने और लिखने के बारे में नहीं होती है, बल्कि बालिकाओं को सामाजिक रूप से और सामाजिक बाधाओं को अपने ज्ञान से दूर करने के लिए कौशल और आत्मविश्वास से लैस करने के लिए भी है। एक शिक्षित महिला या बालिका राष्ट्र में सामाजिक और आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण योगदान दे सकती है। लेकिन यह भी सच है कि लड़कियां में क्षमता होने के बावजूद उनको जीवन में अक्सर बाधाओं का सामना करना पड़ता है। बात चाहें भेदभाव की हो या शिक्षा की कई जगह आज भी पर उनको चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। यह चुनौतियां न सिर्फ लड़कियों की प्रगति के लिए भी हानिकारक है, अपितु समाज के लोगों के लिए भी हैं। इसको समझना बेहद जरूरी हो गया हैं। लड़कियों के जीवन को निखारने के लिए समाज महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह सुनिश्चित करना भी समाज की ही जिम्मेदारी है, कि हर लड़की के साथ सम्मान और समान व्यवहार के साथ समान मौके दिए जाएं। समाज में लड़कियों को आगे बढ़ने के लिए उनके पंखों को काटना नहीं बल्कि उनको नए पंख देने चाहिए। ताकि वो आसमान तक छू सके और अपना और अपने देश का नाम भी रोशन कर सके। लड़कियां कमजोर नहीं होती हैं, बल्कि उनको एक मौके की तलाश होती है। जो उनको समाज और परिवार से मिलता है। समाज में बालिकाओं को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है, जैसे शिक्षा की कमी, भेदभाव और स्वास्थ्य सेवाओं की अनदेखी। इस दिन हम यह सुनिश्चित करने के लिए एकजुट होते हैं कि हर बालिका को समान अवसर मिले, उसका सम्मान हो और वह अपने सपनों को पूरा कर सके। बालिकाओं का सशक्तिकरण, एक बेहतर और प्रगतिशील समाज की नींव है। "जब हम एक लड़की को शिक्षित करते हैं, तो हम एक राष्ट्र को शिक्षित करते हैं।" "हर लड़की में दुनिया को बदलने की क्षमता होती है, उसके सपनों का समर्थन करें और उसे आगे बढ़ते हुए देखे।" "सशक्त लड़कियां सशक्त भविष्य का निर्माण करती हैं।" हमारे समाज का भविष्य इस बात पर निर्भर करता है कि हम आज अपनी बच्चियों के साथ कैसा व्यवहार करते हैं और उन्हें महत्व देते हैं। शिक्षा, स्वास्थ्य देखभाल, कानूनी सुरक्षा और सामाजिक सशक्तिकरण के माध्यम से बालिकाओं को सशक्त बनाना न केवल एक नैतिक दायित्व है बल्कि सामाजिक विकास के लिए एक राजनीतिक आवश्यकता भी है। यह सुनिश्चित करके लड़कियों को बढ़ने, सीखने और आगे बढ़ने के समान अवसर मिले, हम एक अधिक संतुलित, और न्याय संगत और समृद्ध समाज बना सकते हैं। *शीश राम यादव (अध्यापक) राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय महावा (नीम का थाना)*
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