जैन संस्कृति के पर्व पर्युषण महापर्व आज से शुरू
*जैन संस्कृति के पर्व पर्युषण महापर्व आज से शुरू
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गोगुन्दा 31 अगस्त
जैन धर्मावलंबियों के आठ दिवसीय पर्युषण आज 1 सितंबर से शुरू होंगे।आठ दिवसीय पर्युषण महापर्व के दौरान जैन धर्मावलंबियो की आराधना शुरू होगी।उपवास दो उपवास तीन उपवास अठाई दस और मासक्षमण की तप आराधना का दौर शुरू होने जा रहा है।आत्म शुद्धि का पावन अवसर है।पर्युषण के दौरान महिलाओ में तपस्या की झड़ी लगेगी।तप आराधना में पुरुष और महिलाओ के साथ किशोरियां भी तप आराधना में अपूर्व श्रद्धा रखती है।आत्मकल्याण के इस अदभुत अवसर में उपवास के साथ दान पुण्य की सरिता बहेगी।पर्युषण पर्व जैन धर्मावलंबियों का महापर्व होता है।इसमे आत्मा को कर्म के बोझ से हल्की फुल्की करने का बहुत महत्वपूर्ण समय है।आठ दिन के पर्युषण महापर्व में सामायिक प्रतिक्रमण आदि आराधना भी मुख्य रूप से की जाएगी।पर्युषण महापर्व ऐसा पर्व है जैन धर्म को मानने वाले और अपनी आत्मकल्याण की अभिलाषा वाले हर व्यक्ति पर्युषण का हिस्सा बनना पसंद करेंगे।स्थानक भवन में रहकर प्रभु के शरणों में अपने किए गए कर्मो की निर्जरा के लिए भगवान महावीर से क्षमा याचना कर सद्बुद्धि की कामना करेंगे।श्रावक श्राविकाओं के चिंतन मनन के लिए सुवर्ण अवसर है।आठ दिवस के बाद संवत्सरी के दिन क्षमा याचना कर उन लोगो से विशेष जुड़ने की कोशिश करते है।जिनके साथ व्यवहार की दृष्टि से अनुकूल नही है।यह पर्व श्वेताम्बर दिगम्बर दोनों सम्प्रदाय वाले मनाते है।जैन धर्म का चार फिरका है।जिसमे दिगम्बर समाज के पर्युषण के रूप में दस लक्षणा पर्व श्वेताम्बर के पर्युषण पूर्ण होने के बाद शुरू होता है।1 सितंबर यानी आज से शुरू होने वाला पर्युषण स्थानकवासी सम्प्रदाय और तेरापंथ सम्प्रदाय का है।पर्युषण का अर्थ है चारो तरफ से धर्म आराधना करने का है।उमरणा महावीर गौशाला के अध्यक्ष लक्ष्मीलाल कच्छारा ने बताया कि आज से शुरू होने वाले पर्युषण आठ दिन तक चलेंगे।पर्व पर्युषण का जैन धर्म मे विशेष महत्व है।यह आत्मशुद्धि ,तपस्या और आत्मनिरीक्षण का महत्वपूर्ण समय माना जाता है।पर्युषण के दौरान स्थानकभवन में श्रद्धालु और श्रावक श्राविकाएं सामायिक प्रतिक्रमण और गुरु भगवंतों के प्रवचन का लाभ उठाएंगे।यह समय सत्य अहिंसा और आत्मसंयम और क्षमा की भावना को जागृत करने और आत्मसात करने का समय है।गुरु भक्तों के प्रवचन सुनने के लिए विशेष इंतजाम किया गया है।श्रावक श्राविकाओं के बीच उत्साह उमंग और धार्मिक आस्था चरम पर है।सेहरा प्रान्त सहित उदयपुर भीलवाड़ा मंगरा प्रान्त सादड़ी पाली जोधपुर सूरत ओर मुंबई से श्रावक श्राविकाओं का आवागमन होगा।क्षमा मांगना और क्षमा देना जैन धर्म का प्रमुख सिद्धांत है। संवत्सरी पर क्षमा याचना की जाएगी।आठ दिन प्रभु की आराधना तप- जप और यहाँ बिराजमान संतो के प्रवचन भी होंगे।जैन संत जिनेन्द्रमुनि मसा ने आज प्रवचन में फरमाया कि आठ दिवसीय पर्युषण महापर्व एक सितंबर से शुरू होंगे आपको नियमित प्रवचन श्रवण करने और सामायिक प्रतिक्रमण में उपस्थित होकर कर्म निर्जरा करनी है।प्रवीण मुनि ने कहा कि आठ दिन वर्ष दरमियान किए गए अच्छे और बुरे कर्मो का लेखाजोखा इस समय मे अनुभव कर अच्छे कर्मो की और बढ़ना है।रितेश मुनि ने कहा कि आप उपवास नही कर सकते है तो कम से कम पांच माला जरूर करनी चाहिए।प्रभातमुनि मसा ने अधिक से अधिक संख्या में श्रावकों को उपस्थित रहकर संतो के द्वारा दिया जाने वाले ज्ञान का अनुसरण करने के लिए कहा।
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