समाज में बढ़ती नशे की प्रवृत्ति पर रोक

 समाज में बढ़ती नशे की प्रवृत्ति पर रोक


नशा आज हमारे समाज के लिए एक गंभीर समस्या बन चुका है । वर्तमान काल में पाश्चात्य सभ्यता, चलचित्रों की संस्कृति एवं फैशन आदि के प्रभाव से युवाओं में नशे की प्रवृत्ति असीमित रूप में बढ़ रही है । इसके कारण बड़ी संख्या में युवाओं का जीवन बर्बाद हो रहा है । परंपरागत मादक पदार्थों में मदिरा, अफीम ,भांग आदि का उपयोग होता है । परंतु केमिकलों के मिश्रण से निर्मित कुछ नए मादक पदार्थ अत्यधिक हानिकारक है । इनके सेवन से मौत के द्वार खुल जाते हैं। 

वर्तमान में हमारे देश के युवाओं में नशे की प्रवृत्ति बढ़ रही है । कुछ लोग नशीले पदार्थों को बेचने का काला धंधा करते हैं । वें स्कूल, कॉलेज में जाने वाले युवाओं को, बेरोजगारों तथा फैशन प्रस्त युवाओं को अपने जाल में फसाते हैं । मार्फिन, हीरोइन ,ब्राउन शुगर , स्मैक आदि को गोलियों या पुडियाओं के रूप में बेचा जाता है । इन मादक पदार्थों की लत से युवाओं में अनेक विकृतियों बढ़ रही है। अनेक संगठन मादक पदार्थों के अनैतिक व्यापार में लगे हुए हैं । इससे अंडरवर्ल्ड अपराधियों को धनार्जन होता है । आज युवा वर्ग मे मादक पदार्थों के सेवन की लत जिस गति से बढ़ रही है, वह संपूर्ण समाज व देश के लिए खतरे की घंटी है। 

नशा कोई भी हो वह मनुष्य के लिए हानिकारक होता है। नशे की लत से स्वास्थ्य का नुकसान होता है । नशे का आदी व्यक्ति निष्क्रिय हो जाता है । उसकी शक्ति क्षीण हो जाती है । धन का अपव्यय होता है । मादक पदार्थों के कारण ही दुराचार , लूटपाट आदि अपराध बढ़ रहे हैं । मादक पदार्थों के व्यापार की छाया में आतंकवाद बढ़ रहा है तथा पारिवारिक हिंसा एवं मारपीट की भयानक घटनाएं प्रतिदिन देखने ,सुनने में आ रही है। इस प्रकार मादक पदार्थ सेवन के भयंकर दुष्परिणाम सामने आ रहे हैं । 

नशे की प्रवृत्ति को सामाजिक व व्यक्तिगत दृष्टि से हेय माना जाता है । नशेबाजों को जगह-जगह अपमानित होना पड़ता है । नशे की प्रवृत्ति को परिवार के लोगों की सहायता से चिकित्सकीय परामर्श तथा आत्मिक दृढ़ इच्छा शक्ति से रोका जा सकता है । सामाजिक मर्यादाओं एवं सरकारी कानूनो का कड़ाई से पालन करने से भी मादक पदार्थों के अवैध व्यापार पर अंकुश लग सकता है । युवाओं को सही परामर्श से भी इस प्रवृत्ति से मुक्त किया जा सकता है ।

मादक पदार्थ सेवन से मौत का निमंत्रण मिलता है । इससे शरीर पूरा खोखला हो जाता है और चेतना जवाब दे जाती है । अंत में इसके दुष्प्रभाव से वह बचना चाह कर भी बच नहीं सकता है । 

अतः मादक पदार्थों का सेवन करना , नशे की कुप्रवृत्ति से ग्रस्त होना न केवल युवाओं के लिए अपितु सामाजिक परिवेश के लिए भी विनाशकारी है। अतः समुचित उपाय अपनाकर इससे मुक्ति पाना परम आवश्यक है। "हम सब का एक ही नारा, नशा मुक्त हो देश हमारा। " "नशा मुक्ति का अभियान, बने जन जन की पहचान। "

सचिव, राजस्थान राज्य भारत स्काउट व गाइड स्थानीय संघ शिवसिंघपुरा , सीकर

  किशन लाल सियाक 

वरिष्ठ अध्यापक, राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय टोड़ माधोपुरा , सीकर

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