समन्वित कृषि प्रणाली पर प्रशिक्षण का आयोजन*

 *समन्वित कृषि प्रणाली पर प्रशिक्षण का आयोजन*



उदयपुर जनतंत्र की आवाज विवेक अग्रवाल। महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, उदयपुर के प्रसार शिक्षा निदेशालय द्वारा लघु एवं सीमांत कृषक परिवारों में समन्वित कृषि प्रणाली को बढ़ावा देने हेतु एक दिवसीय प्रशिक्षण का आयोजन प्रसार शिक्षा निदेशालय द्वारा लक्ष्मीपुरा चित्तौड़गढ़ में किया आयोजित किया गया। प्रशिक्षण के आरम्भ में निदेशक प्रसार शिक्षा एवं प्रोजेक्ट इन्चार्ज डाॅ. आर.ए. कौशिक ने कृषक महिलाओं को सम्बोधित करते हुए कहा कि समन्वित कृषि प्रणाली एक ऐसी प्रणाली है जिसमें कृषि के विभिन्न उद्यमों जैसे- फसल उत्पादन, पशुपालन, फल एवं सब्जी उत्पादन, मछली उत्पादन, मुर्गीपालन, दुग्ध एवं खाद्य प्रसंस्करण, वानिकी इत्यादि का इस प्रकार समायोजन किया जाता है कि ये उद्यम एक-दूसरे के पूरक बनकर किसानों को निरन्तर आमदनी प्रदान करते हैं। समन्वित कृषि प्रणाली में संसाधनों की क्षमता का न केवल सदुपयोग होता है अपितु उत्पादकता एवं लाभप्रदता में भी शीघ्रतिशीघ्र वृद्धि होती है। समन्वित कृषि प्रणाली को अपनाने से कृषि लागत में कमी आती हैं एवं रोजगार तथा आमदनी में वृद्धि होती हैं । प्रशिक्षण में डाॅ. लतिका व्यास, आचार्य ने कौशल विकासा पर चर्चा कि ओर बताया की भारतवर्ष में युवाओं की आबादी दुनियाभर में सबसे ज्यादा है और इनमें से आधे युवा 25 वर्ष की आयु से कम के हैं। भारत में जनसांख्यिकीय लाभ के वर्णन में देखा जाये तो प्रत्येक वर्ष 8 लाख लोग नये रोजगार की तलाश करते हैं जिसमें सिर्फ 5.5 लाख रोजगारों का सृजन हो पाता है या उससे भी कम, इसलिये युवाओं में कौशल विकास करना बहुत जरूरी है ताकि उन्हें स्वरोजगार से जोड़ा जा सके और समन्वित कृषि प्रणाली से परिवार के सभी लोगो को वर्षपर्यन्त रोजगार मिलता रहता है व इस प्रणाली द्वारा कृषि अवशेषो का उचित प्रंबधन आसान है। प्रशिक्षण दौरान डाॅ. कपिल देव आमेट, सह-आचार्य, उद्यानिकी विभाग ने कहा की कम जमीन में आमदनी को बढाने हेतु फसलो के साथ- साथ सब्जीयो की खेती करना चाहिए व बताया की फसलों में नर्सरी का विशेष महत्व होता हैं, क्योंकि सब्जी की फसल से होने वाला उत्पादन नर्सरी में पौधों की गुणवता पर निर्भर करता है। अधिकांश सब्जियों की खेती नर्सरी तैयार करके की जाती है। जैसे टमाटर, बैंगन, मिर्ची, शिमला मिर्च, फूल गोभी, पत्ता गोभी, गांठ गोभी, ब्रोकली, बेसील, सेलेरी, पार्सले, लेट्यूस, पाकचोई, प्याज इत्यादि। साथ ही प्रौ ट्रे में कट्टुवर्गीय सब्जियां जैसे- खीरा, लोकी, तुरई, करेला, कदु, तरबूज, खरबूज की भी नर्सरी तैयारी की तकनीकी जानकारी का विस्तृत वर्णन किया। डाॅ. आर.एल. सोलंकि, वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं अध्यक्ष, कृषि विज्ञान केन्द्र, चित्तौड़गढ़ ने कृषक महिलाओं को वर्मीकम्पोस्ट केसे बनया जाता है व इसके फायदे क्या है और वर्मीकम्पोस्ट को बाजार में बेच कर भी अतिरिक्त आमदनी अर्जित की जा सकती है के बारे में बताया। प्रोग्राम आॅफिसर, आदर्श शर्मा ने बताया की यह प्रशिक्षण विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग, भारत सरकार, नई दिल्ली द्वारा प्रयोजित परियोजना के अन्तर्गत आयोजित किया गया व इस प्रशिक्षण में कुल 35 प्रशिक्षणर्थियो ने भाग लिया । कार्यक्रम के अंत में गौहर मेहमूद ने सभी का अभिंदन व्यक्त किया इस दौरान राजेश विश्नोई व श्रीमती रेखा देवी आदि उपस्थित रहें।

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