अन्तर्राष्ट्रीय विश्व नृत्य दिवस 2024 की संध्या पर कला आश्रम कॉलेज ऑफ परफोर्मिंग आर्ट्स में "लय की शक्ति" का आयोजन
अन्तर्राष्ट्रीय विश्व नृत्य दिवस 2024 की संध्या पर कला आश्रम कॉलेज ऑफ परफोर्मिंग आर्ट्स में "लय की शक्ति" का आयोजन
उदयपुर संवाददाता विवेक अग्रवाल। अंतरराष्ट्रीय विश्व नृत्य दिवस की शुरूआत 29 अप्रेल 1982 से हुई थी। प्रतिवर्ष अंतरराष्ट्रीय नृत्य दिवस महान रिफॉर्मर जीन जॉर्ज नावेरे के जन्म की स्मृति में मनाया जाता है। इसी दिन यूनेस्को के अंतराष्ट्रीय थिएटर इंस्टिट्यूट की अंतरराष्ट्रीय डान्स कमेटी ने 29 अप्रेल को विश्व नृत्य दिवस में रूप में स्थापित किया। इसी उपलक्ष्य में उदयपुर स्थित कला आश्रम कॉलेज ऑफ परफोर्मिंग आर्ट्स में दिनांक 29 अप्रेल 2024 को अंतरराष्ट्रीय नृत्य दिवस की संध्या पर "लय की शक्ति" कार्यक्रम का आयोजन किया गया। निदेशिका डॉ. सरोज शर्मा ने अंतरराष्ट्रीय नृत्य दिवस के उपलक्ष्य पर बताया कि "इस दिवस को पूरे विश्व में मनाने का उद्देश्य जनसाधारण के बीच नृत्य की महत्ता एवं उपयोगिता का अलख जगाना है, साथ ही लोगों का ध्यान विश्व स्तर पर इस ओर आकर्षित करना था, जिससे लोगों में नृत्य के प्रति जागरूकता फैले। डॉ. सरोज शर्मा ने बताया कि नृत्य स्वस्थ जीवन का एक प्राकृतिक उपहार है"।
कार्यक्रम का आगाज माँ सरस्वती एवं भगवान नटराज की पूजा अर्चना कर किया गया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि कला आश्रम फाउण्डेशन के मुख्य प्रबन्धक न्यासी डॉ. दिनेश खत्री थे। डॉ. सरोज शर्मा ने कार्यक्रम की शुरूआत में छात्र-छात्राओं एवं आगन्तुको को अंतराष्ट्रीय नृत्य दिवस की जानकारियां प्रदान की गई एवं "लयबद्ध शक्ति के महत्व" पर चर्चा की। कत्थक नृत्य के माध्यम से शरीर के विषहरण और कायाकल्प के माध्यम से कत्थक नृत्य की प्रक्रिया सिखायी गई। सुफी नृत्य के साथ कत्थक नृत्य की प्रस्तुतियां दी गई। कार्यक्रम में सुन री सखी... भारत हमको जान से प्यारा है... चन्दा रे..... मौला मौला.... जग घुमिया.... आदि सुफी गानों पर कत्थक नृत्य की सुन्दर प्रस्तुतियां दी गई। समय प्रबन्धन पर नृत्य वाटिका के साथ समय की उपयोगिता का सन्देश दिया। कार्यक्रम में डॉ. गरिमा, पीयूषी, डॉ. सुनिता आचार्य, प्रतिमा हरगुनानी ने कत्थक नृत्य पर अपने विचार व्यक्त किए।
कार्यक्रम में कला आश्रम फाउण्डेशन के मुख्य प्रबन्ध न्यासी डॉ. दिनेश खत्री द्वारा स्वास्थ्य, जीवन, आनन्द के साथ लय, नृत्य एवं योग की उपादेयता पर सारगर्भित व्याख्यान दिया गया। डॉ. दिनेश खत्री ने बताया कि नृत्य की लय एवं ताल की गति हमारे हृदय में है,
नाड़ी में है, रक्त के परिसंचरण में है, श्वास में है और यह समगति जीवन में अलौकिक सौन्दर्य और आनन्द को स्फूरित करती है, जब यह लय और गति यदि अनियमित हो जाए तो सब कुछ अव्यवस्थित हो जाता है यहीं जीवन की वास्तविकता है, जिसे नृत्य के माध्यम से अनुभव किया जा सकता है।
कला आश्रम कॉलेज ऑफ परफोर्मिंग आर्ट्स एक अन्तर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त संस्था है जो विगत 15 वर्षों से विशुद्ध कथक एवं संगीत का देश एवं विदेशों में प्रचार-प्रसार कर रही है। यहां के विद्यार्थियों ने अन्तर्राष्ट्रीय ओलम्पियाड में भाग लेकर स्वर्ण, रजत एवं कास्य पदक प्राप्त किये है।
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